वैश्विक
महामारी के दौर में सोशल मीडिया की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन
प्रस्तावना
सोशल
मीडिया एक ऐसा मंच, जहां समाज के लोग अपने
विचारों, सलाह लेने, मार्गदर्शन प्रदान
करने, सूचना ग्रहण व प्रेषित करने के लिए उपयोग करते हैं। यह
एक समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सूचना प्रेषित करने का एक सुगम माध्यम है।
क्योंकि सोशल मीडिया ने संचार बाधाओं को पूर्णतयः दूर कर दिया है और विकेन्द्रीकृत
संचार चैनल का निर्माण किया है।
जहाँ
एक तरफ समाज यह समाज को एक साथ जोड़ने का काम करता है वहीं दूसरी तरफ एक क्रांति के
साथ-साथ सामाजिक विघटन का कारण भी साबित हुआ। आज का समाज, विशेष रूप से युवा वर्ग, एक ऐसे राजनीतिक
साम्प्रदायिक एवं धार्मिक विघटनाकारी ताकतों का शिकार हो रहा है जो व्यक्तिगत एवं
सामाजिक जीवन के साथ साथ देश के आंतरिक सुरक्षा एवं शांति के लिए खतरनाक है। इसे
सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू कह सकते हैं।
वहीं
देखा जा जाए तो समाज को सीखने और वर्चुअल नेटवर्क पर बड़े समूह से जुडने का एक बड़ा
पायदान मिला है, लोगों को अपनो से दूर रहकर भी पास होने की
एक अलग खुशी भी मिली है। इस खुशी का अंदाजा आज के समय में फैली वैश्विक महामारी
(कोराना वाइरस) से लगाया जा सकता है जहां सरकार द्वारा पूरे देश में संपूर्ण लॉक डाउन
की घोषणा की गई और लोगों को सोशल डिस्टेसिंग (घरों में रहने) की सलाह दी। ताकि यह
वाइरस आपके घरों तक न पहुंच सके। वहीं इस लॉकडाउन में लोग को सोशल मीडिया की
वर्चुअल जिंदगी इन दिनों वास्तविक से अच्छी लग रही है, क्योंकि
यहां कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा नहीं है। परंतु तकरीबन सबकी गतिविधियां
वायरस के भय से उपजी चिंता से उबरने के उपायों के इर्द-गिर्द है।
सोशल
मीडिया विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर लोग इन दिनों पतंगा बन गए हैं और सोशल
मीडिया उनके लिए एक दीया। जिसके इर्द-गिर्द सभी लोग मंडरा रहे हैं। सभी लोग सुबह
से लेकर सोने से पहले तक फेसबुक, व्हाटसएप, ट्विटर या इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते रहते हैं और एक दूसरे के साथ विचारों
का आदन-प्रदान करते रहते हैं। क्योंकि लोगों में बेचैनी का आलम बना हुआ है। हर 5 से 10 मिनट में अपने मोबाइलों को चेक करते हैं कि
कहीं उनके परिजनों, दोस्तों, सरकार
द्वारा वायरस के संबंध में कोई सूचना प्रसारित तो नहीं की गई। इस बेचैनी में राहत
तब मिलती है जब पता चलता है कि हम अकेले नहीं है, बल्कि
बहुतेरे लोग इस बेचैनी से प्रभावित है।
वैसे
वर्तमान समय में लोग देश दुनिया की खबरों से फटाफट अपडेट के आदी हो चुके हैं। वहीं
कुछ लॉकडाउन के पहले सोशल मीडिया से लोगों के मोहभंग होने की बात भी खूब हो रही
थी। इसकी लत सेहत पर गंभीर असर डालती है। यह भी मान चुके थे, पर अब ये सब बातें पीछे छोड़ दी गई हैं। शोध बताते हैं कि आपदा के समय सोशल
मीडिया का इस्तेमाल बढ़ा है। ‘‘सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ
इंडिया के मुताबिक लॉकडाउन के बाद से डाटा की खपत में तकरीबन 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।’’ जिससे इस बात का
अंदाजा असानी से लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन में सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा है।
लॉकडाउन
के परिप्रेक्ष्य और सोशल मीडिया की भूमिका के संबंध में दुनिया की जानी-मानी ‘‘स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी (कम्युनिकेशन विभाग) के प्रोफेसर जेन हेंकॉक का
कहना है, सोशल मीडिया पर होने वाली चर्चा और गतिविधियां
बताती हैं कि हमारे समाज की क्या मनोदशा है और इस आपदा पर वह कैसी प्रतिक्रिया दे
रहा है। समाज से जुड़े रहने का यह एहसास मन को राहत देता है। यहां हैशटैग लगातार
बदल रहे हैं।’’
इस
बारे में मनोविज्ञानिकों का कहना है कि यह हमारी आदत है कि हम इंस्टैंट यानी तुरंत
राहत चाहते हैं। पुरानी चीजें हमें जल्दी बोर कर देती हैं। पर यदि आप ऐसी स्थिति
में आने से पहले खुद को रोक नहीं पा रहे तो आसानी से सोशल मीडिया आपको अपने शिंकजे
में ले सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि कैसे सोशल मीडिया लोगों को लॉकडाउन के इन
दिनों में रचनात्मक भी बना रहा है। वे उन लोगों का जिक्र करते हैं जो सोशल मीडिया
की मदद से डर और घबराहट दूर कर रहे हैं।
अब
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको सोशल मीडिया वांछित लाभ नहीं दे रहा तो इससे
कुछ वक्त दूर रहने का प्रयास ही आपके हित में है। इस बारे में ‘‘डॉक्टर राबर्टा बैब कहती हैं, सोशल मीडिया का
सकारात्मक प्रयोग नहीं समझते तो यह संभव है कि कुछ समय बाद आपके मन में डर,
गुस्सा और ‘फीयर ऑफ मिसिंग आउट’ यानी कुछ खो जाने का भय भरने लगेगा। रॉबर्टा बैब के मुताबिक यदि आप सोशल
मीडिया का प्रयोग निरुद्देश्य और संयमहीन तरीके से कर रहे हैं तो यह इन मुश्किल
दिनों में आपको अवसाद में डाल सकता है। याद रहे, इस अवसाद से
बचने का सक्रिय प्रयास भी आपको ही करना होगा।’’
इस
विषय में समाजशास्त्रियों ने कहा है कि पश्चिमी समाज के मुकाबले भारतीय समाज में
सोशल मीडिया आज भी नई चीज है। यह एक आधुनिक टूल है, जिसकी
मदद से समाज की बॉन्डिंग और इसकी परंपरा आधुनिक बनाने में मदद मिल रही है। अब लॉकडाउन
में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए एक-दूसरे से शारीरिक दूरी से पैदा हुई रिक्तता
की भरपाई में इससे मदद मिल रही है। सोशल मीडिया की पहुंच और क्षमता को देखते हुए
हमें इसका अधिक से अधिक सकारात्मक उपयोग करना चाहिए।
उद्देश्य
· कोरोना
वायरस में सोशल मीडिया की भूमिका का अध्ययन करना।
· कोरोना
वायरस के दौर में सोशल मीडिया के उपयोग का विश्लेषण करना।
उपकल्पना
· कोरोना
वायरस ने सोशल मीडिया के अन्य संचार के माध्यम से अलग प्लेटफॉम प्रदान किया है।
· कोरोना
वायरस के दौर में लोग सोशल मीडिया का उपयोग अपनी जरूरतों के हिसाब से कर रहे है।
शोध
प्रविधि-
· निदर्शन
प्रविधि- निदर्शन प्रविधि का प्रयोग करते हुए कोविड-19 और सोशल मीडिया के संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु ऑन लाइन 200 लोगों का चयन किया गया है।
· प्रश्नावली
प्रविधि- डेटा संकलन हेतु प्रश्नावली प्रविधि का प्रयोग किया गया है।
· अवलोकन
प्रविधि- डेटा संकलन हेतु अवलोकन प्रविधि
का प्रयोग किया गया है।
शोध
सीमा-
- प्रस्तुत
शोध पत्र के अंतर्गत केवल ऑन लाइन लोगों का चयन कर उनके मतों का समावेश किया गया
है।
देशभर
में कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण लॉकडाउन चल रहा है। इस दौरान लोग अपने घरों
में है। लोगों से लगातार यह आग्रह किया जा रहा है कि वह अपने घरों में रहें, ताकि इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। ऑफिस या फिर कामकाजी लोगों के
लिए घर में रहना एक तरीके से मुश्किलों भरा है। हालांकि उन्हें अपने परिवार और
अन्य कामों के लिए टाइम भी मिल जा रहा है। लोग अपने घरों में है इसलिए वह किताबें
पढ़ना पसंद कर रहे हैं, फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं,
किचन में खाना बनाना पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया का
इस्तेमाल भी खूब किया जा रहा है। एक सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लगभग हर
भारतीय ने सोशल मीडिया पर 4 घंटे से भी ज्यादा का वक्त
बिताया है।
सोशल
मीडिया का यह इस्तेमाल इसके पहले की सप्ताह की तुलना में 87% ज्यादा है क्योंकि अब लोग
अपने घरों में बंद है और उन्हें समय व्यतीत करने के लिए सोशल मीडिया का अच्छा खासा
साथ मिल रहा है। सोशल मीडिया के अलावा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और लाइव टीवी
देखने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। हालांकि रेडियो के क्षेत्र
में नुकसान हुआ है और कहा जा रहा है कि आउट ऑफ होम मीडिया रेडियो के उपभोक्ताओं
में कमी आई है। दरअसल लोग घरों में सोशल मीडिया पर अपने रिश्तेदारों से वीडियो
कॉलिंग के जरिए बात करना हो या फिर टिक टॉक या फिर अन्य सोशल साइट्स के जरिए खुद
को मनोरंजन करना हो, लोग सोशल मीडिया का भरपूर
इस्तेमाल कर रहे हैं।
इससे
पहले औसतन लोग सोशल मीडिया पर लगभग 150 मिनट
बिताते थे। वहीं 75%
लोग सोशल मीडिया पर अब ज्यादा समय बिताने लगे हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर पर ज्यादा टाइम खर्च करने लगे तो आंकड़ा बढ़कर अब 280 मिनट से भी ज्यादा हो गया है। लोगों की माने तो वह लॉकडाउन के दौरान सोशल
मीडिया का इस्तेमाल न्यूज देखने और अपने फैमिली और फ्रेंड से लगातार संपर्क में
रहने के लिए कर रहे हैं। शोध के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने पिछले 5 दिनों में सब्सक्रिप्शन में 80%
की वृद्धि दर्ज की है। वहीं वॉच टाइम में 50% की बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेट
ब्राउजिंग में भी लगभग 72ः का उछाल देखा गया है जो कि
पहले की तुलना में बहुत ज्यादा है। इंटरनेट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा कोरोना वायरस
से जुड़ी जानकारियों के लिए किया जा रहा है।
हैमरकॉफ
कंज्यूमर स्नैपशॉट द्वारा कराए गए सर्वे से यह तथ्य निकल कर सामने आया है। यह
सर्वे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और
चेन्नई के लगभग 1300 उपभोक्ताओं के बीच किया गया था। इस
सर्वे से जो निकल कर आया उसमें यह देखने को मिला कि ओटीटी मीडिया कंजप्शन में लगभग
71% की
बढ़ोतरी हुई है। इस सर्वे में यह भी निकल कर आया कि इंटरनेट का इस्तेमाल लगभग 7 बजे से ही शुरू हो जाता है जो कि पिछले हफ्ते में या 10 से 12 के बीच हुआ करता था। हालांकि लोगों ने यह भी
स्वीकार किया कि वह सुबह 8 से 9 के बीच
में टीवी भी देखते हैं।
लॉक
डाउन में सोशल मीडिया का उपयोग विभिन्न पहलुओं में किया जा रहा है जैसे-
शैक्षणिक
परिप्रेक्ष्यः- कोरोना वायरस (कोविड-19)
को रोकने के लिए शासन ने निर्देश जारी कर स्कूल-कॉलेज बंद रखने का
फैसला लिया। ताकि भीड़ न हो। और कोरोना वायरस बच्चों में न फैले। इसके एवज में
सरकार न सभी शौक्षिणक संस्थानों को बंद करवा दिया। कोरोना वायरस के चलते बंद हुए
शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों और एमएचआरडी के समक्ष एक बहुत बड़ी समस्या
उत्पन्न हुई कि बच्चों की शिक्षा का कैसे पूर्ण कराया जाए, तथा
उनको घर बैठे ही कैसे उनका अध्ययन अध्यापन कराया जाए। ताकि छात्र-छात्राओं की हो
रही पढ़ाई प्रभावित न हो। इसके साथ ही मार्च-अप्रैल माह बच्चों की परीक्षा का माह
होता है और कोरोना वायरस के चलते वो भी समय से पूर्ण नहीं हो पाई। इस समस्या का
निदान भी सोशल मीडिया ने ही तलाश कर दिया। एमएचआरडी ने देश-दुनिया के शैक्षणिक
संस्थानों के बच्चों की ऑनलाइन क्लास तथा ऑनलाइन परीक्षा लेने का निर्णय लिया,
जो बहुत हद तक कारगर साबित हो रहा है। शिक्षक सोशल मीडिया के
विभिन्न प्लेटफॉर्म (जूम क्लास, फेसबुक, गुगल क्लासरूम, यूट्यूव, व्हासटएप)
इत्यादि माध्यम के द्वारा बच्चों को स्टडी मटेरियल प्रदान कर ऑनलाइन क्लास ले रहे
हैं तथा बहुत से संस्थान सोशल मीडिया के माध्यम से ही छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा
लेने पर विचार कर रहे हैं। यह इनका सकारात्मक पक्ष है वहीं इनका नकारात्मक पक्ष यह
है कि इन ऑनलाइन क्लासों से केवल मध्यम वर्गीय व उच्च वर्गीय परिवार के बच्चों की
लाभांवित हो रहे हैं। वहीं निम्न वर्गीय बच्चे इससे वंचित रह रहे हैं, क्योंकि उनके पास इनका उपयोग करने के उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।
हालांकि बच्चों की पढ़ाई में कोई परेशानी न हो इसलिए पालक कहीं न कहीं से इंटरनेट
का रिचार्ज भी करवा रहे हैं। वहीं सरकार ने कक्षा 11 तक के
सभी छात्रों को प्रमोसशन दे दिया है।
सामाजिक
परिप्रेक्ष्य:- कोरोना वायरस के चलते लागू किया गया लॉकडाउन
उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बना जो प्रतिदिन कमाकर अपने परिवार का गुजर बसर कर
रहे थे। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हुई अपना और अपने परिवार का भेट कैसे
भरा जाए इस लॉकडाउन में। इस समस्या का निवारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से पूरा
किया जा रहा है। सामाजिक संगठनों ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर अपने नंबर देकर लोगों
से यह अपील कर रहे हैं कि उनके आस-पास यदि कोई भूखा है तो उसकी जानकारी दें जिससे
उन लोगों तक तत्काल खाना पहुंचाया जा सके। ताकि इस महामारी के समय में कोई भूखा न
रहे।
वहीं
बहुत से सामाजिक संस्थानों के साथ-साथ सामाजिक युवा कार्यकर्ता सोशल मीडिया के
माध्यम से मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर जरूरतमंदों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर
उनकी हर तरह की मदद कर रहे हैं।
इस
परिदृश्य में आगे बात कि जाए तो कोरोनो वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए घोषित
लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया आमजन की मदद से लेकर समस्याओं के समाधान में भी अहम
भूमिका निभा रहा है। पुलिस और प्रशासनिक अमले से लेकर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से
जुड़े लोग सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर खासे सक्रिय हैं। मुसीबत में फंसे
लोगों के ट्वीट, पोस्ट या मैसेज के आधार पर सभी जरूरतमंदों
की मदद के लिए अपने-अपने स्तर पर तत्काल सक्रिय हो रहे हैं। सोशल मीडिया के संदर्भ
में कई लोगों का यह भी कहना है कि यदि सोशल मीडिया न होता तो शायद लोगों की मदद
करने में खासी दिक्कतें आती और कौन जरूरतमंद है, इसका पता
लगाने में खासी दिक्कत होती। इसके साथ ही सोशल मीडिया यूजर्स यह भी अपील कर रहे
हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग अफवाह फैलाने के लिए या गलत जानकारी देने के लिए नहीं
बल्कि मुसीबत में फंसे लोगों की मदद के लिए ही किया जाए। यह सब सोशल मीडिया के
द्वारा ही संभव हुआ।
कामकाम
के परिप्रेक्ष्य में- कोरोना महामारी से बंद हुए सभी
संस्थानों में जैसे काम को पूरी तरह ठप्प कर दिया था। वहीं सोशल मीडिया ने सोशल
डिस्टेसिंग बनाए रखते हुए बिना घर से निकले यानि Work From Home
