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Friday, May 3, 2019

तुम्‍हारी औकात से परे


तुम्‍हारी औकात से परे
2019 के लोक सभा चुनाव के चार चरण संपन्‍न हो चुके है बाकि तीन चरणों के चुनाव होना बाकि है। यह सात चरणों के चुनावों के परिणाम क्षेत्रों के सांसदों व प्रधानमंत्री का फैसला करेंगे, यह सब जानते हैं। इसमें नया क्‍या है। सही है नया तो कुछ भी नहीं, और नया क्‍या हो सकता है। मैं तो बस चुनाव में खड़े कुछ दिग्‍गज उम्‍मीदवारों की चर्चा कर रहा हूं। राहुल गांधी जो अमेठी और रायबरेली के इतर और कहीं चुनाव नहीं लड़ते। वही मुलायम सिंह और अखिलेश मैनपुरी व सैफई छोड़कर कहीं अपना दांव नहीं अजमाते। इसके साथ ही इस सूची में और भी उम्‍मीदवार हैं जिनकी अपनी अपनी मांद है। और यह अपनी माद छोड़कर और कहीं शिकार खेलने नहीं जाते। डर लगता है कहीं और इनका शिकार न कर ले जाए। और वर्षों से कमाई इज्‍जत मिट्टी में न मिल जाए। यही सब मोदी के अंदर भी देखा गया है कि वह वाराणसी के इतर और कहीं अपनी किस्‍मत नहीं आजमा रहे। यानि अपनी अपनी मांद छोड़कर कहीं और शिकार करना नहीं चाहते....... यदि वास्‍तव में आपने विकास किया है तो अपनी मांद को छोड़कर राहुल, मुलायम, मायावती, अखिलेश, ममता, लालू के गढ़ में जाकर सेंघ लगाए तो जाने कि वास्‍तव में आप शिकारी हो। अपनी-अपनी गली में तो कुत्‍ता भी शेर होता है। छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों से लड़ने में क्‍या विकासगिरी है। लड़ना है तो दूसरों के घर में घुसकर लड़ों, सबको उनकी औकात समझ आ जाएगी। कौन कितने पानी में है।
अब करते हैं विकास की बात तो विकास के नाम पर जो चस्‍मा सरकार ने जनता की आंखों पर पहना रखा है उससे सिर्फ कालपनिक विकास दिखाई देता है वास्‍तविक विकास तो कोसों दूर है। यदि बड़े-बड़े उद्योगपतियों की जेबों को भरना विकास है तो हम जरूर कहेंगे कि विकास हुआ है। और यदि नहीं तो जरा गरीब किसानों और मजदूरों की जिंदगी का अवलोकन करें तो आपका विकास जमीन पर धूल चाटता नजर आएगा। खैर विकास तो हुआ है देशभर में लाखों टेक्‍सी की बिक्री हुई है जो आपने बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करवाया है साथ ही पकौड़े जैसी विघा जो कम पढ़े-लिखे गरीब तबकों तक ही सीमित थी उस तुमने उच्‍च शिक्षित वर्गों के लिए भी खोल दी है। इसी का नाम विकास है। तो विकास तो हो रहा है।
खैर चुनाव के परिणाम 26 मई को आ जाएंगे कि किसकी कितनी औकात थी और उसने क्‍या-क्‍या हासिल कर लिया। विकास के नाम पर हो, धर्म जाति के नाम पर, गरीबों के नाम पर, आपने वोट हासिल किए हो परंतु देखना तो अब है कि तुम्‍हारी औकात कितनी है। क्‍या विकास तुम्‍हारी औकात से परे है या फिर दूसरे की मांद में सेंध लगाना।


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