सरोकार की मीडिया

ad

Wednesday, July 11, 2018

वाह रे रूपया! तेरे कितने नाम


वाह रे रूपया! तेरे कितने नाम

मंदिर में दिया जाए तो - चढ़ावा
स्कुल में - फ़ीस
शादी में दो तो - दहेज
बारात में लुटाया जाए – निछवर
तलाक देने पर - गुजारा भत्ता
आप किसी को देते हो तो - कर्ज
अदालत में - जुर्माना
सरकार लेती है तो - कर
सेवानिवृत्त होने पे - पेंशन
अपहर्ताओ के लिएं - फिरौती
होटल में सेवा के लिए - टिप
बैंक से उधार लो तो - ऋण
श्रमिकों के लिए - वेतन
मातहत कर्मियों के लिए - मजदूरी
अवैध रूप से प्राप्त सेवा - रिश्वत
और मुझे दोगे तो - गिफ्ट
मैं रूपया हूं........
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूं...
मैं रूपया हूं.......
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसंद न करने लगें।
मैं रूपया हूं...... 
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।
मैं रूपया हूं......
मैं नमक की तरह हूं; जो जरुरी तो है मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।
मैं रूपया हूं......
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिर भी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।
मैं रूपया हूं....
मैं कुछ भी नहीं हूं; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।
मैं रूपया हूं....
मैं आपके पास हूं तो आपका हूं:! आपके पास नहीं हूं तो; आपका नहीं हूं...मगर मैं आपके पास हूं तो सब आपके हैं।
मैं रूपया हूं.....
मैं नई-नई रिश्तेदारियां बनाता हूं; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूं।
मैं रूपया हूं.....
मैं सारे फसाद की जड़ हूं; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं...?
हां मैं रूपया हूं................

No comments: