सरोकार की मीडिया

test scroller


Click here for Myspace Layouts

Wednesday, November 15, 2017

बाबाओं की हकीकत

बाबाओं की हकीकत

आस्‍था का भय दिखाकर लोगों से भगवान के नाम पर चढ़ने वाली चढ़ौत्री से अपनी-अपनी तोंदों को दिन दूनी रात चौगनी वृद्धि करने वाले तथाकथित बाबाओं कब तक भगवान के नाम पर लोगों को लूटने का काम करते रहोगे....मुफ्त का खा-खा कर अपनी-अपनी तोंदें देखी हैं... किसी तरह फैल चुकी हैं ऐसा लगता है कि अब फटेगी या तब फटेगी... पर इनको क्‍या फर्क पड़ता है। ठेका जो खोल रखा है भगवानों का, जहां से मुफ्त का माल मिल ही जाता है.... और वो भी ट्रैक्‍स फ्री... इन तथाकथित बाबाओं पर तो कोई ट्रैक्‍स भी नहीं लगता.... अरूण जेटली को चाहिए था कि इन बाबाओं की आमदनी पर ट्रैक्‍स लगाकर 28 प्रतिशत तक जीएसटी भी लगा देते तो शायद इनकी तोंदों में कुछ हद तक कमी आ जाती... परंतु नहीं, क्‍योंकि भगवान पर जीएसटी कहां लगती है लगती तो बस आम आदमी पर है.. गरीब आदमियों पर... वैसे एक साल पहले जब नोट बंदी हुई थी तब से लेकर अब तब मुझे कोई बाबा लाइन में लगा नजर नहीं आया जो नोट बदलने बैंकों की लाइनों में लगा हो... तो क्‍या यह मान लिया जाए कि यह बाबा कंगाल थे इनके पास 500 और 1000 के एक भी नोट नहीं थे या यह मान ले कि भगवान स्‍वयं आकर इनके पास जमा रकम को रातों रात बदल कर चले गए... या यह मान ले की अंदर ही अंदर इनके पास जमा काली रकम को नेताओं ने सफेद कर दिया......
अब कुछ लोग कहेंगे की इनके बाबाओं के पास इतनी रकम नहीं थी कि वो लाइन में लगकर इनके बदलवाते... इस तर्क पर वितर्क किया जा सकता है क्‍योंकि आमतौर पर इन बाबाओं के पास मंहगें-मंहगें आई फोन, लग्‍जरी गाडियां देखी जा सकती हैं... जो कहीं न कहीं चढ़ावें की रकम से खरीदी गई हैं... यानि मंदिरों में मोटी-मोटी रकम चढ़ावें के रूप में चढ़ती है तभी तो यह बाबा अपना शौक पूरा करते देखे जा सकते हैं.... वैसे बाबा तो वह होता है जो सब कुछ त्‍याग देता है.... और अपनी श्रद्धा भक्ति से लोगों की मदद करता है... लग्‍जरी गाडियों, मंहगें-मंहगें फोन और एसीओं में रहने वाले बाबा कैसे हो सकते हैं यह तो ढोंगी बाबा हैं जो अपने प्रपंच से लोगों को चूतिया बनाकर उन्‍हें लूटने का काम करते हैं.....

वैसे चूतियों की जमात कुछ कम नहीं है जो इन तथा‍कथित बाबाओं को भगवान का दर्जा दे देते हैं... लोगों द्वारा भगवान का दर्जा मिल जाने के कारण शासन-प्रशासन भी इन बाबाओं पर आसानी से हाथ डालने से कतराती नजर आती है क्‍योंकि उनके जनता का भय रहता है कि कहीं बाबाओं पर हाथ डाला तो जनता उग्र रूप न अपना ले... तो वह बाबाओं के मामले में बचती नजर आती है.. चाहे यह बाबा अच्‍छा काम करें, या फिर बुरा..... क्‍योंकि इन बाबाओं के लिए  नियम और कानून शायद अलग होते हैं... तभी तो एक आम आदमी गांजा पीता है तो उसको पकड़ कर जेल में डाल दिया जाता है वहीं बाबाओं द्वारा पूरी की पूरी गांजा की खेती की जाती है और उसको कोई नहीं पकड़ता... तो हुआ ना इन बाबाओं के लिए कानून अलग... खैर वर्तमान समय हो या पहले का धर्म के नाम पर बाबाओं द्वारा लूटा जाता रहा है और लूटा जाता रहेगा.... 

No comments: