‘’रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई’’
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने लखनऊ में
कहा था कि यदि वह 2018 तक गंगा को पूर्णत: साफ करा पाने असमर्थ रही, तो वह दिसंबर, 2018 तक जल समाधि ले लेगी। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार द्वारा नमामि गंगे
योजना के तहत 20 हजार करोड़ रूपए पारित हुए थे जिसकी राशि बहुत पहले ही दी जा चुकी
है। आर.टी.आई के खुलासे से ज्ञात हुआ कि मोदी सरकार के शासनकाल में नमामि गंगे योजना
फेल हो चुकी है और साफ होने के वनस्पत गंगा में प्रदूषण और बढ़ा है। यानि गंगा अभी
तक साफ नहीं हो सकी है। वहीं केंद्रीय
मंत्री के वादे पूरे करने के बयान पर सोशल मीडिया पर लोग उनका जमकर मज़ाक बना रहे
हैं। लोग उनके गंगा सफाई के उस वादे को याद कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वह गंगा को साफ़
करने में नाकाम रहीं तो जलसमाधि ले लेंगी। तो अब इंतजार की घंडियां खत्म होने वाली
है दिसंबर नजदीक है शायद उमा भारती जगह तलाश कर रही होंगी कि वह किस जगह का चयन करें
जहां वह समाधि लेंगी। अभी तक उन्होंने जगह का चयन भी कर लिया होगा, क्योंकि 2018 के समाप्त होने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। अब देखना यह
है कि वह अपने वादे पर कायम रहती हैं या यह सिर्फ एक जुमला मात्र था। और इनकी पार्टी
के सारे नेता इसी तरह जनता से वादे करके मुकर जाते हैं। ठीक राम मंदिर की तरह। सत्ता
में आने से पहले मोदी ने कहा था यदि हमारी सरकार केंद्र में आई तो राम मंदिर का निर्माण
होगा, परंतु जिस पंडाल में रामलला विराजमान थे अभी भी उसी दशा
में विराजमान है। केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों में बीजेपी की सरकार है। इसके बावजूद
मंदिर का निर्माण अभी करा पाने में वह असमर्थ साबित हुए हैं। अब तो फिर से लोकसभा के
चुनाव नजदीक आने वाले हैं फिर राम मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा है। वैसे देखा जाए तो
मुद्दा गरमाने नहीं लगा, वह ठंडा पड़ता जा रहा है क्योंकि सर्दी
ने दस्तक दे दी है और जनवरी तक कंपकपाती हुई ठंडक पड़ने वाली है तो फिर राम मंदिर
का मुद्दा भी ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है।
खैर राम मंदिर के मुद्दे को छोड़ देते हैं जब बनना होगा तब बन जाएगा, और नहीं बनना होगा तो नहीं बनेगा। बनने और न बनने से
जनता को नुकसान या मुनाफा नहीं होने वाला। हां मंदिरों में विराजमान मठाधीशों की चांदी
जरूर हो जाएगी। इसलिए छोड़ देते हैं इस मुद्दे
को.... हम अपने असल मुद्दे पर आते हैं, जी हां नमामि गंगे योजना
पर.... जिसमें पारित 20 हजार करोड़ रूपए लगता
नहीं गंगा सफाई में खर्च किए जा चुके हैं, गंगा की वर्तमान स्थिति
को देखकर ऐसा लगता है कि चासनी का स्वाद सभी चींटियों से ले लिया है। और अब सिर्फ
बचा है तो सिर्फ पानी.... हां सिर्फ पानी वो भी प्रदूषण युक्त। वैसे जो नेता यह कहे
कि गंगा पहले से साफ हुई है तो हमारे पास ले आए हम उनके गंगा के ऐसे स्थान पर ले जाएंगे
और वहां से बोतल में पानी भरकर कहेंगे कि इसको पूरा पीकर दिखाएं.... प्रत्यक्ष को
प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती साहब..... आपकी पार्टी के वादे सिर्फ खोंखले वादे ही होते
हैं हकीकत इससे कोसों दूर है जिसे आपका चश्मा तो दूर की बात है गांधी का चश्मा भी
नहीं देख पाएंगा।
अब देख पाए या न देख पाए, देखना तो सिर्फ इतना है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती दिसंबर, 2018 तक जल समाधि कहां पर ले रही हैं... क्योंकि अभी तक इनकी पार्टी द्वारा
इस बात की पुख्ता शासकीय तौर घोषणा नहीं की गई है... कि उनकी मंत्री महोदया जी कब
और कहां, कितने समय पर जलसमाधि लेंगी। कोई आयोजन, व्यवस्था दिखाई नहीं पड़ रही है..... कुछ तो बीजेपी पार्टी को करना ही चाहिए, ज्यादा बड़ा न सही छोटा-सा ही कर दीजिएगा.... ताकि उमा भारती की आत्मा को
शांति मिले.....वैसे हम सब भी इनकी जल समाधि के उपरांत दो वक्त का मौन व्रत भी रख
लेंगे.... क्योंकि यह अपने वादे पर कायम जो होने जा रही हैं... और यदि वह ऐसा नहीं
करती हैं तो जूते की माला भी तैयार करके रखी है। क्योंकि यह अपने आप को बड़े राम भक्त
बताते हैं तो राम ने कहा था... ‘’रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई’’..... यह भी मंत्री महोदय
जी वचन वाली बात है। बाकि हमारे प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले स्वयं ही कहा था कि
‘ कुछ नेता झूठ बोलने वाली मशीन होते हैं एके47 की तरह झूठ बोलते
रहते हैं’ अब यह देखना है कि मोदी जी अपनी पार्टी के नेताओं की
बात कर रहे थे या फिर दूसरी पार्टी पर तंज कस रहे थे। चलो फिर कुछ समय और इंतजार कर
लेते हैं सब कुछ साफ हो ही जाएंगा.....चलता हूं... अपना ख्याल रखना।
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