मना है.......
जी हां...मना है...... थूकना मना है, गंदगी फैलाना
मना है, वाहन खड़ा करना मना है, तीन सवारियां बैठना मना है, बिना टिकट यात्रा करना
मना है, प्यार करना मना है, दूसरे धर्म-जाति में विवाह करना मना है, बलात्कार
करना मना है, जुर्म करना मना है, स्कूल/क्लास बंक करना मना हैं, लड़कियों से
छेड़खानी करना मना है, लिंग का पता लगाना मना है, रिश्वत लेना मना है, देहज
लेना-देना मना है, ट्रेन की चैन खिचना मना है, धर्म-जाति के नाम पर मतभेद फैलाना
मना है, ऐसी बहुत सारे काम है जिनके लिए सरकार ने मनाही कर रखी है। फिर भी क्या
आम जनता इस मनाही को मानती है। जवाब मिलेगा नहीं.....क्योंकि जिस बात की मनाही या
जिसे करने से लोगों को रोका जाता है लोग उसे ही ज्यादा करते दिखाई देते हैं। चाहे
कुछ भी हो..... और जिसे करने की लोगों को छूट दे दी जाती है, कुछ समय के उपरांत
लोग उसे करने में अपने आप को नीरस से महसूस करने लगते हैं। जैसे बचपन में माता-पिता
द्वारा कहा जाता है यह काम मत करना, फिर भी हम लोग वही काम को अंजाम दे ही देते
थे.... बाद में जो होता है वह सभी को पता है, बाद की फिक्र उस समय नहीं थी...हां
यह पता था कि इस काम को करने के लिए मना किया गया है और यदि यह काम किया तो हमारी
पिटाई निश्चित होनी ही है...फिर भी मना किए काम को कर ही देते थे। वैसे ही लोगों
की फिदरत हो गई है कि लाख मना करने और उस काम को करने के बाद सजा का पता होने पर
भी उस काम को अंजाम दे ही देते हैं।
हालांकि यह लोग आम लोग होते हैं परंतु जब सरकार के
उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति ही अपने पावर के गलत इस्तेमाल करते हुए दिखाई देते
हैं तो लगता है क्या सारी मनाही सारा प्रतिबंध सिर्फ आम लोगों पर ही थोपा जाना
चाहिए.... सरकारी पदों पर आसीन लोगों के लिए यह मनाही नहीं होती....हां भई उनके
पास पावर जो है वह कुछ भी कर सकते हैं। गंदगी से लेकर मना की हुई जगह पर वाहनों को
खड़ा भी कर सकते हैं क्योंकि आपके पास पावर जो है और आपका पुलिस कुछ नहीं बिगाड सकती....
और यही काम यदि किसी आम व्यक्ति ने किया होता तो उसका चालान तो पक्का काट दिया
जाता.... क्योंकि वह आम आदमी जो ठहरा.....वैसे इनके चालक और इन्हें सामने लगा
बड़ा सा बोर्ड तक दिखाई नहीं दिया.......जिस पर साफ-साफ लिखा हुआ था...वाहन खड़ा
करना मना है......वैसे इनकी गलती नहीं है फिदरत ही ऐसी है मना किया है तो करना ही
है....और यदि लिखा होता होता कि यहां वाहन खड़ा करें तो वहां नहीं करते......जैसे
लिखा रहना है कि यहां पर कूड़ा फैंके.... वहां नहीं फैंकना है। खुले में पेशाब न
करें... पर खुले में ही करना है मूत्रालय का प्रयोग नहीं करना है। कॉडोम का प्रयोग
करें...नहीं करना है। कम बच्चें पैदा करें... नहीं करना है। अपने बच्चों को शिक्षा
दिलवाए....नहीं दिलवानी है। आपस में प्यार से रहे... नहीं रहना है। महिलाओं का
सम्मान करें.... नहीं करना है, ऐसे बहुत सारे काम हैं जिन्हें करने को कहा जाता
है परंतु उन्हें नहीं किया जाता......और जिसे करने के लिए मना किया जाता है उसे
करते हैं.......यानि ठीक उल्टा.......... खैर क्या किया जा सकता है....यहीं सोच
के बाद आगे कुछ नहीं लिखा गया........ वैसे यह
प्रतिक्रिया उक्त सरकारी वाहन जिसे झांसी रेलवे स्टेशन पर... वाहन
खड़ा करना मना है के स्थान पर खड़ा करने पर
लिखा गया है। क्योंकि
इतना बड़ा बोर्ड न तो ड्राइवर
को दिखा न ही उसमें विराजमान
उच्च अधिकारी को......
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