सरोकार की मीडिया

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Friday, December 3, 2010

महिलाएं भी समाज में सिर उठाकर जी सके

आखिर महिलाओं के शोषण का जन्म क्यों हुआ, इसका मूल कारण क्या रहा होगा, यह एक जटिल प्रश्नह है जो हमारे सामने आज विकराल रूप लिए खडा हैा वैदिक युगीन काल में स्त्री की सामाजिक स्थिति को ऐतिहासिक काल माना गया हैा जहां उसे ‘यत्र नार्यस्तु पूज्योन्ते रमन्ते तत्र देवता’ कहकर महिलाओं को संबोधित किया जाता थाा1 उपनिषेद काल में नारी को पुरूषों के समान दर्जा प्रदान किया गया, ज्यों ज्यों काल का विभाजन होता गया , उसी प्रकार नारी के अधिकारों का भी दोहन होता गया,और नारी समाज के हाशिये पर केवल और केवल अकेली स्त्रीग के रूप में अपने अधिकारों को पाने की चेष्ठार में विशाल दलदल में घसती चली गयीा जिस दलदल से नारी अपने आप को आज तक उबार नहीं पायी है, या फिर पुरूष समाज ने उसे कभी उबरने का मौका ही नहीं दियाा एक जमान था जब समाज मात़ृसत्तात्मरक समाज के रूप में जाना जाता था, स्वंभाव से कोमल, कमजोर होने के चलते पुरूष समाज ने मातृसत्तातत्म क समाज पर धीरे धीरे अपना वर्चस्व कायम कर लिया और नारी को हाशिये पर लाकर खडा कर दियाा पितृसत्तामत्मरक समाज ने नारी पर तरह तरह की वंदिशें लगाकर अपने पुरूष होने का दबदबा स्था‍पित करने का प्रयास किया है, और बहुत हद तक पुरूष नारी को दबाने में कामयाब भी रहा हैा पितृसत्ताात्मरक पुरूष प्रधान समाज ने नारी के अधिकारों का हनन के साथ साथ उन पर हिंसात्मभक प्रवत्ति भी अपनाई हैा जिससे महिलाओं की स्थिति अत्यं त दयनीय हो चुकी हैा महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की सूची तो बहुत लम्बीर है परन्तुअ दहेज हत्या और बलात्कारर प्रमुख अत्याओचार की श्रेणी में हैा
दहेज हत्या : भारत में दहेज प्रथा अपने चरम पर है दहेज प्रथा ने सभी जातियों को एक कर दिया है आज हर जाति में दहेज की मांग आम बात हो गयी हैा सभी लोग दहेज का लेन देन खुल्ल म खुल्लाह कर रहे हैा चाहे वो किसी भी जाति से ताल्लुक रखता होा दहेज एक ऐसी प्रथा है जिसमें वधु पक्ष वर पक्ष को कन्या दान के एवज में वर पक्ष द्वारा मांगी जाने वाली नकद राशि या वस्तुस है जिसे वधु पक्ष को देने के लिए बाध्य किया जाता हैा यदि शादी के समय वर पक्ष द्वारा की जाने वाली मांगों को पूरा नहीं किया जाता तो शादी के बाद वधु पर तरह तरह के जुल्मों सितम ढाये जाते है और उन्हें अपने परिवार वालों से धन की मांग को पूरा करने के लिए विवश कर दिया जाता हैा दहेज एक ऐसा कवज है जो वधु की सुरक्षा की गांरटी लेता है जब तक वर पक्ष द्वारा मांगी जाने वाली मांगों की पूर्ति होती रहेगी तब तक वधू ससुराल में अपने आपको सुरक्षित महसूस करती रहेगीा यदि वर पक्ष की मांगों की पूर्ति न नहीं होती तो वधू के साथ मारपीट, ताने मारना, गाली गलौच और तो और उसको अपनी जाने से भी हाथ धोना पडता हैा आंकडों के मुताबिक 1991 में बिहार में 530 दहेज के मामले प्रकाश में आये जिसमें 300 महिलाओं की दहेज के लिए हत्याब कर दी गयी थीा सरकारी आंकडों के अनुसार उत्तर प्रदेश 2222, 32 प्रतिशत, बिहार में 1082 मामले 15.5 प्रतिशत, मध्यर प्रदेश में 685 मामले 9;8 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 442 मामले 6;3 प्रतिशत तथा राजस्थासन में 429 मामले 6;1 प्रतिशत दर्ज हुए, इससे यह साबित होता है कि सांविधान द्वारा निर्मित कानून दहेज अधिनियम 498ए का उल्लंधन बतौर जारी हैा

