सरोकार की मीडिया

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Tuesday, November 27, 2018

चांद पर पहुंचने के बाद राजनैतिक लोगों की प्रतिकिया


चांद पर पहुंचने के बाद राजनैतिक लोगों की प्रतिकिया

लो जी हम तो मोटरसाईकिल से चांद पर पहुंच गए...... मेरे चांद पर पहुंचने की जानकारी मिलने पर कुछ राजनैतिक लोगों की प्रतिक्रिया यूं हुई.....

प्रधानमंत्री.... भाईयों और बहनों..... देश का प्रधानमंत्री कौन है....और सबसे पहले चांद पर किसको पहुंचना चाहिए...बोलों किसको पहुंचना चाहिए....बताओं किसको.....

 राहुल गांधी.... भाइयों....यह सब मोदी की चाल है...मोदी नहीं चाहती कि कांग्रेस चांद पर जाए.... यह सरासर नाइंसाफी है।

केजरीवाल.... मैं तो पहले से ही कह रहा था कि चांद पर मोदी सबसे पहले अपने आदमी को पहुंचा देंगे.... इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.... नहीं तो हमारी पार्टी धरना करेगी।

अंबानी.... मोदी जी से हमारा साम, दाम का रिश्‍ता है मोदी जी ने कहा था कि सबसे पहले हमें चांद पर पहुंचाएं... बाद में खुद आएंगे... पर यह मोदी जी ने अच्‍छा नहीं किया।

अमित शाह..... हमारी पार्टी स्‍वयं चांद पर न जाकर उसने एक आम आदमी को चांद पर पहुंचाने का बहुत बड़ा काम किया है। 

उमा भारती.... आप लोगों को चांद की पड़ी है, आप लोगों को मेरे बारे में जरा सी भी फ्रिक नहीं है कि 2018 खत्‍म होने वाला है और मैं गंगा को पूरी तरह साफ नहीं करा पाई हूं.... अब मुझे जल समाधि लेनी पड़ेगी।

अखिलेश यादव......मैं तो पहले सी जानता था कि मोदी ऐसा ही करेगा..... इसका परिणाम आने वाले लोकसभा में उन्‍हें भुगतना पड़ सकता है।

मायवाती.... यह दलितों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है, सबसे पहले चांद पर एक दलित को भेजना चाहिए। मैं इस बात की घोर निंदा करती हूं।

आडवानी.... काश मोदी जी चांद पर हमको ही पहुंचा देते... तो क्‍या बिगड जाता.. मैंने पार्टी के लिए कितना कुछ नहीं किया, परंतु अब मेरी दश देखों मोदी ने क्‍या कर दी है।

योगी जी..... चांद पर अपनी पार्टी लाएंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे।

ओबेसी.....यह सब मुस्लिम विरोधी साजिश है, सबसे पहले एक हिंदू को चांद पर पहुंचाया गया है, हम चुप नहीं बैठेंगे।  

ममता....हमार के तुमार.... बंगाल के लोगों के साथ अच्‍छा नहीं किया.... उत्‍तर प्रदेश के आदमी को चांद पर पहुंचाकर।

लालू..... ई ससूरा बुडबक.... चांद पर पहुंच गया.... और हम हैं कि अभी तलक यही अटके पड़े हैं। सबरी चाल ई मोदीया की है।

इसी तरह की प्रतिक्रिया देखी गई... अब आप ही बताएं कोई चांद पर भी नहीं जा सकता.. इस पर भी राजनीति कर रहे हैं।

Sunday, November 18, 2018

डर-सहमे शिवराज

डर-सहमे शिवराज


कल सुबह भोपाल से घर लौटते समय सामने यात्रा करने वाले सहयात्री द्वारा एक समाचार पत्र खरीदा गया (समाचारपत्र का नाम गुप्‍त रखा गया है)। जिसको सहयात्री द्वारा पढ़ने के उपरांत अपनी सीट पर फेंक दिया गया। सोचा समय है हम भी इसका वाचन कर लेते हैं। तो सहयात्री से अनुरोध करते हुए अखबार मांग लिया, जिसे सहयात्री ने बिना किसी संकोच के दे दिया। अखबार हाथ में आते ही सबसे पहले मेरी दृष्टि समाचार पत्र में प्रकाशित एक विज्ञापन पर पड़ी। यह विज्ञापन बीजेपी, मध्‍यप्रदेश द्वारा वर्तमान मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में निकाला गया था। जिसमें कांग्रेस के पापों को गिनाते हुए कहा गया कि कांग्रेस गरीबों के दर्द पर गरीबी हटाओं का नमक छिड़कते रहे और बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान मजदूर को मजबूर ना होने का संबल देते रहे। वहीं जब अखबार का पन्‍ना पटला ही था तो दूसरा विज्ञापन चासनी से परिपूर्ण प्रकाशित था। जिसमें कहा गया कि गरीबों की हर समस्‍या का समाधान खोजने वाली देश की पहली सरकार, भाजपा सरकार है। साथ ही 2003 में मध्‍यप्रदेश जहां बीमारू की क्‍या स्थिति था, वहीं 2018 तक वह समृद्ध हो गया है।  यह तो अच्‍छी बात है कि मध्‍यप्रदेश शिवराज सिंह चौहान के पिछले 15 सालों में बीमारू से समृद्ध हो गया है परंतु इस बात की पुष्टि कौन और कैसे की जा सकती है कि मध्‍यप्रदेश वर्तमान में समृद्धि की ओर अग्रसर है। बस योजना बना देने से क्‍या वास्‍तविक जरूरतमंदों को योजना का लाभ मिल सका है या वह भी ऑफिस-ऑफिस के खेल में फंसा रहा। क्‍या आंकड़े वास्‍तविक हकीकत को बयां करते हैं।

