तलाश है एक प्रेमिका की
‘’’’’’’हर बार हमारे दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई बहां गिरा। हमने बार-बार अपने दिल
के टुकड़ों को झाडू से बटोरा, उन्हें
फेविकोल से जोड़ा और चल पड़े एक नया प्रेम करने। मगर आज तक हमारे प्रेम को स्पॉन्सर
करने वाला कोई नहीं मिला?’’’’’’’
पता नहीं कैसे, लोग पहली ही नजर में एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं। हम तो बचपन से
नजर लड़ाने के लिए पालथी मारे बैठे हैं। काश! कोई हम पर भी नजर डाले और हमें अपना
दिल दे बैठे। पर, हाय री किस्मत! पहली नजर के इंतजार में
टकटकी लगाए खुद हमारी नजर इतनी कमजोर हो चुकी है कि कभी-कभी हम अपनी पत्नी को गलती
से अपनी प्रेमिका समझ बैठते हैं।
प्रेम हमरी सबसे बड़ी कमजोरी रही है। बचपन से
लेकर बुढ़ापे तक हमने न जाने कितनी बार प्रेम किया, किंतु हर बार हमारे प्रेम की लुटिया डूब गई। हर बार हमरे दिल के
टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा। हमने
बार-बार अपने दिल के टुकड़ों को झाडू से बटोरा। उन्हें फेवीकोल से जोड़ा और चल पड़े
एक नया प्रेम करने। मगर आज तक हमारे प्रेम को स्पॉन्सर करने वाला कोई नहीं मिला।
लेकिन हम अब भी निराश नहीं हुए हैं। आज भी हमें
तलाश है एक प्रेमिका की। एक ऐसी प्रेमिका की, जो
हमारे टूटे हुए दिल की रिपेयरिंग कर सके। हमारे बुझे हुए मन में प्रेम की चिंगारी
सुलगा सके। हमारे अंधेर जीवन में अपनी मोहब्बत की ट्यूबलाइट जला सके।
वैसे हमारे प्रेम की दास्तान किसी मजनू, किसी रांझा या किसी फरहाद से कम इम्पॉटेंट
नहीं है। अगर यकीन नहीं आता तो हम अपनी दुःख भरी दास्तान सुनाते हैं, जिसे सुनकर आपका रूमाल आंसूओं से न भग
जाए तो हमारा नाम बदल दीजिएगा।
जब हमारी उम्र मुश्किल से छह वर्ष होगी, हमारा दिल पहली बार पड़ोस की एक लड़की पर
आ गया। बद किस्मती से उस लड़की की उम्र हमसे चार साल ज्यादा थी। हम जब जब भी उसके
साथ छुपा-छुपी खेलते तो हमें बड़ा आनंद आता था। एक दिन खेलते-खेलते हमने उसका हाथ
पकड़ लिष और पूछा, ‘‘हमसे शादी करोगी?’’ लड़की ने अपना हाथ झटका और एक जोरदार
थप्पड़ हमारे गाल पर जड़ दिया, ‘शर्म
नहीं आती? इत्ती-सी उम्र में शादी की बात करते
हुए............छी।’
ये हमारी पहली प्रेमिका का पहला थप्पड़ था और
जिस तरह जिंदगी का पहला प्यार हमें हमेशा याद रहता है, उसी तरह पहला थप्पड़ हमें आज तक याद है।
इसके बाद ये थप्पड़ों का सिलसिला कुछ ऐसा चला कि आज भी चलता जा रहा है।
स्कूल जाने लगे तो वहां भी कई प्रेमिकाएं नजर
आई, लेकिन थप्पड़ खाकर अब हम थोड़े समझदार हो
चुके थे। हमने सोचा इस बार डायरेक्ट शादी की बात करना खतरनारक हो सकता है। इसलिए
शुरूआत किसी और तरीके से करनी चाहिए।
हमने अपनी क्लास की एक खूबसूरत लड़की को अकेली
पाकर उसकी तारीफ करते हुए कहा, ‘तुम बहुत सुंदर हो।’ लड़की अपनी तारीफ सुनकर कुछ मुस्कुराई, कुछ शर्माई। हमने समझा, हमारी प्रेमिका मिल गई। इसी खुशी में
हम उसे गले लगाने के लिए जैसे ही आगे बढ़े कि अचानक हमारे गाल पर टीचर का
झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा, ‘‘बेशरम, स्कूल में पढ़ने आता है या रोमांस करने?’’ इससे पहले कि हम कुछ सफाई पेश कर पाते, टीचर ने कान पकड़ कर हमें बेंच पर खड़ा कर दिया। पूरी क्लास हम पर हंस
रही थी और हम अपनी किस्मत पर रो रहे थे।
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ रही थी, हमारी प्रेमिका की तलाश भी बढ़ रही थी।
लेकिन न जाने हमारी शक्ल और अक्ल में ऐसी क्या खास बात थी कि जो भी प्रेमिका हमें
पसंद आती, वहीं हमें रिजेक्ट कर देती। कॉलेज
