जिन्दागी है तो ख्बाब है
ख्बाव है तो मंजिलें है
मंजिलें है तो फांसले है
फांसले है तो रिस्ते है
रिश्ते है तो मुश्किलें है
मुश्किलें है तो हौसला है
हौसला है तो विश्वास है
विश्वास है तो पैसा है
पैसा है तो शोहरत है
शोहरत है तो इज्जत है
इज्जत है तो लड्की है
लड्की है तो टेंशन है
टेंशन है तो कोंशन है
कोंशन है तो खयाल है
खयाल है तो ख्बाव है
ख्बाव है तो ग्रोथ है
ग्रोथ है तो जिन्दगी है
जिन्दगी है तो ख्बाब है
Tuesday, May 25, 2010
Saturday, May 22, 2010
खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते
खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते
सदा खुशियों से भरे हों तेरे रास्ते
हंसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह
खुशबू फूल का साथ निभाती है जिस तरह
सुख इतना मिले की तू दुःख को तरसे
पैसा शोहरत इज्ज़त रात दिन बरसे
आसमा हों या ज़मीन हर तरफ तेरा नाम हों
महकती हुई सुबह और लहलहाती शाम हो
तेरी कोशिश को कामयाबी की आदत हो जाये
सारा जग थम जाये तू जब भी जाये
कभी कोई परेशानी तुझे न सताए
रात के अँधेरे में भी तू सदा चमचमाए
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये
खुशियाँ तेरे दर से न जाये
इक छोटी सी अर्जी है मान लेना
हम भी तेरे दोस्त हैं ये जान लेना
खुशियों में चाहे हम याद आए न आए
पर जब भी ज़रूरत पड़े हमारा नाम लेना
इस जहाँ में होंगे तो ज़रूर आएंगे
दोस्ती मरते दम तक निभाएंगे
सदा खुशियों से भरे हों तेरे रास्ते
हंसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह
खुशबू फूल का साथ निभाती है जिस तरह
सुख इतना मिले की तू दुःख को तरसे
पैसा शोहरत इज्ज़त रात दिन बरसे
आसमा हों या ज़मीन हर तरफ तेरा नाम हों
महकती हुई सुबह और लहलहाती शाम हो
तेरी कोशिश को कामयाबी की आदत हो जाये
सारा जग थम जाये तू जब भी जाये
कभी कोई परेशानी तुझे न सताए
रात के अँधेरे में भी तू सदा चमचमाए
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये
खुशियाँ तेरे दर से न जाये
इक छोटी सी अर्जी है मान लेना
हम भी तेरे दोस्त हैं ये जान लेना
खुशियों में चाहे हम याद आए न आए
पर जब भी ज़रूरत पड़े हमारा नाम लेना
इस जहाँ में होंगे तो ज़रूर आएंगे
दोस्ती मरते दम तक निभाएंगे
Friday, May 21, 2010
पुरूषों को भी न्याय मिले
पुरूष प्रधान समाज में हमेशा से नारी शोषण होता आ रहा है पुरूष बल पूर्वक नारी के अधिकारों को छीनता रहा है, मध्यकाल हो या उत्तर वैदिककाल, नारी पर अत्याचार होते रहे हैं। कभी दासी, कभी पत्नी, कभी रखैल बनाकर, उनका शोषण पुरूष समाज ने किया है। जो नियम पुरूष समाज को सहुलियत प्रदान करते थे उनको और हवा दी, तथा जो अधिकार स्त्रियों के पक्ष में थे, उन पर प्रतिबंध लगाया गये, ताकि अपना आधिपत्य और नारी उनके वश में बनी रहें। इसलिए पुरूश समाज ने वो सारे नियम को जो महिलाओं के पक्ष में थे धीरे-धीरे समाप्त कर दिया था। एक बात और आज तक जितने भी युद्ध हुये है उनका मुख्य कारण केवल स्त्री रही है। जैसे राम-रावण युद्ध, पाडंव-कौरव युद्ध और पृथ्वीराज चौहान-जयचन्द युद्ध आदि। वैसे वैदिक काल में नारी को अर्धांगिनी कहकर संबोधित किया जाता था। पुत्र-पुत्री के पालन-पोशण में कोई भेदभाव नहीं होता था। उपनयन संस्कार पुत्र एवं पुत्री दोनों को मिलते थे। िशक्षा प्राप्त करने को अधिकार भी स्त्रियों को पुरूशों की भान्ति ही था। विधवा पुनर्विवाह तथा पिता की सम्पत्ति में भी उनका अधिकार होता था। इस युग में पर्दां प्रथा जैसी कुप्रथा का प्रचलन नहीं था, तथा स्त्रियां किसी भी क्षेत्र में पुरूशों से पीछे नहीं थी। उत्तर वैदिककाल में महिलाओं की स्थिति में जरूर गिरवट आयी, इस काल में पुत्र प्राप्ति की इच्छा पर जोर दिया जाना आरम्भ हो गया था, तथा बाल विवाहों को प्रचलन एवं विधवा पुनर्विवाह पर रोक लगा दी गई थी। मध्यकाल स्त्रियों की दृिश्ट से काला युग कहा जा सकता है। इस युग में महिलाओं के साथ जोर-जबरदस्ती की घटनाओं होना आम बात हो गई थी। