ललितपुर
नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अभी से नदारत नजर आ रही हैं। चुनाव
प्रचार उनके पति/पुत्रों एवं समर्थकों द्वारा संपन्न किया जा रहा है। जब आलम अभी
से यह है तो चुनाव के समापन्न के उपरांत क्या होगा.... यह सोचने वाली बात
है...वैसे होने वाला तो यह है कि जो भी महिला प्रत्याशी चुनाव जीतेगी सिर्फ नाम
उसका चलेगा और सत्ता उनके पतियों/पुत्रों द्वारा संचालित की जाएगी...क्योंकि जिस
तरह से देखने को मिल रहा है उससे अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि इन महिलाओं की
कोई खास छवि नहीं है, बस इनके
पति/पुत्र अपनी छवियों को भुनाने की कावायदें कर रहे हैं ताकि सत्ता पर काबिज हो
सके.... और सत्ता मिलने के बाद जो होना है वो तो जग जाहिर है.... चुनावी वादे हैं
जो शायद ही कभी पूरे होते हो... क्योंकि सत्ता की चमक चुनावी वादों पर ग्रहण लगा
देती है। यह ग्रहण कुछ समय का नहीं बल्कि पूरे के पूरे पांच साल चलता है और इनके द्वारा
किए गए वादे सत्ता की चकाचौंध में कहीं चौंधियां से जाते हैं....वैसे मैं किसी भी
प्रत्याशी एवं उनके पतियों/पुत्रों की योग्यता पर प्रश्नचिह्न नहीं लगा रहा...
वनस्पत जो होता आ रहा है उसी का स्वरूप दिखाने की कोशिश कर रहा हूं कि जो अभी तक
होता आया है उसमें कुछ नया क्या जुड़ने वाला है.... बाकि जनता तो उल्लू है आज इस
डाल पर कल उस डाल पर....
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