अभी तो यह आगाज है...आगे-आगे देखिए होता है क्या ?
एक बीजेपी नेता द्वारा चुनाव-प्रचार के दौरान जनता से वोट मांगते हुए .. और वोट
मांगते समय वहां की जनता ने उनका बहुत ही उत्साहपूर्वक जूत-चप्पलों
की माला को गले में डालकर स्वागत किया। जी जनता त्रस्त हो चुकी है और यह तो अभी
आगाज है, जनता को कब तक उल्लू बनाया जा सकता है? हर चीज की
हद होती है, कब तक जनता को पपलू बनाओगें? अब सोती हुई जनता
जाग चुकी है इस मंहगाई की मार से.......और सत्ता में आने से पहले जो चुनावी वादे
किए थे वो सब जुमले ही रह गए। न तो अभी तक राम मंदिर बना, और
न ही मंहगाई कम हुई। दिन-प्रतिदिन रूपया ऐसा गिर रहा है (एक चुनावी रैली में
प्रधानमंत्री बनने से पहले स्वयं मोदी ने कहा था कि, रूपया
ऐसे कैसे इतनी जल्दी गिर जाता है इतना तो बांग्लादेश की करेंसी भी नहीं गिरती)
तो भाई अब कैसे गिर रहा है शायद समझ आ रहा होगा।
आपने उज्ज्वला के तहत गैसे सिलेंडर तो दिलवा दिए अब उनमें गैस क्या
आपके नेता भरेंगे... क्योंकि अब एक सिलेंडर की कीमत 927 रूपए हो चुकी है वहीं
पट्रौल और डीजल के दाम आसमान छू रहे है (शायद कुछ समय बाद पट्रौल 100 रूपए में
बिकने लगे)। इससे अच्छा तो पड़ौसी देश में है जहां भारत से कम कीमत में पट्रौल-डीजल मिल रहा है। रही बात 2 रूपए
50 पैसे कम करने की (बीजेपी शासित राज्यों में 5 रूपए) तो दिन प्रतिदिन पैसा
बढ़ाकर कुछ रूपया कम कर दिया तो क्या एहसान कर दिया जनता पर। आप तो दोगलेपंथी से
यहां भी बाज नहीं आए, आपने अपनी पार्टीधारी राज्यों में (बीजेपी
शासित राज्य) 5 रूपए कम कर दिए और बाकि राज्यों के लोगों को यूं ही छोड़ दिया
ताकि वहां की जनता और आपके नेता इस बात को तूल दे सके कि देखों कांग्रेस या अन्य
पार्टी का राज है इसलिए रूपया कम नहीं हुआ। यदि तुम्हारे राज्य में बीजेपी की
सरकार होती तो कुछ तो राहत मिलती।
मेरे अनुसार तुमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तुम भारत की जनता को एक
दृष्टिकोण से नहीं देखते, तुम चाहते हो की आंदोलन होते रहे। दंगा-फसाद होते
रहे। क्योंकि जैसे तुम हो उससे कहीं बदत्तर तुम्हारे नेता है और उससे बदत्तर
राज्यों के मुख्यमंत्री। क्योंकि बीजेपी सरकार में इंसान को इंसान के नजरिए से
नहीं, बल्कि धर्म और जाति के चश्मे से देखा जाता है। जिसमें
सर्वोपरि ब्राह्मण, ठाकुर वैश्व, हिंदू
होते है। मुसलमान और दलित लोगों को इंसान नहीं समझा जाता। तभी तो उन पर अत्याचार
देखे जा रहे है। और आप चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। जब भी इस संदर्भ में बात होती
है तो तुम और तुम्हारे नेता सिर्फ निंदा, घोरनिंदा करके
अपना पडला झाड़ लेते है। जैसे स्वच्छ भारत अभियान चल रहा हो।
अगर जवानों के संदर्भ में बात की जाए तो ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब
पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं करता हो और दो-चार सिपाही शहीद न होते हो। कहां गया
एक के बदले 10 सिरे लाने वाला प्रधानमंत्री। क्या पद-सत्ता मिलते ही सारे वादे
गांधी की झोली में डाल लिए। सत्ता है सरकार है फिर जबाव क्यों नहीं देते.... ?
एक बार में ही खत्म क्यों नहीं कर रहे। क्या यह सोच रहे हो की मरने दो.... हमारे
बाप का क्या जा रहा है?