की सुविधा मुहैया करवाई है। जिसमें सरकारी व निजी कर्मचारी अपने घर बैठे-बैठे ही
सोशल मीडिया (ईमेल, फेसबुक, व्हाट्सएप, जूम) इत्यादि माध्यमों से अपने काम को
पूरा कर रहे हैं। जिससे लॉकडाउन खुलने के उपरांत काम का बोझ न बढ़े।
आपराधिक
परिप्रेक्ष्यः कोरोना महामारी के दौर में यदि कोई अफवाह
फैलती है तो उसका खंडन करने में भी सोशल मीडिया से अच्छी मदद मिल रही है। इसके
अलावा थाना स्तर के डिजिटल वालंटियर्स की मदद से आसानी से आमजन की गतिविधियों की
निगरानी भी पुलिस कर रही है। असामाजिक तत्वों द्वारा यदि कोरोना को लेकर सोशल
मीडिया पर अफवाह फैलाने का काम किया जाता है तो उसकी पुष्टि भी पुलिस प्रशासन
द्वारा करके उसके विरूद्ध दंडात्मक कार्यवाही भी की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने
कई अपराधिक तत्वों के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 153A/188/505 और
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत गिरफ्तार कार्यवाही की है।
ज्ञानात्मक
परिप्रेक्ष्यः- कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए
उठाए जा रहे एहतियाती कदमों के बीच पुरुष और महिलाएं सोशल मीडिया के माध्यम से
तरह-तरह के व्यंजनों को बनाने का तरीका, अन्यउपयोग
वस्तुओं से उपयोग की वस्तुएं बनाने का तरीका, सेहत के लिए
योगा अभ्यास, महिलाएं अपने सौंदर्य को बनाए रखने तथा बच्चे,
महिलाएं और पुरुष अपने ज्ञान में वृद्धि करने के लिए सोशल मीडिया का
सहारा ले रहे हैं। इसके लिए वह ऑनलाइन
वीडियो तथा विशेषज्ञों से राय भी ले रहे हैं।
राजनैतिक
परिप्रेक्ष्य:- लॉकडाउन की वजह से विपक्षी पार्टियों की
गतिविधियां सीमित हो गई हैं। जिसने नेताओं को अपने-अपने बंगलों में समेटकर रख दिया
है। पार्टी विपक्ष की भूमिका अब फेसबुक, ट्विटर और
अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों से निभाई जा रही है। तथा सरकार की सही रणनीति के
पक्ष में और गलत रणनीतियों के विपक्ष में अपनी प्रतिक्रिया भी सोशल मीडिया के
माध्यम से समय-समय पर दे रहे हैं।
प्रश्नवली
के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर निम्न मत प्राप्त हुए जो इस प्रकार हैं-
उत्तरदाताओं
से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण-
ग्राफ
संख्या:- 1
उपरोक्त
ग्राफ से यह ज्ञात होता है 200 उत्तरदाताओं में से 188
(94 प्रतिशत) ने कहा कि वह लॉकडाउन में सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे
हैं वहीं 12 उत्तरदाताओं (6 प्रतिशत)
ने अपना मत दिया कि वह लॉकडाउन में सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर रहे हैं। अतः आंकड़ों से ज्ञात होता है कि लोग लॉक डाउन
के समय में सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।
ग्राफ
संख्या:- 2
उपरोक्त
ग्राफ से यह ज्ञात होता है 200 उत्तरदाताओं में से 71
(35.5 प्रतिशत) का मत है कि वह लॉक डाउन में फेसबुक का उपयोग कर रहे
हैं। वहीं 54 उत्तरदाताओं (27 प्रतिशत)
व्हाट्सएप, 35 उत्तरदाताओं (17.5
प्रतिशत) यूट्यूब, 27 उत्तरदाताओं (13.5 प्रतिशत) ट्वीट तथा 13 उत्तरदाताओं (6.5 प्रतिशत) इंस्टाग्राम का उपयोग कर रहे हैं। अतः आंकड़ों से ज्ञात होता है
कि लॉकडाउन के समय में सर्वाधिक लोग फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं।
ग्राफ
संख्या:- 3
उपरोक्त
ग्राफ से यह ज्ञात होता है 200 उत्तरदाताओं में से 93
(46.5 प्रतिशत) लोगों के कहा कि लॉक डाउन के समय में वह सोशल मीडिया
का उपयोग समय व्यतीत करने के लिए कर रहे हैं। और 32
उत्तरदाताओं (16 प्रतिशत) लोग कोरोना की जानकारी प्राप्त
