सरोकार की मीडिया

test scroller


Click here for Myspace Layouts

Wednesday, August 30, 2017

मै‍रिटल रेप के दोनों पक्षों पर विचार हो

मै‍रिटल रेप के दोनों पक्षों पर विचार हो


मैरिटल रेप पर विगत कुछ दिनों से फेसबुक पर चर्चा आम होती जा रही है कि, शादी के बाद महिला साथी के बगैर मर्जी के सेक्‍स को मैरिटल रेप माने। अब सवाल यह भी उठता है कि महिला की मर्जी हो और पुरूष की मर्जी ना हो इसके बावजूद उक्‍त महिला (पत्‍नी) अपने पति को मजबूर करें सेक्‍स करने के लिए, तो इसे की कैटेगरी में रखा जाए। इस पर भी बहस होनी चाहिए। एक पक्ष को लेकर तर्क, वितर्क या कुतर्क नहीं करना चाहिए। दोनों पक्षों  पर विचार करना चाहिए। क्‍योंकि पुरूष ही नहीं अ‍पितु, महिला भी अपने पति को मजबूर करती है सेक्‍स करने के लिए। हालांकि शादी के बाद भी महिला चाहती है कि उसकी मर्जी के बगैर (इच्‍छा के विपरीत) यदि उसका पति सेक्‍स के लिए मजबूर करे तो उसे मैरिटल रेप में रखा जाए। तो फिर ऐसा कर लेना चाहिए कि शादी करें और अलग-अलग ही रहे। जब दोनों की आपसी सहमति हो तो मिलें और सेक्‍स करें। और नहीं तो अलग-अलग तो रह ही रहे हैं.... जैसा अधिकांश प्रेमी/प्रेमिकाओं के बीच में होता है। वह आपसी सहमति से सेक्‍स करते हैं जब दोनों की सहमति होती है तो, नहीं तो अलग-अलग तो रह ही रहे होते हैं। ठीक इसी प्रकार करना चाहिए। इससे महिलाओं के इच्‍छा के विपरीत उसका पति उसके साथ सेक्‍स नहीं कर सकेगा और महिलाओं को मैरिटल रेप से भी मुक्ति मिल जाएगी। 

यह कैसा प्रेम है.....