पहुंचने तक तो हमारा दिल कई बार फ्रैक्चर हो चुका था। फिर भी अपने दिल को पहलू में
संभाले हमने अपनी तलाश जारी रखी।
काॅलेज की एक लड़की हमारी प्रेमिकाओं की लिस्ट
में 25वें नंबर पर दर्ज हो गई। हमने फैसला कर
लिया था कि यही हमारी फायनल प्रेमिका होगी। उसके दिल में अपने लिए मोहब्बत पैदा
करने की कोशिश में हमने दर्जनों बार उसे कैंटीन में चाय पिलाई, कई बार मंहगी आइस्क्रीम खिलाई, तब कहीं कुछ बात बनती नजर आई। हम अपनी
पहली कामयाबी पर फूलकर गोल गप्पा हो गए।
एक दिन उसने अपने जन्मदिन की पार्टी में बड़े
प्यार से हमें अपने बंगले पर आने की दावत दी। हमने अपनी तमाम जमा पूंजी से उसके
लिए एक कीमती हार खरीदा और जा पहुंचे उसके बंगले पर।
हमारा दिल भी उस दिन लड़की के बंगले की तरह
जगमगा रहा था। हमने बड़ी शान से लड़की के गले में अपने प्यार का तोहफा डाल दिया।
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच हम जैसे ही मुबारकबाद देने उसकी तरफ बढ़े कि अचानक पीछे
से किसी ने हमारी गर्दन खींची और एक धमाकेदार थप्पड़ हमारे गाल पर रसीद कर दिया।
थप्पड़ के वनज से हम समझ गए कि यह हाथ किसी पहलवान का है। अब हमें क्या पता था कि
वो पहलवान उसका बाप था। हमने अक्सर फिल्मों में देखा था कि ऐसी भरी महफिल में जब
किसी प्रेमी को थप्पड़ पड़ता है तो प्रेमिका रोती है और प्रेमी कोई दर्द भरा गीत
गाते हुए पियानों बजाता है। हमने जब इधर-उधर नजर दौड़ाई तो न हमें वहां कोई पियानों
दिखा और न ही वो राती हुई नजर आई। इसके बावजूद हमने गाना शुरू कर दिया, ‘‘दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा, मुझे थप्पड़ खिलवा के छोड़ा......’’ जैसे ही हमारी सुरीली आवाज गंूजी, उन्होंने दरबान के जरिए हमें बंगले के
बाहर फिंकवा दिया। हम दोनों तरफ से मारे गए। तोहफा भी हाथ से गया और प्रेमिका भी
हाथ नहीं लगी। इस तरह हमारी सारी मेहनत पर कोल्ड वाटर फिर गया।
लेकिन वो प्रेमी क्या, जो थप्पड़ों और घूसों से डर जाए। हमने
भी हिम्मत का दुपट्टा नहीं छोड़ा और अगली प्रेमिका की तलाश शुरू कर दी। लेकिन एक
बात हमारी समझ में आ गई कि शायद प्रेम के मामले में हम अनाड़ी हैं। हमने सोचा, जिस तरह नौकरी हासिल करने के लिए पहले
टेªनिंग लेनी पड़ती है, उसी तरह प्रेमिका हासिल करने के लिए भी
ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी।
हमारा एक पुराना दोस्त था। बड़ा ही रंगीन मिजाज
और मस्त कलंदर। उसने छोटी-सी उम्र में ही प्रेम के मामले में महारत हासिल कर ली
थी। अनजान लड़कियों से दोस्ती करना उसके लिए चुटकियों का खेल था। बस हमने भी उसकी
शागिर्दी करने का फैसला कर लिया और उसके पास जाकर बोला, ‘‘यार, हम प्रेम करना चाहते हैं, हमें
प्रेम करने की ट्रैनिंग दे दो।’’ उसने
कहा, ’’ठीक है, मैं तुझे प्रेम की ट्रेनिंग देता हूं। मगर इसके लिए पहले तुझे अपना
हुलिया बदलना पड़ेगा।’’
‘‘कैसा
हुलिया?’’ हमने हैरत से पूछा।
‘‘अरे
यार, जरा स्मार्ट बनों, फैशनेबल कपड़े पहनों, बालों की स्टाइल बदलो, बातचीत करने का ढंग सीखों, तभी तो कोई लड़की तुम्हारी पे्रमिका
बनने को तैयार होगी। वरना तुम्हारे जैसे काठ के उल्लू को कोई लड़की घास भी नहीं
डालेगी। हमने पूछा, ‘‘तो क्या प्रेमी बनने के लिए घास भी
खानी पड़ती है?’’ उसने हंस कर जबाव दिया, ‘‘प्रेम करना है तो सब कुछ करना पडे़गा।’’
हमने उसकी बात मान ली और दूसरे दिन ही अपना
हुलिया बदल डाला। अब हम किसी बी ग्रेड फिल्म के हीरो बन गए थे। हमने दोस्त से कहा, ‘‘हमें लड़कियों से बात करने के टिप्स भी
बताओं।’’
‘‘सबसे
पहले तो लड़कियों से हमेशा मुस्कुराकर बातें करनी चाहिए।’’ हमने उसे अपनी डायरी में नोट करते हुए
पूछा, ‘‘और क्या करना चाहिए?’’
