सरोकार की मीडिया

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Friday, May 8, 2015

गांधारी तुम आज भी जीवित हो

गांधारी तुम आज भी जीवित हो
जब भी आज किसी बेटे से कोई
अपराध हो जाता है 
हर किसी की सोच में
गांधारी....
तुम आज भी जीवित हो जाती हो  

घटना दुखद तो
उस के प्रतिफल मे

तुम आज भी 
खून के आँसू बहाती हो |

आलोचना,प्रतिवाद
रिश्तों के नागफणी के जंगल में
रिश्तों का तार-तार होना
उसके दर्द में,
गांधारी  

तुम आज भी दर्द से तड़पती हो |


एक पात्र जो रच दिया
इतिहास ने
वो अपने आप में  

बार बार दोहराया जाता है

कपटी-कुटिल समाज में
इतनी कठिन परीक्षाओं के
बाद भी

ज़रा सी गलती के उपरांत 
बेटे को दुर्योधन 

और माँ को गांधारी बना दिया जाता है 

हाँ....सच है ...मैं डरती हूँ 
गांधारी बनने से

 क्यों कि
आज के वक्त में
मैं भी बेटों की माँ हूँ
इस लिए किसी भी हाल में

समाज के चलन और बुराइयों को
नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकती 

तभी तो मुझे भी 
किसी के बेटे की गलती पर 

गांधारी सा देखा जाता है ||

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