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Wednesday, January 24, 2018

एक बार पुन: विचार करें- पद्मावत के रिलीज पर

एक बार पुन: विचार करें- पद्मावत के रिलीज पर

पद्मावती ऊर्फ पद्मावत को रिलीज करने की आखिर जरूर ही क्‍या है, एक फिल्‍म रिलीज नहीं होगी तो तारा सिंह पाकिस्‍तान नहीं जाएगा.... अरे भाई वो तो जाएगा ही जाएगा...वैसे रिलीज नहीं होगी तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा.... आखिर न्‍यायालय रिलीज करने पर इतना जोर क्‍यों दे रही है... जबकि वो देख रही है कि किस तरह के हालात पनप रहे है, चारों तरफ करणी सेना वाले उत्‍पात मचा रहे हैं.. आगजनी कर रहे हैं, हाईवे जाम कर रहे हैं, सरकारी बसों को आग के हवाले किया जा रहा है। यहां तक की अम्‍बुलेंस को भी नहीं बक्‍सा जा रहा। क्‍योंकि उनके पता है उनका कुछ नहीं होने वाले, सरकार उनका सहयोग करेगी ही करेगी क्‍योंकि कुछ राज्‍यों में विधानसभा के चुनाव आने वाले हैं और वो सहयोग नहीं करेगी तो एक बहुत बड़े तबके का वोट बैंक उनके हाथों से निकल जाएगा। यह बात तो माननीय न्‍यायालय को भी ज्ञात है। बावजूद वो एक फिल्‍म को रिलीज करवा रही है......वैसे भारत देश में हर साल लगभग 500 फिल्‍में बनाई जाती हैं जिनमें से कुछ सिनेमा घरों की दहलीज पर पहुंचकर करोड़ों रूपयों का कारोबार करती हैं तो बहुत सारी फिल्‍में सिनेमा घरों की दहलीज पर तो पहुंचती है परंतु एक दो दिन की शोभा बनकर उतर जाती है। वहीं बहुत सारी फिल्‍में कचड़े के डिब्‍बे में चली जाती हैं। ऐसा हर साल होता है। फिर एक फिल्‍म पर इतना हंगामा क्‍यों.... जिस प्रकार का माहौल पैदा हो रहा है चारों तरफ सरकारी संपत्ति का नुकसान किया जा रहा है इसका भुगतान क्‍या माननीय न्‍यायालय करेगी या फिर संजय लीला भंसाली करेंगे.... यह बात समझ से परे है। माननीय न्‍यायालय ने तो आदेश दे दिए कि 25 जनवरी को पूरे देश में फिल्‍म रिलीज की जाए... परंतु उन्‍होंने हालात का जायजा क्‍यों नहीं लिया कि कुछ प्रदेश की सरकार अगामी चुनाव के चलते हाथों में झुनझुना थामें बैठी है। जिसे केवल इन लोगों के लिए बजाया जा रहा है ताकि वो उनके पक्ष में उनकी पार्टी को वोट दे..... नहीं तो अभी तक जिन राज्‍यों में चुनाव होने वाले हैं वहां के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना वक्‍तव्‍य क्‍यों नहीं दिया कि माननीय न्‍यायालय ने जब आदेश पारित कर दिया है तो राज्‍यों में कानून व्‍यवस्‍था को दुरूस्‍त करते हुए फिल्‍म रिलीज होगी ही होगी.... फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। इस मामले पर न तो गृह मंत्री और न ही प्रधानमंत्री ने करणी सेना से शांति बनाए रखने और फिल्‍म के रिलीज होने पर कोई अपील की। क्‍या देश में उत्‍पन्‍न हालात उनको दिखाई नहीं दे रहे....दे भी रहे हो तो क्‍या फर्क पड़ता है.. घूमने से फुर्रत मिले तो इस बात पर विचार किया जाए...

वैसे माननीय न्‍यायालय को चाहिए था कि इस फिल्‍म के रिलीज होने पर रोक ही लगा देते तो मामला रफा-दफा हो जाता, पद्मावत फिल्‍म में चाहे कुछ हो परंतु एक तबके को लगता है कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है और यह उनके धर्म, उनकी भावना और उनकी माता (जो अभी तक नदारत थी) को ठेस पहुंचा रही है तो रोक लगा देनी चाहिए... क्‍योंकि अभी तो सिर्फ करणी सेना वाले इस फिल्‍म का विरोध कर रहे हैं कहीं दूसरे समुदाय के लोग (मुस्लिम वर्ग)भी इस फिल्‍म के विरोध में न उतर आए....तब मामला फिर कुछ और ही रूप इख्तियार कर लेगा... तो देश के लिए हितकारी साबित नहीं होगा.... हालांकि सोशल मीडिया पर इन दिनों जिस तरह के मैंसेज फिल्‍म पद्मावत को लेकर आ रहे हैं कि इस फिल्‍म को पाकिस्‍तान में रिलीज करवा देना चाहिए.....पाकिस्‍तान का मामला ही खत्‍म हो जाएगा, क्‍योंकि करणी सेना अपने भी देश में अपने लोगों के साथ जिस तरह का उत्‍पात मचा रही है सोचों वो पाकिस्‍तान के साथ क्‍या करेगी....खैर जो भी हो हालात तो मद्देनजर रखते हुए माननीय न्‍यायालय को एक बार पुन: विचार करना चाहिए और इस फिल्‍म पर रोक लगा देनी चाहिए.... न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.....। 

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