बलात्कार – ये वास्त व में अत्यंलत दुर्भाग्य की बात है कि सबसे अधिक असुरक्षित, अपमानित ओर पीडामय भारत की स्त्रियों का ही जीवन हैा जहां स्त्रीन अपने आपको कहीं भी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं महसूस करती है उसे अपने अस्मित का खतरा बाहर वालों से कम सबसे अधिक परिवार, रिश्तेदारों एवं पडोसियों से रहता हैा बलात्कार एक ऐसा कृत्य है जो स्त्री को शारीरिक पीडा के साथ साथ मानसिक रूप से भी आघात करता हैा बलात्कार पीडिता महिला समाज के सामने अपमानित महसूस करती है और स्वसयं को स्त्री होने पर कोसती है क्‍योंकि मैं स्त्री हूं इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ हैा राष्टीैय अभिलेखन ब्यूरों की रिपोर्ट के अनुसार ‘’, भारत में हर 54 मिनट में एक लडकी के साथ्‍ बलात्कार की घटना घटित होती है और हर 26 वे मिनट में छेडछाड जैसी घटनाओं से रूबरू होना पडता हैा यदि आंकडों की बात की जाये तो आंकडें वास्त्व में चौकाने वाले है ‘’नेशनल क्राइम ब्यूटरो की रिपोर्ट के अनुसार, ‘’ सन 2000 में भारत में 16496 बलात्कानर के, 32940 मामले छेडछाड के दर्ज किये गये, यदि राज्योंं की स्थिति की बात की जाये तो सन 2000 में मध्यक प्रदेश में 3737, 22;5 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 1865, 11;3 प्रतिशत, बिहार में 1570, 9;5 प्रतिशत, महाराष्‍ट में 1310, 7;9 प्रतिशत, राज्यरस्थान में 1342, 7;5 प्रतिशत एवं दिल्लीर में 435, 2;6 प्रतिशत मामले बलात्कार के दर्ज हुए,इससे एक बात तो साबित होती है की भारत की कानून व्येवस्था् कितनी ठीक है और किस हद तक कार्य कर रही है,यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक समय ऐसा भी आयेगा जब महिलाओं को जन्म देने के बाद भी पूर्व काल की भांति मार दिया जाएगा ताकि उसके साथ ऐसा कृत्यओ न हो ा

एक तरफ मानवाधिकार कानून पर कानून बनाता जा रहा है कि महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके दूसरी तरफ पुरूष उस कानून की धज्जियां उडाता जा रहा हैा इसमें पुलिस की अहम भूमिका है क्योंकि पुलिस भी इन आरोपियों से ले कर इसको छोड देता है और बहुत से केसों में तो पुलिस द्वारा ही नारी की अस्मित लूटने का मामला सामने आता हैा

सरकार को चाहिए कि महिलाओं की स्थिति को पूर्ण रूप से सुधाने के लिए महिला पुलिस की भर्ती अधिक से अधिक करे और पुलिस से महिलाओं की सुरक्षा की मांग न करते हुए एक नया संगठन या फोर्स का निर्माण करे जिससे महिलाएं सिर उठाकर समाज में जी सकेंा

संदर्भ:- 1- नारी अस्मिता की परख- डॉ; दर्शन पाण्‍डेय
2; भारतीय महिलाओं की दशा
3; भारतीय नारी: वर्तमान समस्‍यायें और भावी समाधान- डा; आर;पी तिवारी
4; नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्‍यूरो, गृह मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्‍ली
5; राष्‍टीय अपराध रिकार्डस ब्‍यूरो, भारत सरकार