शर्म के बारे में पूछता है कोई जब हमसे
शर्म के बारे में पूछता है कोई जब हमसे
हां कह देते है हम कि हमें भी आती है कभी-कभी
रिश्ता हमारा टूट चूका है वैसे तो शर्म से
पुराने सम्बंधों के आधार पर आ जाती है बस कभी-कभी
भीड़ में रहें तो कह देते है कि आती है शर्म
बाकी नज़रें चुरा-चुरा कर देख लेते है कभी-कभी
चाहते तो नहीं पर समय जब पूछता है हिसाब और
जमाना कहता है तो झांक लेते है गिरेवां में कभी-कभी
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