ये बात सही है कि प्यार करने की उम्र कौन तय करेगा। परिवार, हम, समाज या फिर कुदरतर्षोर्षो ये बहुत चिन्तन का विशय है। लड़के-लड़कियां 12 से 14 साल की आयु में ही प्यार को जानने, समझने लगते हैं। ये सोचे बिना कि क्या सही है और क्या गलत। होता तो प्यार ही है चाहे वो 18-20 वशZ की आयु में हो या कम आयु में, प्यार ही कहलाएगा। अमेरिका में 14, जापान में 15 और भारत में 16 साल की आयु में प्यार कर सकते हैं। ग्रामीण भारत में 12 साल की आयु में ही विवाह कर दिया जाता है, जिसके चलते कम उम्र में लड़की मां बन जाती है। यदि शहरों में 14 साल या 16 साल की उम्र में प्यार/सेक्स कर लिया जाए तो बलात्कार की श्रेणी में आता है। संविधान के तहत लड़की के साथ बलपूर्वक सेक्स करना या फिर लड़की बालिग न हो, तो बलात्कार की श्रेणी में आता है, चाहे लड़की की रज़ामन्दी ही क्यों न हो। क्योंकि, नाबालिग लड़के-लड़कियों में सोचने-समझने, हित-अहित का ज्ञान नहीं होता। ये कानून तय करता है कि समझ है या नहीं। पर समझ होती जरूर है। क्या सही है , क्या गलत- ये तो जानते ही हैं।
अपने आस-पास के माहौल व टेलीविजन में दिखाए जाने वाले सीरियल, फिल्मों आदि में देखकर इनमें भी प्यार करने की भावना इस कदर जागृत होने लगती है कि मैं भी किसी से प्यार करूं या फिर कोई मुझसे भी प्यार करे, इसका नजीता चाहे कुछ भी हो। बहुत हद तक पारिवारिक तनाव, घरवालों से प्यार न मिलना, हमेशा अकेले रहना, प्यार की कमी को पूरा करने के लिए लड़के-लड़कियां प्यार की ओर भागते हैं जिसके परिणाम बहुत ही भयानक भी होते हैं। प्यार के इस खेल में बहुत बार लड़की कम आयु में ही मां बन जाती है और उसे गर्भपात कराना पड़ता है, लड़के-लड़कियां अपनी जान तक भी दे देते हैं। प्यार पाने की चाह में ये अपने घरवालों से, समाज से, दोस्तों से, संगे-संबधियों से भी कट जाते हैं। रह जाते हैं -केवल और केवल अकेले। जो अभी नाबालिग है, वह अभी बच्चों की परवरिश क्या कर सकता है। जब उन्हें अपने भविश्य के बारे में नहीं पता तो वे अपने बच्चोेंेेे के भविश्य के बारे में क्या सोचेंगेर्षोर्षो
परन्तु ,प्यार तो होता ही है । इस पर लाख पहरे क्यों न बिठा दिये जाएं। प्यार तो हो ही जाता है । इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि भारत में प्यार करने पर अब भी पाबन्दी लगी हुई है। इसके बावजूद भी हर 4 में से 3 लड़के - लड़कियां प्यार करते हैं। विदेशों में 12 साल की उम्र में प्यार/सेक्स किया जा सकता है, यदि लड़का-लड़की राजी है तो। वहां प्यार करने की उम्र निर्धारित की जा चुकी है, जिससे वो पढ़ाई के साथ-साथ प्यार व सेक्स की कमी को भी पूरा करते हैं और मानसिक रोगों से मुक्त रहते हैं। भारत में अधिकांश युवा वर्ग मानसिक रोगों की चपेट में हैं। जब शारीरिक परिवर्तन होता है तो सेक्स करने की इच्छा प्रबल होने लगती है। अगर इच्छा की पूर्ति नहीं होती तो हिंसात्मक घटनाओं में वृद्धि होने लगती है। नाबालिग लड़के-लड़कियां मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं जिसके कारण से वो आत्म हत्या भी कर लेते हैं।
प्यार करने या सेक्स करने की उम्र का निर्धारण कौन करेगार्षोर्षो इसे शोध का विशय बनाया जा सकता है कि किस उम्र में लड़के -लड़कियां आपस में प्यार/सेक्स बिना किसी रोकटोक के कर सकते हैं र्षोर्षो
आज तो 14 से 16 साल की उम्र में, 4 में से 3 लड़के-लड़कियां सेक्स कर चुके होते हैं, इसका किसी को पता नहीं चलता। यदि समाज की दृिश्ट में लड़की गर्भवती न हो, तब तक किसी को कोई पता नहीं होता। यदि लड़के- लड़कियां इस उम्र में सेक्स करते हैं तो हमें यह मान लेना चाहिए कि उनमें सोचने- समझने की शक्ति भी है।
भारत में पनप रही समलैगिंकता का एक कारण सेक्स पर लगा प्रतिबंध भी हो सकता है। समाज में लगातार फैल रही समलैगिंकता पर काबू पाने के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है। एक ऐसा कानून पारित किया जाए, जिसमें 14 से 16 वशZ की उम्र में सेक्स करने की अनुमति प्रदान की जाए, जिससे समलैंगिकता, सामाजिक घृणा और संकीर्ण मानसिकता के चंगुल से बचा जा सके। और, युवा पीढ़ी भारत को विकासशील देश से विकसित देश में परिवर्तन करने में सहायक सिद्ध हो।
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