मैरिटल रेप के दोनों पक्षों
पर विचार हो
मैरिटल रेप पर विगत कुछ दिनों से फेसबुक पर
चर्चा आम होती जा रही है कि, शादी के बाद महिला साथी के
बगैर मर्जी के सेक्स को मैरिटल रेप माने। अब सवाल यह भी उठता है कि महिला की
मर्जी हो और पुरूष की मर्जी ना हो इसके बावजूद उक्त महिला (पत्नी) अपने पति को
मजबूर करें सेक्स करने के लिए, तो इसे की कैटेगरी में रखा
जाए। इस पर भी बहस होनी चाहिए। एक पक्ष को लेकर तर्क, वितर्क
या कुतर्क नहीं करना चाहिए। दोनों पक्षों
पर विचार करना चाहिए। क्योंकि पुरूष ही नहीं अपितु,
महिला भी अपने पति को मजबूर करती है सेक्स करने के लिए। हालांकि शादी के बाद भी
महिला चाहती है कि उसकी मर्जी के बगैर (इच्छा के विपरीत) यदि उसका पति सेक्स के
लिए मजबूर करे तो उसे मैरिटल रेप में रखा जाए। तो फिर ऐसा कर लेना चाहिए कि शादी
करें और अलग-अलग ही रहे। जब दोनों की आपसी सहमति हो तो मिलें और सेक्स करें। और
नहीं तो अलग-अलग तो रह ही रहे हैं.... जैसा अधिकांश
प्रेमी/प्रेमिकाओं के बीच में होता है। वह आपसी सहमति से सेक्स करते हैं जब दोनों
की सहमति होती है तो, नहीं तो अलग-अलग
तो रह ही रहे होते हैं। ठीक इसी प्रकार करना चाहिए। इससे महिलाओं के इच्छा के
विपरीत उसका पति उसके साथ सेक्स नहीं कर सकेगा और महिलाओं को मैरिटल रेप से भी
मुक्ति मिल जाएगी।
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