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Saturday, April 7, 2018

आमजन की बेल पर भी हो तत्‍काल सुनवाई


आमजन की बेल पर भी हो तत्‍काल सुनवाई
सोचने वाली बात है.... वाह रे न्‍याय प्रणाली…..एक तरफ लालू प्रसाद यादव को 3.5 साल की सजा हुई है और पटना हाईकोर्ट ने अभी तक उनकी बेल पर सुनवाई तक नहीं की। वहीं दूसरी तरफ सलमान खान को 5 साल की सजा हुई और दो दिन बाद सुनवाई करके बेल भी दे दी गई। अगर गौर किया जाए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट, पटना हाईकोर्ट और भी हाईकोर्टों में ऐसे बहुत सारे मामले लंबित चल रहे हैं जिनकी बेल पर सुनवाई साल-साल भर होने के उपरांत अभी तक नहीं की गई है... और न्‍याय कुर्सी पर विराजमान जज यह कहकर उक्‍त व्‍यक्ति के परिजनों पर तारीख चिपका देते हैं कि हम इस तरह का केस सुनना ही नहीं चाहते.... वैसे एक बात समझ से परे मालूम होती है कि जब हाईकोर्टों डेली केस लिस्‍ट बनाते हैं तो फिर उन केसों की सुनवाई क्‍यों नहीं करते.... क्‍यों तारीख पे तारीख चिपकाते रहते हैं। कभी सोचा है उक्‍त व्‍यक्ति और उसके परिजनों के बारे में कि वह कैसे करके तारीखों पर पहुंचता है और जब फाइल ही नहीं सुनी जाती, तो एक निराशा का भाव लेकर फिर अगली तारीख पर बेल होने की लाइन में खड़ा हो जाता है। यह आम जनता है जिसकी पीड़ा से किसी को कोई सरोकार नहीं.... चाहे वह उच्‍च धरातल पर न्‍याय करने वाला न्‍यायाधीश ही क्‍यों न हो... वहीं सलमान जैसों को तत्‍काल प्रभाव से बेल मिल जाती है... यह कैसा दोगलापन है न्‍याय का... सही है गरीबों की कहां सुनी जाती है.... मैं लालू को गरीब नहीं मानता.... बस उनका उपयोग उदाहरणस्‍वरूप किया है... लालू तो राजनीति का शिकार हैं तभी उनकी बेल नहीं हो रही है.. यदि वह बीजेपी में होते तो अभी तक उन पर लगे सारे आरोप खुद-व-खुद खारिज हो जाते..और वह सभी केसों से बाइज्‍जत बरी भी हो चुके होते.... मैं तो बस न्‍याय प्रणाली पर प्रश्‍नचिह्न लगा रहा हूं कि आमजन की बेल पर तत्‍काल प्रभाव से सुनवाई क्‍यों नहीं की जाती.. क्‍या वह इंसान नहीं होते.....

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