tag:blogger.com,1999:blog-9122041277463407368.post9094640341727625208..comments2023-05-20T01:46:35.154-07:00Comments on सरोकार की मीडिया: विज्ञान और नीतिशास्त्रDr. Gajendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/14495719857548358987noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9122041277463407368.post-41797254490896415792012-07-12T00:06:52.563-07:002012-07-12T00:06:52.563-07:00वर्तमान युग में धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी मनुष...वर्तमान युग में धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9122041277463407368.post-26345791641041000592012-06-15T01:06:35.594-07:002012-06-15T01:06:35.594-07:00धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं न...धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।<br />व्यक्तिगत (निजी) धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।<br />सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।<br />धर्म संकट- जब सत्य और न्याय में विरोधाभास होता है, उस स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस परिस्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।<br />धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है ।<br />धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।<br />व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म, इत्यादि ।<br />धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिदेव) से लेकर इस क्षण तक ।<br />शिव (त्रिदेव) है तभी तो धर्म व उपासना है ।<br />राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाता है ।<br />कृपया इस ज्ञान को सर्वत्र फैलावें । by- kpopsbjriAnonymousnoreply@blogger.com