सरोकार की मीडिया

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Monday, April 26, 2010

मैं इतना टूटा हुआ हूं कि छूने से ही बिखर जाऊंगा


मैं इतना टूटा हुआ हूं कि छूने से ही बिखर जाऊंगा


ईश्वर ने मुझें मिट्टी का पुतला बनाया है

जो चल सकता है,

दौड़ सकता हैं,

वह खाता है,

पीता हैं

उसके अन्दर दिल भी बनाया है

जो हर सेकेण्ड में धड़कता रहता है

यदि दिल की धड़कन रूक गई तो वह मनुश्य उसी ईश्वर में समा जाता हैं

और, ईश्वर फिर उसे किसी न किसी रूप में धरती पर भेज देता हैं।

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