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, वैश्यावृत्ति, सती प्रथा इत्यादि कुप्रथा अपनी चरम सीमा पार कर चुकी थी। महिलाओं को पतिधर्म एवं उनके आदेशों को पालन करने के निर्देशों को इसी युग में महिलाओं पर थोपा गया था।
इस बात को मानने में किसी तर्क या प्रमाण की आवश्यकता नहीं पडे़गी, कि महिलाओं के अधिकारों का हनन, महिलाओं को प्राप्त अधिकारों के बावजूद होता है। पुरूशों द्वारा महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है, पर कितने प्रतिशत र्षोर्षो यह शोध का विशय है। आज महिलायें पुरूशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसा कोई भी क्षेत्र महिलाओं से अछूता नहीं रह गया जहां महिला काम नहीं कर सकती।
वर्तमान परिवेश में महिलायें अपने अधिकारों को दुरप्रयोग करने लगी हैं। महिलाओं को प्राप्त अधिकारों में से दो अधिकार, महिलाओं के लिए रामबाण हो सकते हैं, परन्तु पुरूश समाज के लिए यह किसी ग्रहण के समान ही हैं।
छेड़छाड़/बलात्कार। दहेज ।
आज के बदलते दौर में स्त्री का पुरूश के संपर्क में आना आम बात है चाहें उम्र कोई भी हो। कम उम्र के लड़के-लड़कियां प्यार के बारे में जानने व समझने लगे है। वो यह भी समझने लगे है कि प्यार केवल एक धोखा है, ये मात्र शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे प्यार का नाम दिया गया है। इस प्यार पर जब तक कोई आंच नहीं आती, जब तक कि यह समाज के समाने या लड़की के परिजनों की नज़रों से बचा रहता है। मुसीबत तो तब आती है जब ये समाज के सामने उजागर हो जाते है या शारीरिक सम्बंध बनाते इन्हें कोई देख लेता है। तब लड़की/लड़की के परिवार वाले लड़के पर निश्चत तौर पर बलात्कार का केस दर्ज कराते है। कि इस लड़के ने मेरी लड़की के साथ बलात्कार किया है और लड़की भी अपने परिवार का ही सहयोग करती है। ताकि वो समाज में सहनुभूति प्राप्त कर सकें। आज तो कानून इतने शक्त हो गये है कि महिला चाहे तो किसी भी पुरूश पर छेड़छाड़/बलात्कार का आरोप लगा सकती है, पुरूश केवल अपने आप को निर्दोश साबित करने में ही लगा रहता है। पुरूश के पास इस ग्रहण से बचने को कोई उपाय नहीं है। महिलाओं के पास जो दूसरा रामबाण है उसका प्रयोग करने पर इंसान स्वयं ही नही उसके परिवार वालों को भी इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। दहेज लेना व देना आम बात हो चुकी है यदि किसी को अपनी लड़की की शादी किसी अच्छे लड़के से करनी है तो वो स्वयं दहेज का प्रस्ताव रखते हैं कि आप कितना दहेज लेगें। ये बात सही है कि, लक्ष्मी आती किसी अच्छी नहीं लगती। जैसा कि मैंने ऊंपर लिखा है कि आज सभी वर्ग के लड़के -लड़कियां प्यार के माया जाल में फंस चुके है या फंसने जा रहे है। जब लड़की के मां-बाप लड़की की रजामन्दी के बावजूद उसकी शादी किसी और के साथ कर देते है तब लड़कियां छोटी सी बात को बहुत अधिक बड़ा देने का काम करती है और वो पति के घर को छोड़कर, मायके वापस आ जाती है। मायके आते ही वो अपने पति व रिस्तेदारों पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करवा देती है।
