सरोकार की मीडिया

test scroller


Click here for Myspace Layouts

Wednesday, June 15, 2011

मीडिया राजनीतिक पूर्वग्रह की गिरफत में

बहुत दिनों से सोच रहा था कि इस मुद्दे पर लिखा जाए या नहीं, रहा नहीं गया. सोचा मन में उथल-पुथम मची रहेगी, मन में जो गुवार उठ रहा है शायद शांत हो जाए. लिखने का एक और मकसद भी है कि मैं इसे अपने ब्लॉग पर पोस्ट करूगां तो ब्‍लॉग पढने वाले मेरे द्वारा प्रकाशित लेख पर अपनी टिप्पणीयां जरूर देगें, साथ-ही-साथ आम जनता भी इस मुद्दे से मुखातिब भी हो जाएगी, कि किस प्रकार मीडिया राजनीतिक पूर्वग्रह की गिरफत में आ चुका हैं.मैं सही कह रहा हूं या गलत. बहुत से लोगों को मेरी बात पर विश्वास नहीं होगा, वो भी मेरे द्वारा कहीं जाने वाली एक-एक बात को कहीं पूर्वाग्रह से ग्रसित न समझ लें. समझ लेने में कोई बुराई नहीं है, परंतु मीडिया पूर्वाग्रह से ग्रसित हो चुकी है, वो भी राजनैतिक पार्टियों के हाथों में अपनी कमान सौंपकर. फिर इस जनसरोकर से किस को सरोकार रह जाएंगा. वक्‍तवे-वक्त ये मीडिया हम गरीब बेरोजगारों, भूख से तिल-तिल मरते लोगों,और जब भूख बर्दास्त नहीं होती तो आत्ममहत्या के लिए मजबूर होते लोगों की सुध लेता था. अब वो भी राजनैतिक पार्टियों का बंदर बन गया है. उछलता है, कूदता है, करतब दिखाता है और मादरियों के गुणगान गाता रहता है.पिछले कुछ सप्ताह से मैं देख रहा था कि एक न्यूज चैनल किसी पा‍र्टी विशेष की महिमामडन कर रहा है.कि इस पार्टी की सरकार के कार्यकाल में जनता को क्या-क्या सुख-सुविधा मुहैया करायी गयी,गरीब लोगों के लिए क्या-क्या किया गया, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों के लिए आवास की व्यवस्था करायी गई आदि-आदि. बढा चढाकर दिया जा रहा था.क्या ये राजनीति से ग्रसित मीडिया है,जो सत्ता में काबिज लोगों का व्यखायान कर रही है.इसका तात्पर्य यह है कि मीडिया राजनैतिक पार्टियों के हाथों बिक चुका है. आज बहुत सारे समाचार चैनल खबरों को दिखाने का काम कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश समाचार चैनल किसी न किसी पार्टी का गुणगान गाते रहते है.जिसको आम जनता समझ नहीं पाती कि ये समाचार चैनल किस पार्टी के लिए काम कर रहें है.परंतु मीडिया को सोचना चाहिए कि वो आम जनता के साथ खिलवाड कर रही है.जिस पार्टी के बारे में मीडिया बढा चढाकर प्रस्तुत करती है उसके कार्यकाल में और क्या -क्या घटित हुआ,उसको दरकिनार करने की कोशिश मीडिया द्वारा बखूवी की जाती है. इसका मूल कारण इन राजनैतिक पार्टियों के द्वारा दी जाने वाली मोटी रकम से है जिससे ये चैनल चल रहे है और इन न्यूज चैनल के संवाददाता व रिर्पोटरों को प्राप्त होने वाली सुख-सुविधाओं से भी है जो इन पार्टियों द्वारा दी जाती है.जिसकी वजह से मीडिया इनके आगे-पीछे इनकी बढाई करते नहीं थकता.मीडिया का पूर्वग्रह से ग्रसित होना वा‍कैयी में चिंता का विषय बनता जा रहा है. इस प्रकार से नेताओं और पार्टियों द्वारा किये जाने वाले कार्यों को मक्खन लगाकर परोसने को हम पेड न्यूओज की श्रेणी में भी रख सकते हैं.वैसे सभी समाचार चैनल में कार्यरत पत्रकार भ्रष्ट और लालची नहीं होते, और न ही नेताओं तथा राजनीति के हाथों में खेलने के लिए खुद को प्रस्तु्त करते हैं.परन्तु एक बडी संख्या में पत्रकार व न्यूज चैनल के मालिक इस मक्खलनबाजी में लिप्त हैं.जो पूर्वग्रह से ग्रसित होकर इन नेताओं की गाते बजाते रहते हैं.ये मीडिया आज ये भी भूल गई है कि समाज में हर तबके पर जनता के साथ इन नेताओं द्वारा शोषण किया जा रहा है. किसी भी राज्य के काबिज सरकार की बात करें या फिर केन्द्र में बैठी सरकार या फिर विपक्ष में हल्ला मचाने वाली कोई पार्टी.सभी के द्वारा जनता का शोषण हो रहा है,आये दिन मानवाधिकार का हनन,महिलाओं के साथ छेड्छाड,बलात्कारर,बाहुबलियों द्वारा जमीनों को अधिग्रहण, पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों के खिलाफ, तमंचे या चाकू दिखाकर शस्त्रु अधिनियम में मुकदमा चलाना और वाहवाही लूटने के लिए या किसी रंजिश का बदला लेने के लिए किसी-न-किसी व्यलक्ति को मुठभेड में मारने का दम भरना और समाज को बताना कि जिस व्यक्ति को मुठभेड में मारा गिराया है वो फलां-फलां गिरोह का वांछित संगीन अपराधी था.ऐसी बहुत सारी वारदातें आए दिन घटित होती रहती है,जिससे अपराध का ग्राफ दिनों-दिन बढता जा रहा है और मीडिया भी वो ही खबरों को प्रसारित/प्रकाशित करता है जिसमें उसका कुछ स्वार्थ सिद्ध्‍ा हो रहा हो. रह तो वो लोग जाते है जो अपने हक की लडाई लडने में अस्मसर्थ हैं, गरीब है, और हर बार सरकार द्वारा छले जाते है.इन असमर्थ लोगों का सहारा बनी मीडिया ने भी इस तबके से मुंह मोड लिया है और पीडित जनता को अपने हाल पर छोड दिया है. क्यों कि मीडिया अब राजनैतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो गई है.

No comments: