कोई लड़की किसी अंजान लड़के से इतना प्यार कैसे करने लगती है कि वह अपना सब कुछ प्यार पर लुटा देता है। क्या इसमें लड़कों का ही हाथ होता है, कि वह लड़की को प्यार के जाल में फसाकर उसके साथ शारीरिक सम्बंध स्िाापित कर या बना लेते हैं।
ये लड़कियां, लड़कों में ऐसा क्या देख लेती है कि वह अपनी व अपने मां-बाप की इज्जत ताक पर रखकर सब कुछ लुटा देती है, बाद में पछतावें के सिवाह कुछ नहीं बचता। ये लड़कियां समय के साथ मानसिक तौर पर असहाय महसूस करने लगती हैं। इन लड़कियों के शादी के बाद कुछ घर ही बच पाते हैं अधिकाश घर इसी वजह से टूट जाते हैं, कि मेरी पत्नी का शादी से पहले किसी दूसरे के साथ सम्बंध तो नहीं था, पता नहीं अब भी है के नहीं।
जो लड़के- लड़कियां घर से दूर पढ़ाई करते है वह किसी न किसी के संपर्क में जरूर आते हैं, और प्यार के बाद या प्यार के नाम पर सेक्सर्षोर्षो
शायद लड़कियां प्यार की भूखी होती है तभी लड़कों के स्नेहभाव, कामों में मदद व परेशारियों में साथ देने के चलते, उसे सब कुछ सौंफ देती हैं, क्योंकि लड़कियां उसे प्यार समझ लेती है। परन्तु वह प्यार नहीं होता, यह केवल एक विपरीत लिंग के प्रति झुकाव होता है।
कुछ भी कहें चाणक्य ने सही कहा है कि पुरूश की तुलना में औरत में आठ गुना सेक्स ज्यादा होता है। इस सेक्स के उवाल को कम करने के लिए शादी से पहले, और शादी के बाद ............. करती हैं।
नहीं तो कोई लड़की अपना सब कुछ किसी अल्पजान लड़के को कैसे सौप देती है। इस बारे में शोध करना पड़ेगा, तब कहीं इसका समाधान व प्रश्नों के उत्तर सूचारू रूप से सामने आ सकेंगे।
इनमें भी लड़कियों के मां-बाप कहीं न कहीं दोशी जरूर है जो वक्त रहते उनकी शादी नहीं करते। लड़कियों की शादी 18-20 साल की उम्र में कर ही देनी चाहिए, हर किसी को उम्र के साथ-साथ शारीरिक जरूरतों को भी पूरा करने की इच्छा जािग्रत होती है। वक्त रहते शादी हो जाए तो ठीक, नहीं तो ..........र्षोर्षो
आज बहुत-सी लड़कियां 18-20 साल की उम्र में शादी नहीं करना चाहती, वो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है, इस कारण से इनके मां-बाप इन्हें पढ़ने से नहीं रोकते। पर यह लड़कियां पढ़ाई के नाम पर, पढ़ाई नहीं करती बल्कि, पढ़ाई के साथ अपनी शारीरिक जरूरतों को भी पूरा करती रहती है, तभी तो मां-बाप के कहने पर लड़कियां शादी करने से साफ मना या अभी पढ़ रही हंू कह कर टाल देती हैं। मां-बाप की बात को लड़कियों को तब एहसास होता है जब यह सब कुछ लुटा देती हैं, तब यह सोचती है कि माता-पिता की बात मान ली होती, तो यह दिन न देखना पड़ता। यहां एक कहावत ठीक बैठती है कि अब पछतायें होत क्या, जब चिड़ियां चुग गई खेत।
आज लड़कियां-लड़कों से कंधा मिलाकर जरूर चल रही है पर वह लड़कों के पद चिन्हों पर चलने लगी है तभी तो अपनी तरक्की व शारीरिक जरूरतों की पूर्ति के लिए कुछ भी करने लगी है।
अब शायद औरत विश्वास के पात्र नहीं रहीं, उसको पहले समझा जा सकता था, परन्तु अब नहीं, क्योंकि जब बाहमा जी औरत को बनाने के बाद नहीं समझ सकें तो हम इंसान किस खेत की मूली है। औरत अब सिर्फ और सिर्फ धोखा देने लगी है।
यह एक अखण्ड सत्य है।
No comments:
Post a Comment