कुछ महिलायें इन अधिकारों का प्रयोग पुरूशों को नीचा दिखाने में भी कर रही हैं। बलात्कार एवं दहेज के आरोपों से बचने के लिए पुरूश के पास कोई अधिकार नहीं है और न ही कोई न्यायिक व्यवस्था। क्या इसी को समानता का अधिकार कहते है। कानून की किताब में लिखा है कि `` 100 दोशी भले ही छूट जाये पर किसी निर्दोश को सजा नहीं होनी चाहिए।´´
इन महिलाओं द्वारा पुरूशों पर लगाये जाने वाले ये झूठें आरोप से, महिलायें पुरूश का मानसिक बलात्कार जरूर कर रही हैं। आज हर 10 में से 9 प्रेम सम्बंध में लिप्त है उसी प्रेम सम्बंध के चलते लड़की के माता-पिता उसकी शादी दहेज देकर कहीं दूसरी जगह कर देते है। यह बात लड़की को गवारा नहीं होती। जिसका भुगतान लड़कों व उनके परिजनों को करना पड़ता है। लड़की दहेज हो अपना हथियार बनाकर लड़के के ऊपर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करवा देती है। जिसके चलते उन्हें समाज व कानूनी, मानसिक व शारीरिक यातनाओं का समाना करना पड़ता है। मानव अधिकार आयोग द्वारा महिलाओं को दिये गए दो अधिकारों में संशोधन की जरूरत है, और पुरूशों के लिए पुरूश अधिकारों का निर्माण करें। ताकि वे झूठे आरोप से बच सके, और पुरूशों को भी न्याय मिल सकें।
गजेन्द्र प्रताप सिंह
पीएच-डी (जनसंचार)
महात्मा गांधी अन्तरराश्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,
वर्धा (महाराश्ट्र)
मो. 09960540397
ख़बरों की खबर वह रखते हैं
ख़बरों की खबर वह रखते हैं
अपनी खबर हमेशा ढकते हैं
दुनिया भर के दर्द को अपनी
ख़बर बनाने वाले
अपने वास्ते बेदर्द होते हैं
आंखों पर चश्मा चढ़ाए
कमीज की जेब पर पेन लटकाए
कभी-कभी हाथें में माइक थमाए
चहुं ओर देखते हैं अपने लिए ख़बर
स्वयं से होते बेख़बर
कभी खाने को तो कभी पीने को तरसे
कभी जलती धूप तो कभी पानी को तरसे
दूसरों की खबर पर फिर लपक जाते हैं
मुिश्कल से अपना छिपाते दर्द होते हैं
लाख चाहे कहो
आदमी से जमाना होता है
ख़बरची भी होता है आदमी
जिसे पेट के लिए कमाना होता है
दूसरो के दर्द की ख़बर देने के लिए
खुद का पी जाना होता है
भले ही वह एक क्यों न हो
उसका पिया दर्द भी
जमाने के लिए गरल होता
ख़बरो से अपने महल सजाने वाले
बादशाह चाहे
अपनी ख़बरों से जमाने को
जगाने की बात भले ही करते हों
पर बेख़बर अपने मातहतोंं के दर्द से होतें हैं
कभी-कभी अपना खून पसीना बहाने वाले ख़बरची
खोलतें हैं धीमी आवाज में अपने बादशाहों की पोल
पर फिर भी नहीं देते ख़बर
अपने प्रति वह बेदर्द होते हैं।
अपनी खबर हमेशा ढकते हैं
दुनिया भर के दर्द को अपनी
ख़बर बनाने वाले
अपने वास्ते बेदर्द होते हैं
आंखों पर चश्मा चढ़ाए
कमीज की जेब पर पेन लटकाए
कभी-कभी हाथें में माइक थमाए
चहुं ओर देखते हैं अपने लिए ख़बर
स्वयं से होते बेख़बर
कभी खाने को तो कभी पीने को तरसे
कभी जलती धूप तो कभी पानी को तरसे
दूसरों की खबर पर फिर लपक जाते हैं
मुिश्कल से अपना छिपाते दर्द होते हैं
लाख चाहे कहो
आदमी से जमाना होता है
ख़बरची भी होता है आदमी
जिसे पेट के लिए कमाना होता है
दूसरो के दर्द की ख़बर देने के लिए
खुद का पी जाना होता है
भले ही वह एक क्यों न हो
उसका पिया दर्द भी
जमाने के लिए गरल होता
ख़बरो से अपने महल सजाने वाले
बादशाह चाहे
अपनी ख़बरों से जमाने को
जगाने की बात भले ही करते हों
पर बेख़बर अपने मातहतोंं के दर्द से होतें हैं
कभी-कभी अपना खून पसीना बहाने वाले ख़बरची
खोलतें हैं धीमी आवाज में अपने बादशाहों की पोल
पर फिर भी नहीं देते ख़बर
अपने प्रति वह बेदर्द होते हैं।
Thursday, May 13, 2010
दिल मैं हम बस जाएँगे
आँसू मैं ना ढूँदना हूमें,
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नेज़र आएँगे
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नेज़र आएँगे
Friday, May 7, 2010
बंद आंखों के झरोखे ने उसे देखा है.
