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Friday, October 27, 2017

कहां गए रामदेव के गुरू...शंकर देव

कहां गए रामदेव के गुरू...शंकर देव


आज बाबा रामदेव और उनके प्रमुख चेला जिस असीम संपत्ति पर मालिका हक जमा कर बैठे हैं वो वास्‍तव में बाबा रामदेव के गुरू शंकर देव की संपत्ति है जिसको शंकर देव ने सन् 1992 में दिव्‍य योग ट्रस्‍ट के नाम से स्‍थापित किया था जिसे बाद में 1995 को दिव्‍य योग ट्रस्‍ट को दिव्‍य योग मंदिर में तब्‍दील कर दिया गया। इस मंदिर के प्रमुख स्‍वामी शंकर देव ही थे और उनके सहायोगियों के रूप में रामदेव, कर्मवीर, बालकृष्‍ण, वियज चैतन्‍य और साध्‍वी कमला थेा जिससे पतंजलि का शिलायांस हुआ था।  14 जुलाई 2007 को शंकर देव सुबह की सैर पर निकले थे, जिसके बाद से वह कभी लौटकर नहीं आएं।  गुरू शंकरदेव की जांच सीबीआई को सौंपी गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। और कुछ समय बाद फाइल को बंद कर दिया गया।  इस घटना के बाद बाबा रामदेव के ऊपर तरह तरह के आरोप लगाए गए। यहां तक की कई राजनेताओं ने यह भी कहा कि रामदेव इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं और आशंका जताई जाती है कि शंकर देव को उन्हीं के शिष्य रामदेव ने अगवा करवाया है। तमाम आरोपों के बाद भी रामदेव इस बात को लगातार नकारते रहे और कहते रहे कि वह अपने गुरु का बेहद सम्मान करते हैं और ऐसा पाप वह करने की सोच भी नहीं सकते। दरअसल, राम देव का कहना है कि जब शंकर देव जब लापता हुए थे, तो वह विदेश में थे। वैसे इस बात में सच्‍चाई है कि बाबा रामदेव विदेश में थे पर क्‍या यह एक सोची समझी साजिश का रूप नहीं लगता कि रामदेव विदेश में हैं और शंकर देव गायाब हो जाते हैं।

वैसे यह हैरानी की बात है कि पिछले10 साल में रामदेव और उनकी मंडली ने शंकर देव को खोजने की कोई कोशिश नहीं की। जिस शख्‍स ने रामदेव को इतना बड़ा आदमी बनाया कि सरकार तक हिल जाए उसकी खोज खबर लेने के लिए रामदेव ने कभी उत्‍तराखंड पुलिस पर दबाव नहीं बनाया, जबकि दुनिया जानती है कि मुख्‍यमंत्री और अब प्रधानमंत्री रामदेव के कितने करीबी हैं। तब तो सक की सुई सीधा और सीधा रामदेव पर आकर ही घुमती हुई प्रतीत होती है, क्‍योंकि आज भी गुरू शंकर देव का अभी तक कुछ भी अता-पता नहीं है कि उनके साथ आखिर में  हुआ  क्‍या था.....जिसने गायब होते ही राम ने उनकी संपत्ति को हथिया लिया, और जिनका उस संपत्ति पर अब कहीं नाम भी नहीं है....वैसे सरकार किसी की भी हो.... जांच का मुद्दा आज भी बनता है कि आखिर गुरू शंकर देव गए तो गए कहां.... 

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