सरोकार की मीडिया

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Tuesday, July 24, 2018

मना है.......


मना है.......

जी हां...मना है...... थूकना मना है, गंदगी फैलाना मना है, वाहन खड़ा करना मना है, तीन सवारियां बैठना मना है, बिना टिकट यात्रा करना मना है, प्‍यार करना मना है, दूसरे धर्म-जाति में विवाह करना मना है, बलात्‍कार करना मना है, जुर्म करना मना है, स्‍कूल/क्‍लास बंक करना मना हैं, लड़कियों से छेड़खानी करना मना है, लिंग का पता लगाना मना है, रिश्‍वत लेना मना है, देहज लेना-देना मना है, ट्रेन की चैन खिचना मना है, धर्म-जाति के नाम पर मतभेद फैलाना मना है, ऐसी बहुत सारे काम है जिनके लिए सरकार ने मनाही कर रखी है। फिर भी क्‍या आम जनता इस मनाही को मानती है। जवाब मिलेगा नहीं.....क्‍योंकि जिस बात की मनाही या जिसे करने से लोगों को रोका जाता है लोग उसे ही ज्‍यादा करते दिखाई देते हैं। चाहे कुछ भी हो..... और जिसे करने की लोगों को छूट दे दी जाती है, कुछ समय के उपरांत लोग उसे करने में अपने आप को नीरस से महसूस करने लगते हैं। जैसे बचपन में माता-पिता द्वारा कहा जाता है यह काम मत करना, फिर भी हम लोग वही काम को अंजाम दे ही देते थे.... बाद में जो होता है वह सभी को पता है, बाद की फिक्र उस समय नहीं थी...हां यह पता था कि इस काम को करने के लिए मना किया गया है और यदि यह काम किया तो हमारी पिटाई निश्चित होनी ही है...फिर भी मना किए काम को कर ही देते थे। वैसे ही लोगों की फिदरत हो गई है कि लाख मना करने और उस काम को करने के बाद सजा का पता होने पर भी उस काम को अंजाम दे ही देते हैं।
हालांकि यह लोग आम लोग होते हैं परंतु जब सरकार के उच्‍च पदों पर आसीन व्‍यक्ति ही अपने पावर के गलत इस्‍तेमाल करते हुए दिखाई देते हैं तो लगता है क्‍या सारी मनाही सारा प्रतिबंध सिर्फ आम लोगों पर ही थोपा जाना चाहिए.... सरकारी पदों पर आसीन लोगों के लिए यह मनाही नहीं होती....हां भई उनके पास पावर जो है वह कुछ भी कर सकते हैं। गंदगी से लेकर मना की हुई जगह पर वाहनों को खड़ा भी कर सकते हैं क्‍योंकि आपके पास पावर जो है और आपका पुलिस कुछ नहीं बिगाड सकती.... और यही काम यदि किसी आम व्‍यक्ति ने किया होता तो उसका चालान तो पक्‍का काट दिया जाता.... क्‍योंकि वह आम आदमी जो ठहरा.....वैसे इनके चालक और इन्‍हें सामने लगा बड़ा सा बोर्ड तक दिखाई नहीं दिया.......जिस पर साफ-साफ लिखा हुआ था...वाहन खड़ा करना मना है......वैसे इनकी गलती नहीं है फिदरत ही ऐसी है मना किया है तो करना ही है....और यदि लिखा होता होता कि यहां वाहन खड़ा करें तो वहां नहीं करते......जैसे लिखा रहना है कि यहां पर कूड़ा फैंके.... वहां नहीं फैंकना है। खुले में पेशाब न करें... पर खुले में ही करना है मूत्रालय का प्रयोग नहीं करना है। कॉडोम का प्रयोग करें...नहीं करना है। कम बच्‍चें पैदा करें... नहीं करना है। अपने बच्‍चों को शिक्षा दिलवाए....नहीं दिलवानी है। आपस में प्‍यार से रहे... नहीं रहना है। महिलाओं का सम्‍मान करें.... नहीं करना है, ऐसे बहुत सारे काम हैं जिन्‍हें करने को कहा जाता है परंतु उन्‍हें नहीं किया जाता......और जिसे करने के लिए मना किया जाता है उसे करते हैं.......यानि ठीक उल्‍टा.......... खैर क्‍या किया जा सकता है....यहीं सोच के बाद आगे कुछ नहीं लिखा गया........ वैसे यह  प्रतिक्रिया उक्‍त सरकारी  वाहन  जिसे  झांसी  रेलवे  स्‍टेशन  पर... वाहन  खड़ा करना  मना है  के  स्‍थान  पर  खड़ा  करने पर  लिखा  गया  है।  क्‍योंकि इतना बड़ा  बोर्ड    तो  ड्राइवर  को  दिखा न  ही  उसमें  विराजमान  उच्‍च  अधिकारी को......

Monday, July 16, 2018

सरकार की कोई जिम्‍मेदारी नहीं....


