सरोकार की मीडिया

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Monday, April 11, 2011

ऐसा कोई पेड् नहीं जिसको यह हवा न लगी हो

यह बात सौलह आने सच है कि एक उम्र के बाद कोई भी अछूता नहीं रहता कोई कम कोई ज्यादा करता जरूर है क्योकि शारीरिक परिवर्तन एवं आस पास का माहौल को देखकर मन भी उसी दिशा में भटकने लगता है जिस प्रकार हवा चलने पर सभी पेड हवा की दिशा में हिलने लगते है वह लाख कोशिश करे अपने आपको हिलने से नहीं रोक सकते उनको हिलना ही पडता है चाहे वो चाहे या न चाहे. हर इंसान को उसी दिशा में चलना ही पडता है. जहां सभी जा रहे है जैसा कर रहे हैं करना पडता है मन चाहे या न चाहे. पर मन कुछ समय बाद करने लगता है आखिर मन है जिस प्रकार खाना खते हुए दिखने पर मन भी खाना खाने का करने लगता है चाहे आपने खाना खाया हो या नही. उसी तरह जो एक व्यक्ति करता है वह काम दूसरा भी शुरू कर ही देता है. आजकल के पहनावे को ले तो समझ में आ जाएगा कि एक व्यक्ति जिस प्रकार वस्त्रों को पहनकर समाज के सामने आता है धीरे धीरे उसी तरह वस्त्रों को कई लोग पहनने लगते है और वह फैशन में आ जाता है.



ऐसी ही इंसान की फिदरत में शुमार है जिस तरह की प्रेम कहानी सुनायी जाती है लैला मजनू हीर राझां सीरी फरहाद रोमियो जूलियट जो एक दूसरे के लिए अपनी जान कुर्बान कर सकते थे और की भी. मैंने शायद शब्द का प्रयोग इसलिए किया क्यों कि मेरे पास इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है जिससे मैं यह साबित कर सकू कि ये लोग भी थे जिनकी प्रेम कहानी हम सभी को सुनायी जाती है सुनायी जाती रहेंगी. उन्ही का अनुसरण करने की कोशिश युवा पीढी भी कर रही है वह अपने नामों को इन नामों के साथ जोडने की भरकस कोशिश करते है कुछ कामयाब भी हो जाते है इस कोशिश के चलते यह अपनी गली मोहल्ले में मशहूर हो जाते हैं . इसके अलावा और कुछ नहीं होता. केवल मोहल्ले में बदनामी फैलती है कि फलां फलां का लडका उस लडकी के पीछे पडा है या उस लडकी का चक्कर किसी लडके के साथ में है. वह उससे मिलती है जब यह बात मां बाप को पता चलती है तब वह यह सिद्यध करने के लिए कि हमारा बच्चा सही है हम अपने बच्चोंक पर प्रतिबंध लगा सकते है. अपने बच्चों को थोडा डाट मार पीट देते हैं या कुछ समय के लिए घर की चार दीवारी में बंद कर देते हैं इसके अलावा वो कुछ नहीं कर सकते. बच्चा करता अपनी मर्जी का ही है. और इन प्रेम कहानी की तरह वह अपने प्यार को परवान चढाता रहता है. एक समय के बाद वो अपना सब कुछ प्रेम प्यार के नाम पर लुटा चुका होता है. लडका अपना समय धन तथा लडकियां अपनी इज्ज‍त. इन प्रेम कहानियां का अंजाम सबको पता होता है.सब जानते हैं कि इन प्यार करने वालों का कभी मिलाप नहीं पाया, और नही इन का हो पाएगा.



लडकों का क्या है वह कुछ भी कर सकते है लडकी को सीता की भांति अग्नि परीक्षा देनी ही पडती है, चाहे वो कुछ भी कर लें.



ऐसा ही होता है लडके का चाहे कितनी भी लडकियों के साथ संबंध क्यों न हो, शादी के लिए लडकी कुंआरी ही चाहिए. जिस कारण से वो हमेशा ही शक करता रहता है कि मेरी पत्नि का कहीं किसी के साथ संबंध तो नहीं था या है, वह यह नहीं सोचता कि जब वो राम नहीं बन सकता, तो वह सीता की आशा कैसे कर सकता है. आज न तो कोई राम है, न ही कोई सीता. सबका दामन दागदार है चाहे इसका पता चले या न चलें, यह तो उसकी अंतर आत्मा ही बता सकती है कि वो कितना पवित्र है.



बहुत बार सुनने में आता है कि शादी की रात लडका अपने जीवन की सारी दास्ता न किताब के पन्नों की तरह धीरे धीरे खोल देता है, परन्तु लडकियां कभी यह नहीं बताती, कि उसकी किसी लडके के साथ दोस्ती भी थी, या संबंध भी थे. वह शादी के बाद पतिर्वता बनने की भरसक कोशिश में लगी रहती है. अपनी पुरानी जिंदगी को किसी कब्र में दफन कर देती है. जब उस प्या र की पुण्यीतिथि आती है तो उसे याद कर लिया जाता है, वह उसे पूर्णत नहीं भूल पाती. वो अपने पति में भी उसको तलाशती रहती है. चाहे साथ खाना हो या संबंध बनाते समय, उसकी याद आ ही जाती है कि वो ऐसा करता था, वो वैसा करता था, पर उसे भुला नहीं पाती. लडकियां लाख कोशिश कर ले वो अपने पहले प्या,र को नहीं भुला पाती. प्यार हो या अपने जीवन में घटित कोई भी घटना, इंसान उसे कभी भी नहीं भूला पाता.
ये तो हवा है हर इंसान को लगती है और लगती ही रहेगी, कोई इससे नहीं बच पाया, न ही बचेगा.



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