औरत के शरीर में एक अजब-सी कसक होती हैं उसके शरीर की बनावट इस प्रकार होती है कि कोई भी पुरूश उसके यौवन को देखकर उसकी तरफ मोहित हो जाता है। वह उसकी चाह से प्रेम नहीं करता, उसके जिस्म से चाह करने लगता है। उसको, बस जिस्म की चाह रहती है। तो हर पुरूश के बस में होती है।
मैं औरत के शरीर की क्या कल्पना करूं वह एक पुश्प मात्र होती हैं, जो उगती, सालों में कली बनती, फिर इंसान के हाथों कली से फूल का रूप धारण कर लेती है यहीं और के साथ होता है जिसे हर इंसान भोगना चाहता है। पे्रम तो एक बहाना हैं एक धोखा हैं, एक छलावा हैं, एक अनजानी शुरूआत, जिसमें वह चलाता है चलता है चलता ही रहता हैं।
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