सरोकार की मीडिया

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Sunday, February 19, 2017

हमाम में सब नंगे हैं

हमाम में सब नंगे हैं

राजनीति शुरू से ही गंदी रही है तभी तो नेता इस गंदगी को छुपाने के लिए सफेद कपड़े पहनते है ताकि गंदगी छुप सके। बाहरी गंदगी को सफेद वस्‍त्रों से तो छुपा सकते हैं जो आपके अंदर गंदगी है उसके कैसे साफ करेंगे.....राजनीति है....इसमें साम, दाम, दंड, भेद सभी का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है जो इसका प्रयोग बखूबी करना नहीं जानता वो राजनीति के अखाडे में ज्‍यादा देर तक टिका नहीं रह सकता। वैसे जिसको इस अखाडे में अपनी सत्‍ता काबिज करनी है उसे हर पहलुओं से गुजरना पड़ता है, वो ना तो अपनी पत्‍नी का होता है, ना मां का होता है, ना बाप का और ना ही भाई का.....उसके लिए सत्‍ता के सिंहसन पर बैठने के लिए चाहे जिसकी भी बलि देनी पड़े वो पीछे नहीं हटते......हम सबने पढ़ा है कैसे सिंहसन को पाने के लिए राजाओं के पुत्रों, मंत्रियों और लोगों के क्‍या-क्‍या नहीं किया.....अपने बाप को, अपनी मां को, अपने भाई की भी हत्‍या कर सत्‍ता हथिया ली.....वो ही छवि आज-कल के नेताओं में देखी जा सकती है। वैसे उत्‍तर प्रदेश में चुनावी शंखनाथ के बाद सभी पार्टियों के नेताओं, और उनके मुखियाओं ने एक-दूसरे पर कटाक्ष करना शुरूकर दिया है....वो ऐसा, वो वैसा, उसने ऐसा किया, उसने वैसा किया....हमारी पार्टी आएगी तो ऐसा करेंगे, हमारी पार्टी आएगी तो वैसा करेंगे..... करेंगे.....आप आम जनता को क्‍या दिखाना चाहते है कि हम बहुत अच्‍छे है....हमारा दामन पाक साफ है.....आप कैसे भूल जाते हैं कि हमाम में सब नंगे हैं......चाहे किसी की पार्टी हो......एक भी ऐसा नेता बता दीजिए जिसका दामन साफ हो.....लट्टू लेकर खोजेंगे तब भी किसी पार्टी में ऐसा एक भी नहीं मिलेगा। 

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