करने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं। तथा 56
उत्तरदाताओं (28 प्रतिशत) अपने ज्ञान में वृद्धि करने के लिए
एवं 19 उत्तरदाताओं (9.5 प्रतिशत) अपने
कामकाम को पूरा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। अतः आंकड़ों से ज्ञात
होता है कि लॉकडाउन के समय में लोग सोशल मीडिया का उपयोग समय व्यतीत करने के लिए
सर्वाधिक कर रहे हैं।
ग्राफ
संख्या:- 4
उपरोक्त
ग्राफ से यह ज्ञात होता है 200 उत्तरदाताओं में से 116
(58 प्रतिशत) लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से
संबंधित सकारात्मक खबरें प्रसारित हो रही हैं। वहीं 84
उत्तरदाताओं (42 प्रतिशत) ने अपना मत नकारात्मक पक्ष में
दिया कि सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस के संदर्भ में नकारात्मक खबरें प्रसारित हो
रही है। अतः आंकड़ों से ज्ञात होता है कि सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से संबंधित
सकारात्मक खबरें प्रसारित हो रही है।
ग्राफ
संख्या:- 5
उपरोक्त
ग्राफ से यह ज्ञात होता है 200 उत्तरदाताओं में से 133
(66.5 प्रतिशत) ने अत्याधिक सहमत के पक्ष में मत दिया कि लॉक डाउन
के दौर में सोशल मीडिया से लोग लाभांवित हो रहे हैं और 61
उत्तरदाताओं (30.5 प्रतिशत) ने सहमत के पक्ष में अपने विचार
ब्यक्त किए। जबकि 0 उत्तरदाताओं (0
प्रतिशत) न सहमत न असहमत के पक्ष में थे। वहीं 2 उत्तरदाताओं
(1 प्रतिशत) ने असहमत पर अपना मत दिया तथा 4 उत्तरदाताओं (2 प्रतिशत) ने लॉकडाउन के दौर में
सोशल मीडिया से लोग लाभांवित पर अत्याधिक असमति व्यक्त की। अतः आंकड़ों से ज्ञात
होता है कि लॉकडाउन के दौर में सोशल मीडिया से लोग लाभांवित हो रहे हैं।
निष्कर्ष
करोना
वायरस ने पिछले कुछ महीनों में दुनिया बदल दी है। लोग हफ्तों से घरों में बंद हैं।
भारत में भी लॉकडाउन को एक महीने से ज्यादा का समय पूरा हो चुका है। घरों में बंद
लोगों के पास कोरोना से जुड़ी सूचनाओं का सबसे तेज सोर्स सोशल मीडिया है, यही नहीं लोगों की हर सोशल मीडिया पोस्ट या एक्टिविटी कोरोना से या
लॉकडाउन एक्टिविटी से जुड़ी हुई है। इसके कारण लोग सोशल मीडिया बर्न आउट के शिकार
भी हो रहे रहे हैं। दरअसल, सोशल मीडिया बर्न आउट सोशल मीडिया
के अत्यधिक उपयोग से उपजी स्थिति होती है। जब हर कुछ मिनटों में आप अपना अकाउंट और
नोटिफिकेशन चेक करते हैं और अपेक्षाकृत नई सूचना या अपडेट न मिलने पर झुंझलाहट,
निराशा और कई बार अवसाद का शिकार भी हो सकते हैं।
सोशल
मीडिया बर्न आउट की एक और गंभीर स्थिति होती है, जब
आप सही और गलत खबर के मध्य अंतर नहीं कर पाते हैं। कोविड 19
में भी यही हो रहा है। लोग संक्रमण के आकंड़ों, उपचार,
लॉकडाउन से जुड़ी खबरों को फेसबुक, ट्विटर और
व्हाट्सप्प पर सर्च कर रहे हैं तथा शेयर कर रहे हैं और इससे इतना अधिक डाटा
उत्पन्न हो रहा है कि यूजर के समक्ष सही-गलत, रियल- फेक के
अंतर को समझने की चुनौती उत्पन्न हो रही है। हमें यह समझना होगा की सोशल मीडिया
कितनी भी तेज गति से चले, करोना से संबंधित अपडेट और
जानकारियां अपनी गति से चलेंगी। सामान्यतः दिन में एक या दो बार सरकार के स्तर से
अधिकृत सूचनाओं को जारी किया जाता है। इन्हीं सूचनाओं को विभिन्न माध्यम से दिनभर अलग-अलग कोणों से परोसते हैं।
प्रश्नावली
के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि 94 प्रतिशत
लोग लॉकडाउन में सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं जिसमें वह 35.5 प्रतिशत तक फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं।
