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Saturday, August 4, 2018

एक आशियान इनके लिए भी............हो


एक आशियान इनके लिए भी............हो

सरकार चाहे जिसकी भी रही हो या बन जाए, शायद ही निम्‍न गरीबों (भीख मांग कर अपना गुजारा करने वाले) को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं पहुंच पाती हो। हां सरकार द्वारा जो भी योजनाएं गरीबों के लिए बनाई जाती हैं वो बनती तो गरीबों के लिए हैं परंतु उन तक नहीं पहुंच पाती हैं। यह लाभ अमीर वर्ग के लोग अपने आप को गरीब दर्शा कर लूट लेते हैं। चाहे राशन हो या रहने के लिए दी जाने वाली छत। यह अमीर वर्ग के लोग चंद पैसे उक्‍त कर्मचारियों को खिलाकर गरीबों का हक छीन लेते हैं। और सरकार समझती है कि गरीबों को दी जानी वाली योजनाओं का लाभ उन तक पहुंच चुका है, पर ऐसा नहीं है जिनको लाभ मिलना चाहिए उन तक शायद ही कभी पहुंचा हो। क्‍योंकि देखा जा सकता है कि उक्‍त अमीर वर्ग के यह लालची जिनका नाम अन्‍त्‍योदय राशन कार्ड (बीपीएल) में दर्ज है और यह लोग बाकायदा गरीबों का हक छीनते दिखाई दे जाते हैं। तभी तो चाहे बीएसपी द्वारा कांशीराम आवास योजना बनाई हो, एसपी द्वारा लोहिया आवास योजना हो या फिर बीजेपी द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना हो।
इन आवासों में गरीब वर्ग के कम और अमीर वर्ग के लोग अधिकांशत: मिल जाएंगे जिनके पास खुद की दो पहिया से चार पहिया तक की गाड़ी होती है। और तो और कुछ लोगों ने तो सरकार द्वारा मिले आवास को किराए पर भी दे रखा है जिसकी खैर खबर शायद कभी सरकार लेती हो कि वास्‍तव में जरूरत मदों को इन योजनाओं का लाभ मिल रहा है या सिर्फ कागजों पर ही खुद को गरीब दर्शाकर अमीर वर्ग को तो नहीं दिया जा रहा।
यदि ऐसा नहीं है तो इन लोगों के बारे में सरकार कौन सी योजनाएं संचालित करती है जो अपनी जीविकोपार्जन हेतु दिनभर भीख मांगते हैं और रात्रि में यहां-वहां जहां रात गुजर जाए वहीं रात गुजारकर पुन: सुबह भीख मांगने निकल जाते हैं और फिर वहीं रात गुजारने की चिंता इनके सामने खड़ी हो जाती है। क्‍योंकि यह वो लोग है जिनको सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिला। और यह वहीं लोग हैं जिनको इनके घरवालों ने (बच्‍चों ने) घर से बेघर करके इस स्थिति में ला खड़ा कर दिया, कि वह भीख मांगकर अपना गुजर बसर करने पर मजबूर हो जाते हैं। जिन लोगों ने अपने बच्‍चों की हर खुशी के लिए अपने मुंह तक का निवाला भी दे दिया हो। फिर जब बच्‍चे सक्षम हुए, बड़े हो गए और उनके माता-पिता असक्षम हुए और बुढ़े हो गए, तो निकाल देते हैं घर से। जो घर उन लोगों ने अपने खून-पसीने की कमाई से बनाया था।
सरकार को ऐसे लोगों पर भी ध्‍यान देने की जरूरत है क्‍योंकि संविधान में सभी को जीने और रहने के लिए छत का प्रावधान दिया गया है। और यदि सरकार इन लोगों को रहने व खाने की व्‍यवस्‍था नहीं कर सकती तो वह इतना तो की ही सकती है कि इन लोगों को (भीख मांगकर गुजर-बसर करने वालों को) बुलाकर इनकी समस्‍या का समाधान करने के लिए, इनके बच्‍चों को समझाना चाहिए कि वह अपने बुर्जुग मां-बाप को अपने पास रखे, और यदि वह लोग अपने मां-बाप को साथ रखने के लिए नहीं माने तो इनके बच्‍चों पर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि उक्‍त लोगों की समस्‍या का पूर्णत: समाधान हो सके। और यह लोग भी अपने जीवन के अंतिम पल ठीक-ठाक तरीके से तो गुजार सके।

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