सरकार की कोई जिम्‍मेदारी नहीं....
बिना हेटमेट..... जुर्माना 200 रूपए
नो पार्किंग में पार्किंग..... जुर्माना 300 रूपए
नो एंट्री में वाहन..... जुर्माना 500 रूपए
प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं.... जुर्माना 1200 रूपए
ट्रिपल सीट ड्राइविंग...... जुर्माना 1500 रूपए
प्‍लास्टिक का उपयोग..... जुर्माना 5000 रूपए
खबरा सिग्‍नल..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
सड़क पर गड्ढ़े..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
अति‍क्रमित फुटपाथ.... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
सड़क पर रोशनी नहीं..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
सड़क पर कचरा बह रहा है..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
सड़कों पर लाइट के खंभे नहीं..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
खुदी सड़क कोई मरम्‍मत नहीं..... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
गड्ढ़ों में गिर कर आप चोटिल हो.... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
आवारा गायें जानवर टकरा जाए, कुत्‍ता काट ले...... कोई जिम्‍मेदारी नहीं है
ऐसा लगता है कि जनता ही एकमात्र अपराधी है और जुर्माना देने के लिए उत्‍तरदायी है। प्रशासन, निगम और सरकार कोई जिम्‍मेदार नहीं है। उनके लिए कोई नियम लागू नहीं होते हैं। वे किसी भी चूक के लिए कभी जिम्‍मेदारी नहीं हैं। उन्‍हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
नागरिक केवल काम करेंगे..... दर्द का सामना करेंगे.... कर चुकाना होगा.... जुर्माने का भुगतान करेगा... सरकार के खजाने/जेब भरें... और उन्‍हें फिर से सत्‍ता में लाने के लिए वोट दें..... क्‍योंकि  सरकार की कोई जिम्‍मेदारी नहीं.....

Friday, July 13, 2018

बाजार से गायब 2000 रूपए का नोट


बाजार से गायब 2000 रूपए का नोट
नोट बंदी के बाद जिस 2000 रूपए के नोट के लिए पूरा देश लाइन में खड़ा दिखाई दे रहा था वो अब वह बाजार से गायब होता दिखाई दे रहा है। जिसके पास है उसके पास है। यदि वो बाजार में आता है तो गायब हो जाता है। इसका विश्‍लेषण हम साफ तौर पर देख सकते हैं कि 2000 रूपए का नोट किस तरह से गायब हो रहा है या गायब करवाया जा रहा है, क्‍योंकि बैंकों से और उनके एटीएम मशीनों से अब 2000 रूपए के नोट मिलना व निकलना बंद हो गए हैं। बैंकों से मिलते है तो 500 रूपए के नोट और एटीएम मशीनों से 100 व 500 रूपए के नोट। आखिर इतनी मात्रा में छपे 2000 रूपए के नोट कहां गायब हो गए। इस बारे में केवल कवायतें लगाई जा सकती है कि कहीं बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा इनका पुन: संचय करना प्रारंभ तो नहीं कर दिया या फिर यह सरकार की कोई सोची समझी साजिश तो नहीं थी अपना काला धन सफेद कराने की, और जब वह काला धन सफेद हो गया तो 2000 रूपए के नोट ही गायब करवा दिए बाजार से। ऐसा भी प्रश्‍न मन में उठ रहे हैं कि आने वाले लोकसभा के चुनाव के कारण कहीं इनका संचय तो नहीं किया जा रहा जिसका उपयोग वर्तमान सरकार अपने चुनाव प्रचार व वोटरों को खरीदने में करने वाली है। यदि ऐसा नहीं है तो कहां गायब हो रहे हैं 2000 रूपए के नोट। सरकार को इस ओर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। यदि वक्‍त रहते नहीं संभला गया तो इसके दुष्‍परिणाम कुछ और ही दिशा में देश को लाकर खड़ा कर देगें। इसका अंदाजा आने वाले समय में देखा जा सकता है।

Wednesday, July 11, 2018

वाह रे रूपया! तेरे कितने नाम


वाह रे रूपया! तेरे कितने नाम

मंदिर में दिया जाए तो - चढ़ावा
स्कुल में - फ़ीस
शादी में दो तो - दहेज
बारात में लुटाया जाए – निछवर
तलाक देने पर - गुजारा भत्ता
आप किसी को देते हो तो - कर्ज
अदालत में - जुर्माना
सरकार लेती है तो - कर
सेवानिवृत्त होने पे - पेंशन
अपहर्ताओ के लिएं - फिरौती
होटल में सेवा के लिए - टिप
बैंक से उधार लो तो - ऋण
श्रमिकों के लिए - वेतन
मातहत कर्मियों के लिए - मजदूरी
अवैध रूप से प्राप्त सेवा - रिश्वत
और मुझे दोगे तो - गिफ्ट
मैं रूपया हूं........
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूं...
मैं रूपया हूं.......
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसंद न करने लगें।
मैं रूपया हूं...... 
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।
मैं रूपया हूं......
मैं नमक की तरह हूं; जो जरुरी तो है मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।
मैं रूपया हूं......
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिर भी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।
मैं रूपया हूं....
मैं कुछ भी नहीं हूं; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।
मैं रूपया हूं....
मैं आपके पास हूं तो आपका हूं:! आपके पास नहीं हूं तो; आपका नहीं हूं...मगर मैं आपके पास हूं तो सब आपके हैं।
मैं रूपया हूं.....
मैं नई-नई रिश्तेदारियां बनाता हूं; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूं।
मैं रूपया हूं.....
मैं सारे फसाद की जड़ हूं; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं...?
हां मैं रूपया हूं................