यह कैसा प्रेम है.....
प्रेम एक शास्‍वत सत्‍य है। प्रेम की अनुभूति हमें वो एहसास कराती है जिसकी छुअन मात्र से हम आपने आपको तृप्‍त कर लेते हैं। हम प्रेम में अपने प्रेमी/प्रेमिका का हित, उसके दु:ख-दर्द में साथी, खुशियों में खुश होते हैं, चाहते है कि हमारा प्रेमी/प्रेमिका हमेशा खुश रहे उसके पास दु:ख भटक भी न पाए। पर यह कैसा प्रेम है जहां एक तथाकथित महिला (शादी नहीं हुई फिर भी लड़की नहीं कहां जा सकता) अपने प्रेमी को सोशल मीडिया पर उछालती हुई दिखाई दे रही है... उसके तथ्‍य हैं कि उसके प्रेमी के अन्‍य लड़कियों के साथ भी तालुकात हैं। और अब वह उसे घास नहीं डाल रहा।  वैसे जब आप उस लड़के के प्रेम में आई तब भी तो आपको पता था कि वह किसी और के साथ पंतगें उड़ा रहा है। फिर आपको क्‍या जरूरत थी उसकी डोरी से डोर जोड़ने की।  जोड़ भी ली वहां तक तो ठीक है क्‍या जरूरत थी आसमान में हिलारें मारने की। सब जानते हुए आप उसके पास आए... प्रेम हुआ, शादी के बाद का मसला पहले ही हल कर लिया। चलो शारीरिक पूर्ति थी कर ली....अब वह मुकर रहा है आपसे शादी करने से। यह बात तो आपको पहले से ही पता था कि वह ऐसा है फिर भी आपके वो सब उसके साथ कर लिया जो शादी के बाद होता है। आपको ज्ञात था कि उसके संबंधी अन्‍य लड़कियों के साथ हैं फिर भी वो कौन से कारण थे जिस कारण से आप उसके घर जाते रहे, उसके कपड़े घोते रहे, उसके लिए खाना बनाते रहे।  यानि आपने शादी के पहले ही उसे आपना पति मान लिया था... परंतु आपको ज्ञात हो मान लेना और होने में बहुत बड़ी बात होती है....खैर जो भी था आप सब जानते हुए उसके साथ जुड़े रहे, फिर कुछ ही दिनों में वो कौन से कारण उत्‍पन्‍न हो गए जिस कारण से वो तथा‍कथित महिला उसे फेसबुक पर नंगा कर रही है उसके खिलाफ महिला मोर्चो खोल लिया है। यहीं अगर वो लड़का करता तो क्‍या होता....अगर उसने उस महिला के साथ गलत किया है तो जाइए थाने में रिपोर्ट लिखवाइए... और उसके खिलाफ केस दर्ज करवाए। यह नहीं करना तो उसके घर जाए और जुती उतार कर चार लगाए..... परंतु इस तरह से किसी को बेइज्‍जत करना कहां तक उचित है.......वहीं मेरे फेसबुक में जुड़े एक शख्‍स (नाम नहीं लिख रहा हूं) एक महिला का फोटों अपलोड करके सभी को उपदेश और हितायतें देते हुए दिखाई पड़ते है कि उक्‍त महिला से दूरी बनाकर रखें, यह महिला लोगों को अपनी प्‍यारी-प्‍यारी बातों के जाल में फंसा लेती है और फिर उसका दुर्यपयोग करती है। आपको बता दूं जिस महिला की फोटो अपलोड करता है वह उसकी पूर्व पत्‍नी थी। दो तरह के मासले, एक में तथाकथित महिला सोशल मीडिया पर अपने प्रेमी को नंगा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एक तथाकथित पुरूष अपनी पूर्व पत्‍नी को नंगा कर रहा है। अब आप लोग की बताए क्‍या यह सही है। 

Friday, August 25, 2017

यौन शोषण मामले में राम रहीम अपराधी साबित....

यौन शोषण मामले में राम रहीम अपराधी साबित ....

