सरोकार की मीडिया

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Saturday, September 8, 2018

आए हैं तो चढ़ौत्री तो चढ़ाईए


आए हैं तो चढ़ौत्री तो चढ़ाईए
...................कहे या मंदिर........ चढ़ावा दोनों जगह चढ़ाना पड़ता है। जिस प्रकार पूरे भारत देश में 33 करोड़ देवी-देवताओं का बास है। उसी प्रकार पूरे देश में इनका ही राज कायम है। आपको किसी भी प्रकार की समस्‍या है तो आईए और चढ़ावा चढ़ा कर अपनी समस्‍या का समाधान करवा सकते हैं। भगवान विराजमान है। जितना बड़ा भगवान यदि आपकी समस्‍या का समाधान कर रहा है तो उसे उतना ही अधिक चढ़ौत्री चढ़ानी पड़ेगी। बिना चढ़ौत्री के आपकी समस्‍या ज्‍यों-के-त्‍यों बनी रहेगी। एक बार आप मंदिर में भगवान के समक्ष चढ़ौत्री चढ़ाना भूल सकते हैं, भगवान इस संदर्भ में आपसे कुछ नहीं कहेंगे। हां वहां पर विराजमान पंडित इस संदर्भ में कुछ जरूर कर सकते हैं कि बिना चढ़ौत्री के भगवान अपनी कृपा आपके और आपके परिवार के ऊपर नहीं बनाएं रखेंगे। परंतु यहां तो आपको चढ़ाना ही चढ़ाना है भूल नहीं सकते। भूल गए तो समझ लीजिए आपके साथ क्‍या-क्‍या हो सकता है। वहां पर विराजमान उक्‍त देवी-देवता नाराज हो सकते हैं और आपकी समस्‍या घटने के स्‍थान पर और भी बढ़ सकती है। वैसे अधिकांश लोग इस मंदिर में जाने से कतराते रहते हैं, परंतु किंहीं कारणों से (अपनी समस्‍या के निवारण हेतु) लोगों का तांता इन मंदिरों में लगा रहता है। ऐसा कोई दिन गुजरता, जब इन मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ नहीं लगती हो...... कभी-कभी मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ जमा नहीं होती, तो उक्‍त देवी-देवता अपने भक्‍तों को बुलावा भिजवा देते हैं, नहीं तो स्‍वयं जाकर ही भक्‍तों को उठा लाते हैं या उठवा लेते हैं। यदि देवी-देवता स्‍वयं जाकर भक्‍तों की समस्‍या का समाधान करते हैं तो चढ़ावा कम चढ़ाना पड़ता है। क्‍योंकि वहां पर देवी-देवता कम होते हैं। और यदि यह भक्‍त एक बार मंदिर में आ गए तो सभी देवी-देवताओं को चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। क्‍योंकि मंदिर में विराजमान छोटे-बड़े देवी-देवताओं में चढ़ावा विभाजित किया जाता है। जितना बड़ा भगवान उसे चढ़ावा अधिक दिया जाता है। क्‍योंकि चढ़ावा नीचे से लेकर ऊपर तक चढ़ता है। नहीं तो कोई भी देवी-देवता आपसे रूष्‍ठ हो सकता है।
आप लोग सोच रहे होंगे यह कैसा मंदिर है जहां बिना चढ़ावा के कुछ नहीं होता.... तो आप ठीक ही समझ रहे हैं कि इन मंदिरों में बिना देवी-देवताओं को चढ़ावा चढ़ाए आपकी समस्‍या का कभी समाधान  नहीं हो सकता। क्‍योंकि लोग गाहे-बगाहे अपने कृत्‍यों के चलते, अपनी समस्‍याओं के चलते, कभी-कभी तो बिना कुछ किए भी, इन देवी-देवताओं के चंगुल में फंस जाते हैं या फंसा दिए जाते हैं। तब आपके पास और कोई रास्‍ता नहीं बचता। यदि आपको फंसा दिया गया है या अपने कृत्‍यों के चलते फंस गए हैं तो चढ़ावा चढ़ाईए और मुक्‍त हो जाए। क्‍योंकि इन देवी-देवताओं से पीछा छुड़ाने का एक मात्र उपाए हैं चढ़ौत्री....। हां यह बात और है कि आप किसी प्रभुद्धशाली पंडित से सिफारिश करवा सकते हैं जिससे चढ़ौत्री की राशि कुछ कम जरूर हो सकती है परंतु चढ़ौत्री से मुक्ति नहीं मिलेगी.... चढ़ानी तो पड़ेगी। वैसे जिन लोगों के पास चढ़ावे के लिए कुछ नहीं होता तो उन्‍हें यह देवी-देवता बड़े घर का रास्‍ता भी दिखा देते हैं। तो आपको यदि बड़े घर का रास्‍ता नहीं देखना हो तो बिना किसी हिचकिचाहट के जब भी कभी आप फंस जाए या फंसा दिए जाए तो बस देवी-देवताओं को प्रसन्‍न कर दीजिए और ताकि आप मुक्‍त हो सके।
नोट- उक्‍त लेख किसी मंदिर, देवी-देवताओं या अन्‍य किसी व्‍यक्ति विशेष या किसी सरकारी संस्‍था से सरोकार नहीं रखता, यदि ऐसा होता है तो मात्र इसे एक संयोग समझा जाए। उक्‍त लेख का उद्देश्‍य किसी की भावना को आहत पहुंचाना नहीं है।  

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