 वैसे मध्‍यप्रदेश में पिछले 15 सालों से बीजेपी (शिवराज) की सत्‍ता कायम है। तो जब आपके द्वारा इतनी सारी योजनाओं से सभी को लाभ हुआ है तब आप इतने डरे-सहमे हुए खुद को महसूस क्‍यों कर रहे हैं। आपने काम किया है तो आपको उसका फल जरूर मिलेगा, और यदि सिर्फ कागजी खानापूर्ति हुई है और जरूरतमंदों सिर्फ ठगा गया है तो उसका नतीजा भी आपके सामने आ ही जाएगा। अपने मियां मिठ्ठू क्‍यों बन रहे हैं कि हमने यह किया, हमने वह किया। कोई गरीबों की मदद करे फिर यह जताए कि हमने यह किया हमने उसके लिए वह किया। क्‍या शोभा देता है।

वैसे विज्ञापन को देखकर इसका अंदाजा कोई भी व्‍यक्ति साफ लगा सकता है कि यह विज्ञापन की शक्‍ल में पेड न्‍यूज है। जो बीजेपी सरकार (शिवराज) की महिमा मंडन कर रहा है। और कांग्रेस या अन्‍य पार्टियों को नीचा दिखाने का काम करता हुआ प्रतीत होता है। और तो और विज्ञापन के माध्‍यम से इतना भी कह दिया गया कि गरीबों की हर समस्‍या का समाधान खोजने वाली कोई पहली सरकार है तो भाजपा की सरकार है। यह सुनने में कितना अच्‍छा लग रहा है। क्‍योंकि अच्‍छा सुनने में अच्‍छा ही लगता है। कानों को सकून देते है कोई भी हो......परंतु लिखने और करने में बहुत फर्क होता है। अपने 15 सालों में अपने द्वारा किए गए कामों और योजनाओं को तो विज्ञापन के द्वारा गिनवा दिया, पर कभी चुनाव से पहले जनता से किए गए वादों को याद तो कर लेते..... अपना मेनफेस्‍टों को देख लेते, जो किसी पांच सितारा होटल के मेन्‍यू कार्ड से कम नहीं था। क्‍या वह मेनफेस्‍टों आपकी सरकार ने पूरा किया है। यदि पूरा किया है तो फिर इस तरह के विज्ञापन निकलवाने का क्‍या औचित्‍य है समझ से परे लगता है। वैसे अपने प्रदेश की हकीकत जाननी हो तो शहरों की चकाचौंध को छोड़कर उन गलियों का भम्रण भी कर आए जहां गरीब अपनी समस्‍या से खुद दो-चार हो रहे हैं और आपकी योजनाएं उन तक नहीं पहुंच पा रही है। खैर जनता जगरूक है इसका जवाब वह खुद देगी। समय आने पर............

Monday, November 12, 2018

‘’रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई’’


‘’रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई’’


केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने लखनऊ में कहा था कि यदि वह 2018 तक गंगा को पूर्णत: साफ करा पाने असमर्थ रही, तो वह दिसंबर, 2018 तक जल समाधि ले लेगी। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना के तहत 20 हजार करोड़ रूपए पारित हुए थे जिसकी राशि बहुत पहले ही दी जा चुकी है। आर.टी.आई के खुलासे से ज्ञात हुआ कि मोदी सरकार के शासनकाल में नमामि गंगे योजना फेल हो चुकी है और साफ होने के वनस्‍पत गंगा में प्रदूषण और बढ़ा है। यानि गंगा अभी तक साफ नहीं हो सकी है। वहीं केंद्रीय मंत्री के वादे पूरे करने के बयान पर सोशल मीडिया पर लोग उनका जमकर मज़ाक बना रहे हैं। लोग उनके गंगा सफाई के उस वादे को याद कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वह गंगा को साफ़ करने में नाकाम रहीं तो जलसमाधि ले लेंगी। तो अब इंतजार की घंडियां खत्‍म होने वाली है दिसंबर नजदीक है शायद उमा भारती जगह तलाश कर रही होंगी कि वह किस जगह का चयन करें जहां वह समाधि लेंगी। अभी तक उन्‍होंने जगह का चयन भी कर लिया होगा, क्‍योंकि 2018 के समाप्‍त होने में ज्‍यादा दिन नहीं बचे हैं। अब देखना यह है कि वह अपने वादे पर कायम रहती हैं या यह सिर्फ एक जुमला मात्र था। और इनकी पार्टी के सारे नेता इसी तरह जनता से वादे करके मुकर जाते हैं। ठीक राम मंदिर की तरह। सत्‍ता में आने से पहले मोदी ने कहा था यदि हमारी सरकार केंद्र में आई तो राम मंदिर का निर्माण होगा, परंतु जिस पंडाल में रामलला विराजमान थे अभी भी उसी दशा में विराजमान है। केंद्र और उत्‍तर प्रदेश दोनों में बीजेपी की सरकार है। इसके बावजूद मंदिर का निर्माण अभी करा पाने में वह असमर्थ साबित हुए हैं। अब तो फिर से लोकसभा के चुनाव नजदीक आने वाले हैं फिर राम मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा है। वैसे देखा जाए तो मुद्दा गरमाने नहीं लगा, वह ठंडा पड़ता जा रहा है क्‍योंकि सर्दी ने दस्‍तक दे दी है और जनवरी तक कंपकपाती हुई ठंडक पड़ने वाली है तो फिर राम मंदिर का मुद्दा भी ठंडे बस्‍ते में जाता दिखाई दे रहा है।
खैर राम मंदिर के मुद्दे को छोड़ देते हैं जब बनना होगा तब बन जाएगा, और नहीं बनना होगा तो नहीं बनेगा। बनने और न बनने से जनता को नुकसान या मुनाफा नहीं होने वाला। हां मंदिरों में विराजमान मठाधीशों की चांदी जरूर हो जाएगी।  इसलिए छोड़ देते हैं इस मुद्दे को.... हम अपने असल मुद्दे पर आते हैं, जी हां नमामि गंगे योजना पर.... जिसमें पारित 20 हजार करोड़ रूपए  लगता नहीं गंगा सफाई में खर्च किए जा चुके हैं, गंगा की वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि चासनी का स्‍वाद सभी चींटियों से ले लिया है। और अब सिर्फ बचा है तो सिर्फ पानी.... हां सिर्फ पानी वो भी प्रदूषण युक्‍त। वैसे जो नेता यह कहे कि गंगा पहले से साफ हुई है तो हमारे पास ले आए हम उनके गंगा के ऐसे स्‍थान पर ले जाएंगे और वहां से बोतल में पानी भरकर कहेंगे कि इसको पूरा पीकर दिखाएं.... प्रत्‍यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती साहब..... आपकी पार्टी के वादे सिर्फ खोंखले वादे ही होते हैं हकीकत इससे कोसों दूर है जिसे आपका चश्‍मा तो दूर की बात है गांधी का चश्‍मा भी नहीं देख पाएंगा।
अब देख पाए या न देख पाए, देखना तो सिर्फ इतना है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती दिसंबर, 2018 तक जल समाधि कहां पर ले रही हैं... क्‍योंकि अभी तक इनकी पार्टी द्वारा इस बात की पुख्‍ता शासकीय तौर घोषणा नहीं की गई है... कि उनकी मंत्री महोदया जी कब और कहां, कितने समय पर जलसमाधि लेंगी। कोई आयोजन, व्‍यवस्‍था दिखाई नहीं पड़ रही है..... कुछ तो बीजेपी पार्टी को करना ही चाहिए, ज्‍यादा बड़ा न सही छोटा-सा ही कर दीजिएगा.... ताकि उमा भारती की आत्‍मा को शांति मिले.....वैसे हम सब भी इनकी जल समाधि के उपरांत दो वक्‍त का मौन व्रत भी रख लेंगे.... क्‍योंकि यह अपने वादे पर कायम जो होने जा रही हैं... और यदि वह ऐसा नहीं करती हैं तो जूते की माला भी तैयार करके रखी है। क्‍योंकि यह अपने आप को बड़े राम भक्‍त बताते हैं तो राम ने कहा था... ‘’रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई’’..... यह भी मंत्री महोदय जी वचन वाली बात है। बाकि हमारे प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले स्‍वयं ही कहा था कि कुछ नेता झूठ बोलने वाली मशीन होते हैं एके47 की तरह झूठ बोलते रहते हैं अब यह देखना है कि मोदी जी अपनी पार्टी के नेताओं की बात कर रहे थे या फिर दूसरी पार्टी पर तंज कस रहे थे। चलो फिर कुछ समय और इंतजार कर लेते हैं सब कुछ साफ हो ही जाएंगा.....चलता हूं... अपना ख्‍याल रखना।