15 साल पुराने साध्‍वी यौन शोषण मामले में सीबीआई, पंचकुला कोर्ट ने डेरा सच्‍चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दे दिया है.... सजा 28 अगस्‍त को तय की जाएगी... सूत्रों के मुताबिक बाबा राम रहीम को 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। बाबा को जेल भेजने से पहले बाबा का मेडिकल कराया जाएगा फिर सेना व पुलिस की सुरक्षा में उसे जेल भेज जाएगा। अब देखना यह है 3-4 दिनों से बाबा अंध भक्‍त पंजाब व पंचकुला में अपना डेरा डाले हुए थे उनकी क्‍या प्रतिक्रिया हो सकती है.... हालांकि पांच राज्यों में हाईअलर्ट है, तीन राज्यों में धारा 144 पहले ही लगा दी गई थी, साथ ही चप्पे चप्पे पर पुलिस और अर्धसैनिक बल भी तैनात हैं। कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं। अब सेना को भी बुला लिया गया है जिससे  स्थिति को नियंत्रण में रखा जाए.... क्‍योंकि राम रहीम के खिलाफ फैसला आने पर उपद्रव होने का डर है। डेरा समर्थक कहते हैं कि अगर राम रहीम के खिलाफ फैसला आया तो वे मर जाएंगे और मार देंगे। उपद्रव को ध्‍यान में रखते हुए आज हाईकोर्ट ने प्रशासन को साफ तौर पर कह दिया है कि यदि कोई भी बवाल होता है तो उसको रोकने के लिए बल का प्रयोग करें, परंतु स्थिति को नियंत्रण में रखा जाए....
आज की स्थिति पर गौर करें तो गुरमीत 800 गाडियों के काफले के साथ पंचकुला पहुंचे थे जहां सुनवाई के दौरान पहले वह हाथ मलते रहे फिर हाथ जोड़ लिए... और पूरी सुनवाई के दौरान वह सिर नीचे करके खड़े रहे...कहीं न कहीं वह माफी मांगते नजर आए, सुनवाई पूरी होने के बाद जज जगदीप सिंह ने गुरमीत राम रहीम को साध्‍वी के रेप में दोषी पाया.... और सजा का निर्धारण 28 अगस्‍त को करने का निर्णय लिया है....वैसे साध्वी से यौन शोषण के साथ ही 2 हत्याओं को लेकर भी शक की सुई डेरे की ओर है। इस मामले की भी सुनवाई अंतिम चरण में है और जल्द ही फैसला आ सकता है।
पूरे मामले को समझा जाए तो मई 2002 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह पर उनकी एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया। साध्वी ने एक गुमनाम पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया जिसकी एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई। इस मामले पर कार्रवाई की जा रही थी कि 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या हो गई। डेरे को शक था कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के रहने वाले रणजीत ने अपनी ही बहन से वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है। रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी और उसने पत्र लिखे जाने से पहले डेरा छोड़ दिया था। रणजीत की उस समय हत्या हुई जब वह अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में नौकरों के लिए चाय लेकर जा रहे थे। हत्यारों ने अपने गाड़ी को जीटी रोड पर खड़ा रखा और गोलियों से भूनने के बाद फरार हो गए। चर्चा रही कि रणजीत सिंह ने डेरे के कई तरह के भेद खोलने की धमकी दी थी।
जनवरी 2003 में हाई कोर्ट में पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता व गांव के तत्कालीन सरपंच जोगेंद्र सिंह ने याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की। 24 सितंबर 2002 को हाई कोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
वहीं 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक 'पूरा सच' के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां मारी गईं। बताया जाता है कि साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित करने की वजह से संपादक पर हमला किया गया। आरोप लगे कि मारने वाले डेरे के आदमी थे। 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा। 21 नवंबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई।
दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग की। परिवार का आरोप था कि मर्डर के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता को पुलिस बचा रही है। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की। याचिका में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया।
हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई इकट्ठी करते हुए 10 नवंबर 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को स्टे कर दिया।
नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए। सीबीआई ने पुन: उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया। जांच के बौखलाए डेरा के लोगों ने सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया।
जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया। डेरा ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा मांगनी पड़ी। न्यायालय ने हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को नियमित जमानत दे दी जबकि हत्या मामलों के सहआरोपी जेल में बंद थे। तीनों मामले पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में हैं। 2007 से लेकर अब तक इन तीनों मामलों की अदालती कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए डेरा सच्चा सौदा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2007 में सीबीआई अदालत अंबाला में थी। उस दौरान पेशी के लिए न्यायालय द्वारा अंबाला बुलाए जाने पर डेरा प्रमुख की ओर से वहां हजारों समर्थकों को एकत्रित कर शक्ति प्रदर्शन किया गया और लगातार अदालत पर दबाव की रणनीति के तहत डेरा प्रेमियों ने लाठियां लहराईं। पेशी से परमानेंट छूट मांगी गई।

वहीं जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा के बावजूद डेरा प्रमुख को जान का खतरा बताते हुए डेरा सच्चा सौदा से लेकर अदालत परिसर तक डेरा के लठैत पेशी के दौरान मानव शृंखला बनाए रहते हैं। साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा पक्ष की ओर से 98 गवाहों की सूची अदालत को सौंपी गई थी। अनेक उलझनों व रुकावटों को पार करते हुए अब 15 साल बाद 25 अगस्त को गुरमीत को आखिरकार साध्‍वी यौन शोषण मामले में दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया गया है। 

Wednesday, August 23, 2017

महिलाओं के लिए बने कानून कितने कारगर.......

महिलाओं के लिए बने कानून कितने कारगर.......

