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Friday, August 28, 2015

आरक्षण आखिर क्‍यों??????

आरक्षण आखिर क्‍यों??????
आरक्षण आखिर क्‍यों? सोचों, समझों और फिर चिल्‍लाओं.....मुंह फाड़-फाड़ कर चिल्‍लाओं। आग लगाओं.... लोगों को मारो.... सरकारी संपत्ति फूंकों.....आखिर तुम्‍हारे अब्‍बा जान का राज जो चल रहा है।  एक ने कहा आरक्षण हटाओं, 100 ने कहा....... आरक्षण हटाओं। अरे भई तुम सब पढ़े-लिख बुद्धजीवी व्‍यक्ति हो...कभी इतिहास के पन्‍नों को भी खंगाल कर देख लो। क्‍या दुर्दशा थी वर्तमान समय में आरक्षण पाने वालों की... जमीन, पैसा, कानून, शिक्षाउनकी बहु बेटियों और यहां तक पानी पर भी हमारा अधिकार था ... हम जो चाहते थे वैसा ही उनको करना पड़ता था। नहीं करते तो कहां जाते... जैसे तैसे आजादी के बाद उन लोगों को एक मसीहा ने स्थिति में सुधार और बाहूबलि वर्ग के समकक्ष लाने के लिए आरक्षण की मांग की....जिस पर तत्‍कालीन गांधी ने भी तरह तरह की अड़चनें पैदा की... कभी विरोध में अनशन पर बैठ गया तो कभी धरना प्रदर्शन किया। इन सबके बावजूद आखिरकार उसे उन लोगों को आरक्षण देना पड़ा।
आरक्षण मिलने के बाद उन लोगों की स्थिति में सुधार तो आया, पर कितना.....??????  आज भी क्‍या वह बाहूबलि के समकक्ष अपने आप को खड़ा पाता है... जबाव मिलेगा नहीं(कुछ एक अपवादों को छोड़कर)। क्‍योंकि आज भी बाहूबलि वर्ग नहीं चाहता कि उनके नीचे काम करना वो वर्ग उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करें। शिक्षा के क्षेत्र की बात की जाए तो आरक्षण मिलने के बाद क्‍या वह वर्ग अपने बच्‍चों को मोटी फीस के कारण पढ़ा पाने में सक्षम है। रही बात नौकरी की तो आरक्षण मिलने के बाद भी जिस तरह का भ्रष्‍टाचार फैल चुका है उस में एक चपरासी के पद के लिए भी 5 से 8 लाख रूपए टेबल के नीचे से या उपर से चले जाते हैं, जिसके पास होते हैं वो दे देता है और जिसके पास नहीं होते,वह अपने हाल पर रोता है... और याद करता है अपने दादा, परदादाओं के जीवन को.. कि किस तरह से एक-एक निवाले के लिए इन लोगों ने हमारी चमड़ी तक खींच ली। बंधुआ मजदूर बना कर लगातार काम करवाया। सोचों तो शायद तुम सबके रोंगट खड़े हो जाएंगे......
वैसे चलिए मान लेते हैं कि आरक्षण खत्‍म होना चाहिए..... पर सोचों कि एक परिवार दिन में तीन समय भोजन करता आया है....एक परिवार दिन में दो समय... वहीं एक परिवार को एक समय का भोजन तो दूर की बात, अपने बच्‍चों को चंद निवाला खिलाने के लिए सब कुछ किया फिर भी निवाला नसीब नहीं हुआ। अगर उस परिवार को दिन में तीन समय का भोजन दिलाने के लिए आरक्षण दिया गया तो क्‍या गलत किया गया.....अगर इस बात पर भी सहमत न हो तो क्‍या आप वर्ग और संपत्ति में रोटेशन पॉलसी पर सहमत होगें... कि आज आप उच्‍च वर्ग के हो और आपके पास अचल संपत्ति है, जिसको  दो साल के बाद रोटेशन पॉलसी के अनुसार किसी और वर्ग में हस्‍तांतरित कर दी जाएगी...आप निम्‍न वर्ग में गिने जाने लगोगे और आपकी अचल संपत्ति आपसे छीन ली जाएगी। सिर्फ आपके पास होगा आरक्षण..;... आरक्षण नाम का झुनझुना..... जिसको हटाने के लिए हम सब कब से भौंके जा रहे थे. सहमत हो इस बात से.....

शायद इस बात पर हम सहमत न हो..... हमें तो उच्‍च वर्ग,अचल संपत्ति साथ  में निम्‍न वर्गों को दिया जाने वाला आरक्षण सब चाहिए। हमें आरक्षण नहीं तो इन नीचे लोगों को कैसे????????  तभी तो सब के सब एक ही भेड़चाल में मिमया रहे हैं।  आरक्षण हटाओं... आरक्षण हटाओं..

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