यौन शोषण मामले में राम रहीम अपराधी साबित ....
15 साल पुराने साध्वी यौन शोषण मामले में
सीबीआई, पंचकुला कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख
गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दे दिया है.... सजा 28 अगस्त को तय की जाएगी...
सूत्रों के मुताबिक बाबा राम रहीम को 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती
है। बाबा को जेल भेजने से पहले बाबा का मेडिकल कराया जाएगा फिर सेना व पुलिस की
सुरक्षा में उसे जेल भेज जाएगा। अब देखना यह है 3-4 दिनों से
बाबा अंध भक्त पंजाब व पंचकुला में अपना डेरा डाले हुए थे उनकी क्या प्रतिक्रिया
हो सकती है.... हालांकि पांच राज्यों में हाईअलर्ट है, तीन राज्यों में धारा 144 पहले ही लगा दी गई थी, साथ ही चप्पे चप्पे पर पुलिस और अर्धसैनिक बल भी तैनात हैं। कर्फ्यू जैसे
हालात बने हुए हैं। अब सेना को भी बुला लिया गया है जिससे स्थिति को नियंत्रण में रखा जाए.... क्योंकि राम
रहीम के खिलाफ फैसला आने पर उपद्रव होने का डर है। डेरा समर्थक कहते हैं कि अगर
राम रहीम के खिलाफ फैसला आया तो वे मर जाएंगे और मार देंगे। उपद्रव को ध्यान
में रखते हुए आज हाईकोर्ट ने प्रशासन को साफ तौर पर कह
दिया है कि यदि कोई भी बवाल होता है तो उसको रोकने के लिए बल का प्रयोग करें, परंतु स्थिति को नियंत्रण में रखा जाए....
आज की स्थिति पर गौर करें तो गुरमीत 800 गाडियों के काफले के साथ पंचकुला पहुंचे थे जहां सुनवाई के दौरान पहले वह
हाथ मलते रहे फिर हाथ जोड़ लिए... और पूरी सुनवाई के दौरान वह सिर नीचे करके खड़े रहे...कहीं
न कहीं वह माफी मांगते नजर आए, सुनवाई पूरी होने के बाद जज
जगदीप सिंह ने गुरमीत राम रहीम को साध्वी के रेप में दोषी पाया.... और सजा का निर्धारण
28 अगस्त को करने का निर्णय लिया है....वैसे साध्वी से यौन शोषण के साथ ही 2
हत्याओं को लेकर भी शक की सुई डेरे की ओर है। इस मामले की भी सुनवाई अंतिम चरण में
है और जल्द ही फैसला आ सकता है।
पूरे मामले को समझा जाए तो मई 2002 में डेरा
सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह पर उनकी एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया।
साध्वी ने एक गुमनाम पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया जिसकी एक कॉपी पंजाब एवं
हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई। इस मामले पर कार्रवाई की जा
रही थी कि 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत
सिंह की हत्या हो गई। डेरे को शक था कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के
रहने वाले रणजीत ने अपनी ही बहन से वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है। रणजीत की
बहन डेरे में साध्वी थी और उसने पत्र लिखे जाने से पहले डेरा छोड़ दिया था। रणजीत
की उस समय हत्या हुई जब वह अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने
खेतों में नौकरों के लिए चाय लेकर जा रहे थे। हत्यारों ने अपने गाड़ी को जीटी रोड
पर खड़ा रखा और गोलियों से भूनने के बाद फरार हो गए। चर्चा रही कि रणजीत सिंह ने
डेरे के कई तरह के भेद खोलने की धमकी दी थी।
जनवरी 2003 में हाई कोर्ट में पुलिस जांच से
असंतुष्ट रणजीत के पिता व गांव के तत्कालीन सरपंच जोगेंद्र सिंह ने याचिका दायर कर
सीबीआई जांच की मांग की। 24 सितंबर 2002 को हाई कोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले
में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए।
सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
वहीं 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य
दैनिक 'पूरा सच' के संपादक रामचंद्र
छत्रपति पर कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां
मारी गईं। बताया जाता है कि साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित
करने की वजह से संपादक पर हमला किया गया। आरोप लगे कि मारने वाले डेरे के आदमी थे।
25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा। 21 नवंबर 2002 को सिरसा
के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई।
दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस
जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग
की। परिवार का आरोप था कि मर्डर के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता को पुलिस बचा रही
है। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में
याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की। याचिका में
डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया।
हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या
मामलों की सुनवाई इकट्ठी करते हुए 10 नवंबर 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच
के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच
शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर
सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को
स्टे कर दिया।
नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद
सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के
आदेश दिए। सीबीआई ने पुन: उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य
लोगों को आरोपी बनाया। जांच के बौखलाए डेरा के लोगों ने सीबीआई के अधिकारियों के
खिलाफ चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया।
जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व
साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआई
ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। न्यायालय ने
डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया। डेरा
ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा
मांगनी पड़ी। न्यायालय ने हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी
डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को नियमित जमानत दे दी जबकि हत्या मामलों के सहआरोपी जेल
में बंद थे। तीनों मामले पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में हैं। 2007 से
लेकर अब तक इन तीनों मामलों की अदालती कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए डेरा
सच्चा सौदा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2007 में सीबीआई अदालत अंबाला में थी। उस
दौरान पेशी के लिए न्यायालय द्वारा अंबाला बुलाए जाने पर डेरा प्रमुख की ओर से
वहां हजारों समर्थकों को एकत्रित कर शक्ति प्रदर्शन किया गया और लगातार अदालत पर
दबाव की रणनीति के तहत डेरा प्रेमियों ने लाठियां लहराईं। पेशी से परमानेंट छूट मांगी
गई।
वहीं जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा के बावजूद
डेरा प्रमुख को जान का खतरा बताते हुए डेरा सच्चा सौदा से लेकर अदालत परिसर तक
डेरा के लठैत पेशी के दौरान मानव शृंखला बनाए रहते हैं। साध्वी यौन शोषण मामले में
डेरा पक्ष की ओर से 98 गवाहों की सूची अदालत को सौंपी गई थी। अनेक उलझनों व
रुकावटों को पार करते हुए अब 15 साल बाद 25 अगस्त को गुरमीत को आखिरकार साध्वी यौन
शोषण मामले में दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया गया है।
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