Monday, July 9, 2018

मीडिया से गंदगी साफ करने की आवश्‍यकता


मीडिया से गंदगी साफ करने की आवश्‍यकता
आओ देखे समस्या कहां है, कुछ समझने की कोशिश करें कि बलात्कार अचानक इस देश में क्यों बढ़ गए हैं??? इसे कुछ उद्धरण से समझते हैं जैसे.....
1. लोग कहते हैं कि रेप क्यों होता है ?
एक 8 साल का लड़का सिनेमाघर में राजा हरिशचंद्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बड़ा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया। परंतु आज 8 साल का लड़का टीवी पर क्या देखता है ? सिर्फ नंगापन और अश्‍लील वीडियो और फोटो, मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो, पड़ोस में रहने वाली भाभी के छोटे कपड़े !!
इस पर लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की मानसिकता है। पर वो मानसिकता आई कहां से ? उसके जिम्मेदार कहीं- न-कहीं हम खुद जिम्मेदार है। क्योंकि हम संयुक्‍त परिवार में अब नहीं रहते। हम अकेले रहना पसंद करते हैं। और अपना परिवार चलाने के लिये माता-पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर पड़ता है। वहीं बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिए टीवी और इंटरनेट का सहारा लेते हैं। और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही अश्‍लील वीडियो और फोटो, तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ? अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा-दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा। कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।
2. पूरा देश रेप पर उबल रहा है, छोटी-छोटी बच्चियों से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है। कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को तो कई महिलावादी स्त्रियां सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !
लेकिन आप सुबह से रात तक कई बार सनी लियोन के कंडोम के विज्ञापन देखते हैं ..!!  फिर दूसरे विज्ञापन  में रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है...!!  ऐसे ही क्‍लोज अप,
लिम्का, थम्‍सअप, और बहुत सारे डियो के विज्ञापनों में भी दिखाता है। लेकिन तब आपको गुस्सा नहीं आता है... है ना ???
आप अपने छोटे बच्चों के साथ संगीत  चैनल पर सुनते ही हैं......
दारू बदनाम कर दी,  कुंडी मत खड़काओ राजा, मुन्नी बदनाम, चिकनी चमेली, झंडू बाम, तेरे साथ करूंगा गंदी बात, और न जाने ऐसी कितनी मूवीज के गाने देखते और सुनते हैं। तब आपको गुस्सा नहीं आता ??
मम्मी बच्चों के साथ स्‍टार प्‍लास, जीटीवी, सोनी टीवी देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते हैं, किस करते हैं, आंखो में आंखे डालते हैं, और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है,
टप्पू के पापा और बबिता जिसमें एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा पूरे परिवार के साथ देखते हैं। इन सब सीरियल को देखकर आपको गुस्सा नहीं आता ?? हंसी आती है, मजा आता है आप लोगों को। फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है। पर आप बड़े मजे लेकर देखते है, इन सब को देखकर आपको गुस्सा नहीं आता ?? 
खुलेआम टीवी- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते हैं। उनके मन मे जहर घोलते हैं। तब आपको गुस्सा नहीं आता ? क्योंकि आपको लगता है कि रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है..... लेकिन क्या समाज और मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?
आप तो अखबार पढ़कर, न्‍यूज देखकर बस गुस्सा निकालेंगे। कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को, डीपी बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन....टीवी चैनल्स, बॉलीवुड, मीडिया को कुछ नहीं कहेंगे। क्योंकि वो आपके मनोरंजन के लिए है।
सच पुछिऐ तो टीवी चैनल्‍स अश्‍लीलता परोस रहे है ... पाखंड परोस रहे है, झूंठे विज्ञापन परोस रहे है, झूंठे और सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहे हैं। उनकी भी गलती नहीं है। क्योंकि आप खरीददार हो .....?? बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।
3. अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है।
जैसे ही ब्रेक आए:- पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है, दूसरा कंडोम का, तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला, और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का...... जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है। क्योंकि "हादसा एक दम नहीं होता, वक़्त करता है परवरिश बरसों....!" ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..
4. आज सोशल मीडिया, इंटरनेट और फिल्मों में @ पोर्न परोसा जा रहा है। तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना।  ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए, ये घटनाएं नहीं रुकने वाली है।
इंतजार कीजिए बहुत जल्‍द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर हमारा स्‍वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मीडिया देने वाला है। अगर ब भी आप बदलने की शुरूआत नहीं करते हैं तो समझिए कि ...... फिर कोई भारत की बेटी निर्भया एवं अन्‍य बेटियों की तरह बर्बाद होने वाली है। आपको आपकी बेटियां बचना है तो सरकार, कानून, पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज, मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्‍यकता है.....