मोक्ष...................???
मोक्ष की तलाश में,
सदियां बीत गई
खोजा, हर जगह
गली-गली, दर-दर
आकाश के विशाल में
पाताल की गहराई में
विष्णु के शेष में,
शिव के नेत्र में,
ब्रह्मा के ब्रामांड में,
देवी के दैव्य में,
राक्षसों के दैत्य में,
राम की मर्यादा में,
सीता के त्याग में
हनुमान के बल में,
रावण के ज्ञान में
विभीषण के भेद में
कर्ण के दान में,
अर्जुन के निशाने में,
द्रौपदी के पांडवों में,
कृष्ण के चक्र में,
इंद्र के बज्र में
सुंदरियों के सौंदर्य में
तपस्वियों के तप में,
सुर्य के आग में
चंद्र की चमक में,
लक्ष्मी के धन में
धरती के धरातल में
चाणक्य की नीति में
धर्म के धर्मात्मा में,
काम के कामदेव में,
अर्थ के अर्थशास्त्र में
सृष्टि के मोक्ष में
नारी के लाज में,
पुरूष के पुरषार्थ में,
बच्चे की किलकारी में
मां की ममता में
बाप की डांट में
बहन के स्नेह में,
पत्नी के प्यार में
दोस्त की वफादारी में
दुश्मन की गद्दारी में
वेश्या की मजबूरी में,
किलोमीटर की दूरी में
हिंदू के हिंदुत्व में
मुस्लिम के पाक में
सिख के नानक में
ईसाई के यीशु में
गांधी के महात्मा में
अंग्रेजों की चालाकी में
भगत की कुर्बानी में,
शहीदों की शहादत में
भूकंप की तबाही में,
समुद्र की सुनामी में,
लोभियों के लोभ में,
नेताओं की भ्रष्टाचारी में
कवि की कल्पनाओं में
दिल की धड़कन में
खून के रंग में
पाप में, पुण्य में
आदि से अंत में
अंत से आदि में,
सदियां बीत गई,
खुद को तलाशते-तलाशते
कहां से चले थे, कहां हैं, कहां होगें
खुद को तलाश रहा हूं,
शायद कभी तलाश कर पाऊं
सदियां बीत गई
खोजा, हर जगह
गली-गली, दर-दर
आकाश के विशाल में
पाताल की गहराई में
विष्णु के शेष में,
शिव के नेत्र में,
ब्रह्मा के ब्रामांड में,
देवी के दैव्य में,
राक्षसों के दैत्य में,
राम की मर्यादा में,
सीता के त्याग में
हनुमान के बल में,
रावण के ज्ञान में
विभीषण के भेद में
कर्ण के दान में,
अर्जुन के निशाने में,
द्रौपदी के पांडवों में,
कृष्ण के चक्र में,
इंद्र के बज्र में
सुंदरियों के सौंदर्य में
तपस्वियों के तप में,
सुर्य के आग में
चंद्र की चमक में,
लक्ष्मी के धन में
धरती के धरातल में
चाणक्य की नीति में
धर्म के धर्मात्मा में,
काम के कामदेव में,
अर्थ के अर्थशास्त्र में
सृष्टि के मोक्ष में
नारी के लाज में,
पुरूष के पुरषार्थ में,
बच्चे की किलकारी में
मां की ममता में
बाप की डांट में
बहन के स्नेह में,
पत्नी के प्यार में
दोस्त की वफादारी में
दुश्मन की गद्दारी में
वेश्या की मजबूरी में,
किलोमीटर की दूरी में
हिंदू के हिंदुत्व में
मुस्लिम के पाक में
सिख के नानक में
ईसाई के यीशु में
गांधी के महात्मा में
अंग्रेजों की चालाकी में
भगत की कुर्बानी में,
शहीदों की शहादत में
भूकंप की तबाही में,
समुद्र की सुनामी में,
लोभियों के लोभ में,
नेताओं की भ्रष्टाचारी में
कवि की कल्पनाओं में
दिल की धड़कन में
खून के रंग में
पाप में, पुण्य में
आदि से अंत में
अंत से आदि में,
सदियां बीत गई,
खुद को तलाशते-तलाशते
कहां से चले थे, कहां हैं, कहां होगें
खुद को तलाश रहा हूं,
शायद कभी तलाश कर पाऊं
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