तुमने सभी को आधारकार्ड से लिंक करवा दिया तो वोटर कार्ड को भी आधार
कार्ड से लिंक करवा दो.... ताकि फर्जी वोट न डल सके। वो तो तुमसे हुआ नहीं गया।
नोट बंद करने से पहले अपना और अपने नेताओं का कालधन सफेद करवा लिया और फिर नोटबंदी
करके देश की जनता को लाइन में खड़ा करवा दिया। कभी इस बात का विश्लेषण किया कि
(वास्तव में यदि यही उद्देश्य था इसके इतर नहीं था) जिस उद्देश्य से (कालाधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद रोकने के लिए) नोटबंदी की थी वो क्या पूरा हुआ। जबाव स्वत: मिल
जाएगा कि नहीं इनमें से कोई चीज कम नहीं
हुई सब अपने यथास्थान पर बरकरार है। तो क्या सिर्फ अपने नेताओं का कालाधन सफेद
करने के लिए ही नोटबंदी का षड्यंत्र रचाया गया था? जिसमें आप बखूबी कामयाब हुए। क्योंकि
जनता तो उल्लू है लग गई लाइन में। वैसे नोटबंदी के दौरान आपकी पार्टी का कोई भी
नेता लाइन में खड़ा नहीं दिखाई दिया। जिससे तो यही साबित होता है कि पहले ही काला
सफेद हो गया था। हां कुछ विपक्षी नेता एक बार लाइन में खड़े जरूर नजर आए 4000 रूपए
निकलने के लिए..... उनका पैसा शायद अभी तक खत्म नहीं हुआ।
अभी
कुछ दिनों से जिस राज्य के आप मुख्यमंत्री रह चुके हो उसी राज्य से उत्तर
प्रदेश और बिहार के लोगों को भगाया जा रहा है और आप चुप्पी साधे तमाशा देख रहे
हो। आपको पता होगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार में भी गुजराती लोग रहते हैं यदि ऐसा
उनके साथ हो तो कैसा लगेगा। हां आप भी गुजराती है और बनारस से सांसद भी, यदि आपको ही यहां से बेइज्जत
करके उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता भगाए, आपका त्रिस्कार
करे तो कैसा लगेगा... ? ? ? क्योंकि तुम्हारी
तरह वह भी इंसान है। और संविधान कहता है कि किसी को देश में कहीं भी आने-जाने, वहां निवास बनाने और काम करने से नहीं रोका जा सकता। आपके सामने ही
संविधान का मजाक उड़ाया जा रहा है और आप कुछ नहीं कर रहे। तज्जुब वाली बात है।
वहीं बेरोजगारों के साथ भी मजाक कर दिया, चुनाव से पहले करोड़ों लोगों को
रोजगार देने वाले थे, चुनाव के उपरांत उनको नौकरी दिलवाने के
वजह पकौड़े बेचने की सलाह दे डाली..... भाई पूरे देश के बेराजगार पकौड़े बनाने
लगेगें तो खरीदे का कौन.... तुम या तुम्हारी पार्टी के लोग ? ? वहीं किसान आत्महत्या
कर रहे हैं उनको अपनी फसलों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। कर्ज में डूबते जा रहे
है जिससे तंग होकर (अपनी और अपने परिवार की दुर्दशा को देखते हुए) आत्महत्या कर लेते
हैं और जब वह अपनी मांगों को लेकर तुम्हारे पास आने की कोशिश करते हैं तो उन पर लाठी-डंडे
बरसाए जाते हैं,धन्य है प्रभू। ऐसा ही होना चाहिए इन किसाने
के साथ क्योंकि इन लोगों ने आपको जो चुना। वैसे आप सिर्फ अंबानी,बिडला, टाटा का ही भला कर सकते हो क्योंकि कहीं-न-कहीं
कुछ तो माया की चढ़ौत्री तो चढ़ रही होगी.... ? तभी तो इन जैसे उद्योगपतियों का कर्जा
माफ कर दिया गया और तो और कुछ तो देश को करोड़ों का चूना लगाकर भाग भी गए। और आप देखते
रहे। आप पर किसानों का कर्जा माफ नहीं करवाया जा सका।
खैर जनता धीरे-धीरे जाग रही है (सिंहासन खाली करो कि जनता आती है)।
जुमलेबाजियों और झूठे विकास के पौने पांच साल का गुस्सा अब धीरे-धीरे निकलने लगा है। जिसका दृश्य
बीजेपी के नेताओं द्वारा की जाने वाली रैलियों और कैंपिंग में देखा जा रहा है कि
किस तरह वह बीजेपी नेताओं का जनता जूते-चप्पलों से स्वागत कर रही है। अभी तो यह आगाज है आगे-आगे
देखिए होता है क्या....... ?
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