तीन तलाक के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे 6 माह के लिए असंवैधानिक घोषित कर दिया है और यह कहा है कि केंद्र सरकार इस मामले पर कानून बनाए.... यहां तक तो ठीक है कि कानून बनाए, पर कानून का कितना पालन किया जाना चाहिए इस बात पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला साफ नहीं किया। क्‍योंकि इसके पहले भी महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के संबंध में भारत में बहुत से कानून बन चुके हैं। जिनमें सती प्रथा निवारण अधिनियम 1827, दहेज निवारण अधिनियम 1961 (संशोधित 1986), अनैतिक व्‍यापार निवार अधिनियम 1956 (संशोधित 1986), बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 (संशोधित 1976), औषधियों द्वारा गर्भ गिराने से संबंधित अधिनियम 1971, स्‍त्री अशिष्‍ट रूपण (प्रतिबंध) अधिनियम 1986, चलचित्र अधिनियम 1952, विशेष विवाह अधिनियम 1954, प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम 1994, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, कार्य स्‍थल पर यौन शोषण अधिनियम 1997, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 एवं 2006 बनाए गए हैं। साथ ही भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत अभिज्ञेय अपराध में बलात्कार (धारा 376), अपहरण एवं अपावर्तन (धारा 363 एवं 373),दहेज मानवहत्या (धारा 302 एवं 304ठ), उत्पीड़न.शारीरिक व मानसिक (धारा 498), छेड़छाड़ (धारा 354), छेड़छाड़ अथवा यौन उत्पीड़न (धारा 509), लड़कियों का आयात व्यापार (धारा 366.ठ) और हत्या (दहेज हत्या के अतिरिक्त धारा 302) के तहत सजा का प्रवाधान है। पर क्‍या इन बने हुए कानूनों से महिलाओं पर अत्‍याचार कम हो गए हैं या होने बंद हो गए हैं तो सभी का जबाव होगा नहीं.... क्‍योंकि कानून तो बने हैं ऐसे कानून बनाए जाने से क्‍या फायदा जिससे महिलाओं पर होने वाले अपराधों में कमी आने के बजाय साल दर साल वृद्धि होने लगे।   
आप बलात्‍कार को ले लीजिए कानून तो बना है पर हर 15.2 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्‍कार होता है। जिन पर हमारी सुरक्षा का भार है वो भी बलात्‍कार को अंजाम देने से नहीं चूकते, क्‍योंकि हर 3.8 दिनों में पुलिस कस्‍टडी में एक महिला के साथ बलात्‍कार होता है। वहीं 6 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ भी हर 17 घंटे में एक रेप की वारदात को अंजाम दिया जाता है। और तो और हर 4 घंटे में एक गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया जाता है। वहीं हर 2 घंटे में एक बलात्‍कार का असफल प्रयास होता है। इस संदर्भ में कानून कहता है कि 86 प्रतिशत बलात्‍कार के मामले अभी लंबित हैं सिर्फ 29 प्रतिशत मामलों में सजा मिली है। यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए देश में 275 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए हैं लेकिन ये कोर्ट भी महिलाओं को कम वक्त में न्याय दिलाने में कामयाब नहीं हो पा रहे। महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े 332 से ज्यादा मामले इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। और  देश भर की उच्च न्यायालयों में ऐसे लंबित मामलों की संख्या 31 हज़ार 386 है।  देश की निचली अदालतों में 95 हज़ार से ज्यादा महिलाओं को न्याय का इंतज़ार है। 
वहीं घरेलू हिंसा कानून बनने के बावजूद राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण कार्यक्रम से ज्ञात हुआ है कि 37.2 प्रतिशत महिलाओं ने यह स्‍वीकार किया कि विवाह के बाद ये अपने पति के हिंसात्‍मक आचरण का शिकार हुई हैं। विवाहित महिलाओं के विरूद्ध की जाने वाली हिंसा के मामले में बिहार सबसे आगे है, जहां 59 प्रतिशत महिला घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। शहरी इलाकों में यह प्रवृत्ति अधिक है। दूसरे राज्‍यों की स्थिति भी बहुत ठीक नहीं है, मध्‍य प्रदेश में 45.8, राजस्‍थान में 46.3, मणिपुर में 43.9, उत्‍तर प्रदेश में 42.4, तमिलनाडु में 41.9 तथा पश्चिम बंगालमें 40.3 प्रतिशत विवाहित महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं।
