अरे दुश्मरनों जरा तो शर्म करो
हमारे भारत पर बुरी नजर ना डालो
यहां रहते है देश के दिवाने
जिनके खून से हम लिखते आजादी के अफसाने
सीमा पार लेके हाथ में बंदूक
हम ओ दुश्मरन को ढूंढ रहे है
अमेरिका, चीन और पाकिस्ता न दूर ही सही
जापान, रशिया इटली और जर्मनी भी नहीं
बिना किसी के मदद से हम जानते है करना हमारी रक्षा
अभी तो हमने हमारे दुश्मदनो को बक्शाी
अगर जान जाए हमारे देश का नशा
ऐसी देगे हम उनको शिक्षा
की मांगते फिरेगें गांव गांव भिक्षा
हमारे देश के सैनिको में उस सावरकर का खून है
जो अंग्रेजो का काला पानी तोड् कर भागा था
हमारे देश के सैनिको में नेताजी का खून है
जिस की ले¶ट राईट सुनक अंग्रेजो के कान के परदे फट गए थें
हमारे सैनिको में उस गांधी का खून है
जिस की सुखी अहिंसा की लकडी को डरकर
अंग्रेज भी देश छेडकर भागे थे
हमारे देश के सैनिको में उस अम्बेंडकर का खून है
जिसकी कलम शाही से इतिहास के पन्नेम रंगे थे
अरे ओ दुश्म नो जरा तो शर्म करे ये फुले और शाहु का देश है
यहा पर अहिंसा और शांति का संदेश देने वाला बुदध भी है
जिसने युदध को त्याशगा था
ये हमारे भारतवासियों की खून की शाही है
इससे कभी मत खेलना
और इतना जरूर जान ले की
इस लिखने वाला भीम का गदा भी इस देश में है
अगर देश के आजादी के लिए भगत सिंह फांसी पर लटक सकते है
गांधी की हत्या की जा सकती है और अम्बेसडकर को मौत आ सकती है
तो हम अपना सर इस लडाई में कटा भी दे
मगर दुश्म नो की सिरो की माला पहनकर दूसरा अगुंलीमाल भी आ सकता है
असे दुश्म्नो जरा तो शर्म करो अगर हमारा गरम खून यहा है
हमारे गरम खून का इम्तिहान ना लो वर्ना कश्मीूरतो दूर ही सही
और एकता चाहते है तो सारा हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक कर जाउंगा
राजेश मून, वर्धा
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