सरोकार की मीडिया

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Sunday, May 7, 2017

कहां गई वो मोमबत्तियां.....

कहां गई वो मोमबत्तियां.....

आज एक शादीशुदा महिला के साथ उसके पति के सामने 8 लोगों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया... जिसे हमारे कुछ मीडिया चैनलों ने मात्र एक छोटी सी खबर बनाकर पेश किया....वहीं कुछ चैनलों को इस खबर से कोई सरोकार नहीं दिखा.... और न ही कहीं कोई मोमबत्तियां दिखाई दी, न कहीं कोई जलूस दिखाई पड़ा, न कोई हो-हल्‍ला.... न न्‍याय की मांग, न कानून में परिवर्तन, न बलात्‍कारियों को फांसी की सजा मांग, न ही न्‍यूज चैनलों पर बड़े-बड़े बुद्धजीवियों द्वारा कोई डिबेट....न चर्चा, न परिचर्चा.... क्‍या यह बलात्‍कार की श्रेणी में नहीं आता... क्‍या बलात्‍कार सिर्फ निर्भया के साथ हुआ था.... जिसे लेकर हजारों लोग दिल्‍ली में तख्‍तियां लेकर न्‍याय की और बलात्‍कारियों को फांसी देने की मांग कर रहे थे...इस महिला के साथ 8 लोगों ने गैंगरेप किया, शायद यह इनकी दृष्टिकोण से बलात्‍कार की श्रेणी में नहीं आता होगा…. तभी तो चारों तरफ सन्‍नाटा पसरा पड़ा है.... या फिर कुछ और कारण तो नहीं है जो निर्भया के साथ हजारों की भीड़ खड़ी हो गई थी... और इस महिला के साथ कोई भी नहीं….शायद यह एक दलित महिला थी, तभी इसकों न्‍याय दिलाने के लिए कोई सामने आता नहीं दिख रहा है....

अभी 5 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड के सभी दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रखी है और इसके बाद यह कांड..... क्‍योंकि उनको भी पता है कि हमारे देश की न्‍याय व्‍यवस्‍था कितनी लचीली है..... कुछ नहीं बस केस चलता रहेगा.... और हम खुले आम घूमते रहेंगे हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.... और यदि 5-10 साल बाद सजा हो भी गई तो सजा कितनी 2-5 साल की होगी.... जिस हम हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चेंलेज कर देंगे फिर वहां भी 2-5 साल केस चलेगा..... हमारा कुछ नहीं होगा.....यही वास्‍तविक हकीकत है..... जो निर्भया के पहले और निर्भया के बाद न जाने कितनी निर्भया इस दंश को झेलने पर मजबूर होंगी.... क्‍योंकि सिर्फ निर्भया ही थी जिसके पीछे एक हजूम दिखा बाकि तो सब ऐसे ही थी... क्‍योंकि किसी नेता ने कहा था बलात्‍कार होना आम बात है और किसी अन्‍य नेता ने कहा था कि बच्‍चों से गलतियां हो जाती है.... और सबको पता है बच्‍चे गलतियां करते रहते हैं..... पर एक दलित महिला के साथ हुए गैंगरेप के बाद लगता है कि हमारे समाज का कुछ नहीं हो सकता.... क्‍योंकि पीडिताओं को कभी न्‍याय नहीं मिल सकता और दोषियों को न ही सजा...

3 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुद्ध पूर्णिमा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

सुशील कुमार जोशी said...

सोचनीय।

'एकलव्य' said...

आदरणीय, अत्यंत विचारणीय ,आभार। "एकलव्य"