46.5 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वह फेसबुक व अन्य
सोशल मीडिया का उपयोग लॉकडाउन में समय व्यतीत करने के लिए कर रहे हैं। वैसे कोरोना
वायरस के संदर्भ में 58 प्रतिशत लोगों का मत है कि सोशल
मीडिया पर सकारात्मक खबरें प्रसारित हो रही है। जिससे 66.5
प्रतिशत लोग अत्याधिक सहमत हैं कि लॉक डाउन के दौर में सोशल मीडिया से उन्हें
लाभांवित कर रहा है।
इस
तरह जहां एक ओर सोशल मीडिया की सकारात्मक शक्तियों से लोग लाभांवित हो रहे हैं तो
दूसरी ओर नकारात्मक शक्तियों से सामाजिक भेदभाव भी बढ़ रहा है। जिस कारण एक विश्वास
की भी कमी आ रही है। जहां व्यक्ति एक-दूसरे से नफरत कर रहा है। समाज में
वैयमनुष्यता को जन्म देने और जहर फैलाने वाली अराजक तत्वों से लडना होगा। आज के
समाज को यह भी समझना अत्यंत आवश्यक है कि इस मंच पर क्या शेर करे और क्या न करें।
सोशल मीडिया के नकारात्मक पक्ष को इस महामारी के समय में दरकिनार तो नहीं किया जा
सकता क्योंकि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एक सकारात्मक दूसरा नकारात्मक। बस लोगों
को ही निर्धारित करने की आव्रश्यकता है कि वह इस वैश्विक महामारी के दौर में सोशल
मीडिया का उपयोग किस परिप्रेक्ष्य में करना चाह रहे हैं। क्योंकि हम सभी की
जिम्मेवारी है की एक स्वस्थ समाज की स्थापना हो, अन्यथा
आने वाला कल बहुत ही भयावह होगा।
संदर्भ
ग्रंथ सूची
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·https://www.jagran.com/news/national-during-coronavirus-lockdown-people-are-getting-bored-of-social-media-jagran-special-20176811.html
· https://www.prabhasakshi.com/national/-lockdown-87-percent-traffic-on-social-media-people-are-spending-4-hours-daily
· https://www.navodayatimes.in/news/khabre/coronavirus-covid-19-heath-ministry-narendra-modi-/141014/
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https://hindi.webdunia.com/hindi-essay/social-media-essay-117061900033_1.html
·
https://www.samachar4media.com/media-forum-news/a-journalist-booked-by-andaman-police-for-objectionable-social-media-posts-on-covid-19-53372.html
·
https://www.patrika.com/chitrakoot-news/social-media-covid-19-lockdown-up-chitrakoot-5945064/
·
https://www.amarujala.com/jammu/social-media-becoming-helpful-in-social-distancing-shopkeepers-started-initiative-in-kashmir?pageId=1
·
https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/varanasi/lock-down-i-am-stuck-i-have-to-investigate-corona-support-social-media-for-all-complaints
·
https://www.india.com/hindi-news/lifestyle/social-media-become-the-biggest-help-for-women-in-lockdown-4009810/
·
https://www.jagran.com/politics/national-coronavirus-in-mp-congress-role-in-lockdown-limited-to-tweet-and-letter-20226661.html
·
https://www.prabhatkhabar.com/state/jharkhand/palamu/coronavirus-lockdown-palamus-youth-are-setting-an-example-of-social-media-usage
· https://hindi.news18.com/news/chhattisgarh/dhamtari-corona-virus-latest-update-covid-19-news-took-support-of-social-media-in-lockdown-children-studying-through-whatsapp-chhab-cgpg-3003178.html
·
https://www.bbc.com/hindi/india-52101362
·
https://www.amarujala.com/columns/blog/coronavirus-covid-19-fake-social-media-updates-lockdown-increases-social-media-users