इस संदर्भ में आगे देखा जाए तो महिला उत्‍पीड़न की स्थिति के संदर्भ में आंकड़े इसकी कहानी खुद व खुद दर्शाते हैं क्‍योंकि महिला उत्‍पीड़न संबंधी घटनाएं बेकाबू होती जा रही है। वैसे तो महिलाओं से संबंधित बहुत कम मामले पंजीकृत हो पाते हैं, पर जो पंजीकृत होते हैं, उनमें प्रताड़ना 30.4 प्रतिशत, छेड़छाड़ 25 प्रतिशत, अपहरण 12 प्रतिशत, बलात्‍कार 12.8 प्रतिशत, भ्रूण हत्‍या 6.7 प्रतिशत, यौन उत्‍पीड़न 25 प्रतिशत, दहेज मृत्‍यु 4.6 प्रतिशत, दहेज उत्‍पीड़न 2.3 प्रतिशत व अन्‍य 0.3 प्रतिशत हिंसा आदि के मामले दर्ज किए गए थे।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने देशभर में 2014 में हुए कुल अपराधों एक बार फिर मध्य प्रदेश रेप के मामले में पहले नंबर पर है। इसके साथ ही कुल अपराध (आईपीसी) में भी उसका स्थान पहला है। भले ही अपराधों के मामलों में दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश का नाम सुर्खियों में रहता हो पर एनसीआरबी के ताजा आंकड़े और ही कहानी बयां कर रहे हैं। बीते सालों की तुलना में सबसे ज्यादा अपराध मध्य प्रदेश में हुए हैं। इनकी बढ़ोत्तरी दर 358 प्रतिशत रही है। भले ही दिल्ली को रेप कैपिटल कहा जाता हो पर एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बीते साल में मध्य प्रदेश में 5,076 रेप की घटनाएं हुई। यानी हर दिन करीब 14 रेप इस प्रदेश में हुए। रेप के मामले में दूसरे नंबर पर राजस्थान है यहां 3759 और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां 3461 इस तरह के मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में 2,096 ही दर्ज किए गए। दिल्ली के मुकाबले मध्य प्रदेश में इसकी दर दोगुनी है। सबसे कम रेप के मामले नागालैंड से है यहां एक साल में कुल 30 प्रकरण सामने आए हैं। 2013 में महाराष्ट्र में 4335 और महाराष्ट्र में 3065 मामले सामने आए थे।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राष्‍ट्रीय अपराध अभिलेख ब्‍यूरो की रिपोर्ट के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में महिलाओंके विरूद्ध हुए अपराधों की दर 11.9 प्रतिशत रही, जबकि अन्‍य प्रदेशों में यह दर 30.8 आंध्र प्रदेश, 13.9 गुजरात, 21.9 हरियाणा, 22.3 मध्‍य प्रदेश, 13.8 महाराष्‍ट्र, 20;1 उड़ीसा, 26.2 राजस्‍थान, 23.9 दिल्‍ली तथा केंद्र शासित प्रदेशों में औसत अपराध दर 22.1 एवं संपूर्ण भारत वर्ष में अपराध दर 17.4 प्रतिशत रही। एन.सी.आर.बी. की नवीनत रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 133 बुजुर्ग महिलाओं पर यौन हमले किए गए तथा बलात्‍कार के कुल 20737 मामले दर्ज हुए।
इसके साथ-साथ भारत सरकार ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस साल जनवरी में बलात्कार के 140 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 43 मामले अनसुलझे हैं। इसके अलावा छेड़छाड़ के 238 मामले दर्ज किए गए है, जिनमें से 133 अनसुलझे हैं। साथ ही अगर वर्ष 2016 की बात करें तो दिल्ली में बलात्कार के 2,155 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 291 अनसुलझे हैं। छेड़छाड़ के 4,165 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,132 अनसुलझे हैं। वहीं, छींटाकशी के 918 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 339 अनसुलझे हैं। इस साल जनवरी में छींटाकशी के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में बच्चि‍यों के खि‍लाफ होने वाले अपराध के 94,172 मामले दर्ज किए गए। इनमें 10,854 रेप के मामले थे। इसी साल 8,390 ऐसे मामले देखने को मिले, जिसमें इरादतन बच्चियों की शीलता भंग की गई. वहीं, पॉस्को एक्ट के तहत 14,913 मामले दर्ज किए गए थे।
