जूते की अभिलाषा
चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊं
चाह नहीं दूल्हे के पग में रह, साली को
ललचाऊं
चाह नहीं धनिक के चरणों में, हे हरि डाला
जाऊं
ए.सी. में, कालीन में घूमूं, और भाग्य पर इठलाऊं
बस निकाल कर मुझे पैरों से, उस मुंह पर
तुम देना फेंक
जिस मुंह से भी नेताओं ने जनता से झूठे वादे किए अनेक....
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