सरोकार की मीडिया

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Monday, April 26, 2010

मैंने देखी है मौत

मैंने देखी है मौत,
 पाप और पंक की भी


मैं नहीं चाहता, कोई स्त्री

बिखर जाए टुकड़ों में

उसे फान्दना न पड़ें इतने कंटीले तार

और सिर्फ अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए

किसी और औरत को लांघना न पड़े

यह गहन अख्य

उसके पीछे न पड़ जाए, कोई अरना भैंसा

न निकलना पड़ें, उसे किसी

पुरूश की गुफा से लहुलुहान

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