सरोकार की मीडिया

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Monday, April 12, 2010

शर्म के बारे में पूछता है कोई जब हमसे


शर्म के बारे में पूछता है कोई जब हमसे



हां कह देते है हम कि हमें भी आती है कभी-कभी


रिश्ता हमारा टूट चूका है वैसे तो शर्म से


पुराने सम्बंधों के आधार पर आ जाती है बस कभी-कभी


भीड़ में रहें तो कह देते है कि आती है शर्म


बाकी नज़रें चुरा-चुरा कर देख लेते है कभी-कभी


चाहते तो नहीं पर समय जब पूछता है हिसाब और


जमाना कहता है तो झांक लेते है गिरेवां में कभी-कभी


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