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Tuesday, November 7, 2017

कैशलेस का दर्द

कैशलेस का दर्द
आज रात्रि के 9 बजे के अपने कार्यक्रम जनमन में ए बी पी द्वारा यह दिखाने की भरकस कोशिश की जा रही थी कि मोदी द्वारा कैशलेस की योजना कितनी साकार साबित हुई.... अपने कार्यक्रम में ए बी पी द्वारा अपने कुछ महिला एंकरों को लिया... जो यह दिखाने का प्रयास करती हुई नजर आई कि मोदी की कैशलेस योजना वास्‍तव में कारगर साबित हुई... महिला एंकरों में से एक महिला एंकर द्वारा अपने न्‍यूज कार्यालय नई दिल्‍ली से देहरादून तक का सफर किया। जिसमें सबसे पहले उक्‍त एंकर ने ऑन लाइन आई आर सी टी सी से अपना टिकट बुक किया....जिसका भुगतान उसने अपने एकाउंट से किया, इसके पश्‍चात उसने ओला कैब बुक करकेअपने न्‍यूज कार्यालय से नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पहुंची और ओला कैब का भुगतान पेटीएम के माध्‍यम से किया.... इसके बाद वह नई दिल्‍ली से शताब्‍दी ट्रेन पकड़कर 5 घंटें के सफर के उपरांत देहरादून पहुंची और फिर वहां से फिर उसके ओला कैब की और देहरादून के प्रमुख बाजार पहुंची, ओला कैब का भुगतान पेटीएम के द्वारा ही किया गया... बाजार में उक्‍त एंकर द्वारा कुछ चुंनिदा दुकानों पर खरीददारी की और उसका भुगतान भी पेटीएम द्वारा करते दिखाया गया.... फिर एक जगह एक स्‍वेटर खरीदा उसका भुगतान कैश में किया गया... इसके बाद उसने खाना खाया और खाने का भुगतान भी पेटीएम द्वारा किया गया बाद में देहरादून से शताब्‍दी ट्रेन पकड़कर नई दिल्‍ली पहुंचते हुए दिखाया जाता है... और फिर यह भी बताया जाता है कि 87 प्रतिशत मेरी यात्रा कैशलेस रही.... इस पूरी स्‍टोरी को देखने के उपरांत एक तो बहुत गुस्‍सा आया फिर हंसी आने लगी... कि किस प्रकार मोदीमय मीडिया कुछ भी दिखाने लगी है.... वैसे इस कार्यक्रम का यदि वास्‍तव में विश्‍लेषण किया जाए तो उक्‍त महिला एंकर हकीकत से कोसों दूर नजर आएगी... क्‍योंकि उक्‍त एंकर को जो दिखाना था उसके द्वारा दिखाया गया पर वास्‍तविक हकीकत से जरा से रूबरू हो जाती तो अच्‍छा था.... आपने अपने  ऑफिस में बैठकर अपना टिकट ऑन लाइन बुक कर लिया...वो भी शताब्‍दी एक्‍सप्रेस में....जरा महोदया जी यह भी देख लेती कि देश की कितने प्रतिशत जनता वास्‍तव में ऑन लाइन टिकट कर पाने  में सक्षम हैं और कितने प्रतिशत जनता जनरल बोगियों में सफर करती है... उन लोगों से पूछ लेते कैशलेस का वास्‍तविक दंश.... जितने प्रतिशत पूरी ट्रेन में सवारियों की संख्‍या होती है उसके कहीं अधिक उन जनरल बोगियों में होते हैं जिनको अपने एक सिरे से नजर अंदाज कर दिया.....खैर आगे चलते हैं अपने ओला कैब बुक कर लिया और पहुंच गए रेलवे स्‍टेशन और भुगतान किया पेटीएम से.... अब यह भी बता देती तो बेहतर ही होता कि कितने प्रतिशत लोग ओला कैब का प्रयोग करते हैं.. और  यह वर्ग कौन सा है।  क्‍या (किसान वर्ग, मजदूर वर्ग,  दिहाड़ी वर्ग और आम आदमी यह ओला कैब का प्रयोग करते हैं  जबाव मिलेगा नहीं यह वह लोग है जो बसों में सफर करते हैं ट्रेक्‍सी में सफर करते हैं पर ओला का प्रयोग नहीं कर पाते) ओला कैब का प्रयोग सिर्फ धनाढ्य वर्ग के लोग ही अधिक करते हैं  जैसा उक्‍त महिला एंकर द्वारा किया गया...  इसके बाद प्रश्‍न यह उठता है कि कितने प्रतिशत लोग अच्‍छे होटलों पर खाना खाते हैं.... अरे भई आम जनता उन ढावों पर, उन ठेलों पर खाना खा कर अपना गुजारा कर लेते हैं जहां पर 25 से 30 रूपए में भोजन मिल जाता है वह इन होटलों की तरफ रूख नहीं कर सकते जहां 200 से 250 रूपए में खाना मिलता है क्‍योंकि इनके आमदनी ही दिन की 200 रूपए होती है.. अब बात यह है क्‍या यह ढावें और ठेलों पर खाना बेचने वाले पेटीएम से भुगतान ले सकते है या यह मजदूर वर्ग पेटीएम से भुगतान करने की वास्‍तविक स्थिति में दिखाई देते हैं। जबाव मिलेगा नहीं।

खैर एबीपी के एंकरों द्वारा जो दिखाया गया वह मोदीमय कारनामों को सही ठहराने मात्र था कि  मोदी द्वारा कैशलेस कितना कारगर साबित हुआ.. सो उनके द्वारा दिखा दिया गया... अगर वास्‍तविक हकीकत जाननी हो तो जनरल बोगी में यात्रा करते हुए किसी गांव में चले जाए औकात पता चल जाएगी.... कि क्‍या सही है और क्‍या गलत.... एसी बोगियों में और एसी गाडियों में सफर करने वाले क्‍या कभी जनरल बोगियों में यात्रा करने वाले लोगों का दर्द समझ पाए हैं जो अब समझेंगे.....बाकि मीडिया है और मोदी सरकार ने मीडिया के लिए 400 करोड़ की रकम पहले से ही रख रखी है तभी तो सभी चैनल मोदीमय गुणगान गाते हुए दिखते हैं.....

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