हर कोई साथ नहीं
फिर भी कोई है ऐसे
सांस में जिसे हवा है
दिल में धड्कन है जैसे
हम अकेले है ये लोगों से
सुना है हमने
साथ है जो उसे देखा नहीं
खुद भी हमने
जाने क्योंै लोग बिछडने
का गिला करते है
हमसे वो ऐसे मिला की
कभी बिछडा ही नहीं
फूले थे हम तो रहा साथ
वह खूश्बूत की तरह
हम हुए झील तो वह
आ बसे पानी की तरह
आंखे कहती है की
हमने देखा ही कहां
दिल यह कहता है की
वह हमसे जुदा है ही कहां
कौन कहता है कि हमने
ना सुनी उसकी जुबां
धडकनें कहत है हम है
तो है उसकी जुबां
जो नहीं आता नजर
ना ही कभी मिलता है
बंद आंखों के झरोखे ने
उसे देखा है.
Wednesday, May 5, 2010
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा ...
तेरी दोस्ती को पलकों पर सजायेंगे हम
जब तक जिन्दगी है तब तक हर रस्म निभाएंगे
आपको मनाने के लिए हम भगवान् के पास जायेंगे
जब तक दुआ पूरी न होगी तब तक वापस नहीं आयेंगे
हर आरजू हमेशा अधूरी नहीं होती है
दोस्ती मै कभी दुरी नहीं होती है
जिनकी जिन्दगी मै हो आप जैसा दोस्त
उनको किसी की दोस्ती की जरुरत नहीं पड़ती है
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा ...
जब तक जिन्दगी है तब तक हर रस्म निभाएंगे
आपको मनाने के लिए हम भगवान् के पास जायेंगे
जब तक दुआ पूरी न होगी तब तक वापस नहीं आयेंगे
हर आरजू हमेशा अधूरी नहीं होती है
दोस्ती मै कभी दुरी नहीं होती है
जिनकी जिन्दगी मै हो आप जैसा दोस्त
उनको किसी की दोस्ती की जरुरत नहीं पड़ती है
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा ...
खूदा की खूबसूरती
खूबसूरतहै वो मुस्कु्राहट
जो दूसरों के चेहरे पर भी मुस्कायन सजा दे
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दर्द को समझें
जो किसी के दर्द में तडपे
खूबसूरत है वो जज्बामत
जो किसी का एहसास करे
खूबसूरत है वो एहसास
जो किसी के दर्द में दवा बने
खूबसूरत है वो बाते
जो किसी का दिल न दुखाएं
खूबसूरत है वो आंखें
जिस में पाकिजगी हो
शर्म हो हया हो
खूबसूरत है वो आंसू
जो किसी के दर्द को महसूस करके भी जिये
खूबसूरत है वो हाथ
जो किसी को मुस्किल वक्तम में थाम ले
खूबसूरत है वो कदम
जो किसीकी मदद के लिए
आगे बढे् !
खूबसूरत है वो सोच
जो किसी के लिए अच्छाक सोचे
खूबसूरत है वो इंसान
जिस को खुदा ने ये
खूबसूरती अदा की
जो दूसरों के चेहरे पर भी मुस्कायन सजा दे
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दर्द को समझें
जो किसी के दर्द में तडपे
खूबसूरत है वो जज्बामत
जो किसी का एहसास करे
खूबसूरत है वो एहसास
जो किसी के दर्द में दवा बने
खूबसूरत है वो बाते
जो किसी का दिल न दुखाएं
खूबसूरत है वो आंखें
जिस में पाकिजगी हो
शर्म हो हया हो
खूबसूरत है वो आंसू
जो किसी के दर्द को महसूस करके भी जिये
खूबसूरत है वो हाथ
जो किसी को मुस्किल वक्तम में थाम ले
खूबसूरत है वो कदम
जो किसीकी मदद के लिए
आगे बढे् !
खूबसूरत है वो सोच
जो किसी के लिए अच्छाक सोचे
खूबसूरत है वो इंसान
जिस को खुदा ने ये
खूबसूरती अदा की
Tuesday, May 4, 2010
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