‘‘लड़कियों
को अपना नाम बताओं, फिर उनका नाम पूछों।’’ ‘‘फिर?’’ हमने उत्सुकता से पूछा-
‘‘फिर
उनसे पूछों, क्या आपकी शादी हो गई है?’’
‘‘अगर
वो कहे हां, तो?
‘‘तो....
फिर पूछों, आपके बच्चे कितने हैं’’ बस, इस
तरह बातों का सिलसिला चल पड़ेगा और फिर कोई न कोई लड़की तुम पर लट्टू होकर तुम्हारी
प्रेमिका बन जाएगी।
इस तरह हम टेªनिंग लेकर तैयार हो गए। हमें पूरा विश्वास हो गया कि इस बार हम जरूर
अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। बस, एक
अच्छा मौका मिलने की देर है। इत्तफाक से कुछ दिनों बाद ही हमें मौका मिल गया। मेरा
दोस्त हमंें अपने साथ एक पार्टी में ले गया। जहां बहुत-सी खूबसूरत लड़कियां भी
मौजूद थी। दोस्त ने हमें इशारा किया, हमने
मन-ही-मन उसके बताए हुए सारे टिप्स याद किए और एक सुंदर लड़की के पास जा पहुंचे।
हमने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए पूछा, हैलो, हमारा नाम........ है आपका क्या नाम है?
लड़की ने मुस्कुराकर जवाब दिया, ‘‘मेरा नाम मिस....... है।
हमने तुरंत पूछा, ‘‘आपकी शादी हो गई है मिस?, उसने
हमें घूर कर देखा और बोली-
‘‘जी
नहीं, मैं कुंवारी हूं’’
हमने अगला सवाल किया, ‘‘आपके बच्चे कितने हैं? और जवाब में उसने हमें एक जोरदार थप्पड़
जड़ दिया। हम गाल सहलाते हुए अपने गुरू के पास पहुंचे तो उसने हमें हमारी बेवकूफी
समझाई, और कहा, ‘‘इस बार कोई गलती मत करना,’’ हमने
वादा किया और चल पड़े एक दूसरी सुंदर महिला की तरफ। हमने उसे मुस्कुराकर देखा, महिला ने भी हमें मुस्कुराकर देखा।
हमने उसे अपना नाम बताया फिर उसने भी हमें अपना नाम बताया। फिर हमने पूछा, ‘‘आपके बच्चे कितने हैं? उसने जवाब दिया, मेरे दो बच्चे हैं।’’ अचानक हमें याद आया कि हम इससे पहले का
एक सवाल पूछना भूल गए हैं। और हमने तुरंत वो सवाल भी पूछ लिया, आपकी शादी हो गई है क्या? तड़ाक..... महिला का थप्पड़ हमारे गाल पर
पड़ा। हम रोते हुए फिर दोस्त के पास पहुंचे और इससे पहले कि हम कुछ बताते, हमारे दूसरे गाल पर दोस्त का थप्पड़ पड़
चुका था, तड़ाक.....।
इस तरह प्रेमिका की तलाश का हमारा ये अभियान भी
नाकाम साबित हुआ। जिस रफ्तार से हमारी
उम्र बढ़ती जा रही थी उसी रफ्तार से हमारी उम्मीद घटती जा रही थी। हमें लगा जेसे हम
इस दुनिया में कुंआरे ही कूच गर जाएंगे। मगर ये हमें मंजूर न था इसलिए हमने अपने
पूज्य पिता जी की आज्ञा मानते हुए शादी के लिए हामी भर दी। हमने सोचा, शादी के बाद हम अपनी पत्नी को ही अपनी
प्रेमिका बना लेगें। लेकिन हम ये भूल गए थे कि प्रेमिका तो पत्नी बन सकती है मगर
पत्नी प्रेमिका नहीं बन सकती। बस यही भूल हमें बड़ी मंहगी पड़ी।
पत्नी ने आते ही हमारे सिर से प्रेम का भूत
उतार दिया। उसने हमें घर के कोल्हू में ऐसा जोता कि आज तक बैल बने चक्कर काट रहे
हैं लेकिन अब भी हमें उम्मीद है और इसी उम्मीद को दिल में संजोए वक्त गुजार रहे
हैं। अब तो बस राह में नजरें बिछाए हम यही कहते हैं-
किसी
कीमत पे हो, लेकिन दीदार हो जाए।
फिर
उसके बाद चाहे, ये नजर बेकार हो जाए।।
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