वहीं बलात्‍कार के मामले में 16 जनवरी, 2017 को दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में एक ऐसा सीरियल रेपिस्ट आया, जिसके खुलासे सुनकर पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई। आरोपी सुनील ने पुलिस को बताया कि पिछले 12 सालों के दौरान उसने 700 से ज्यादा बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया है। इस दौरान वह एक बार गिरफ्तार भी हो चुका है।
हालांकि आपको याद होगा, फरवरी 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने केंद्रीय बजट में से महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक हज़ार करोड़ रुपयों का निर्भया फंड शुरू किया था। वर्ष 2013-14 से लेकर 2015-16 तक इस फंड में तीन हज़ार करोड़ रूपये दिए जा चुके हैं।  Ministry of Women and Child Development को इस फंड के सही इस्तेमाल का काम सौंपा गया है। अलग-अलग मंत्रालय और सभी राज्य सरकारें महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रस्ताव भेजकर निर्भया फंड से रकम ले सकती हैं। परंतु दुखद सच्चाई ये है निर्भया फंड लागू किए जाने के बाद से लेकर अब तक इसमें 2 हज़ार करोड़ रूपये की वृद्धि होने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित ठोस कदम दिखाई नहीं दे रहे हैं।  Ministry of Home Affairs यानी गृह मंत्रालय ने GPS यानी Global Positioning System के लिए Computer Aided Dispatch Platform तैयार करने की योजना बनाई थी जिसकी मदद से पुलिस को जल्द से जल्द पीड़ित महिला के पास पहुंचने में मदद मिलती। ये प्रोजेक्ट 114 अलग-अलग शहरों में लागू किया जाना है। निर्भया फंड से इस प्रोजेक्ट के लिए 321 करोड़ रुपये की रकम भी दे दी गई है लेकिन फिलहाल ज़मीनी स्तर पर कोई काम होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। Ministry of Women and Child Development ने पीड़ित महिला की मदद के लिए दो योजनाएं लागू किए जाने की बात कही थी जिनमें से एक थी हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए One Stop Centre बनाने की योजना। ये 18 करोड़ 58 लाख रुपये की लागत से बननी थी जबकि दूसरी योजना थी Women Helpline की जिसकी लागत 69 करोड़ 49 लाख रुपये थी। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में रकम जारी करने की अनुमति भी मिल गई थी लेकिन कर्नाटक और केरल को छोड़कर किसी भी दूसरे राज्य ने इस पर अपना Proposal नहीं भेजा है।  NCRB यानी National Crime Records Bureau के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में जहां 85 महिलाएं एसिड अटैक का शिकार हुईं थीं। वर्ष 2013 में आंकड़ा बढ़कर 128 और 2014 में 137 तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में एसिड की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने की बात भी कही थी लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि आज भी पूरे देश में बिना किसी रोक-टोक के एसिड की बिक्री हो रही है।  
कहना गलत न होगा कि जितना पुराना भारत का इतिहास है, उतना ही पुरान महिला उत्‍पीड़न का इतिहास है। आज दुनिया भर में जितने भी अपराध होते हैं, उनमें से अधिकांश किसी न किसी महिला के खिलाफ ही होते हैं। जैसे-जैसे मानव सभ्‍यता वि‍कसित होती गई, वैसे-वैसे महिलाओं के साथ अपराधों की संख्‍या भी बढ़ती गई। महिलाओं के साथ अपराध सिर्फ अशिक्षित और गरीब वर्ग में ही नहीं, बल्कि उच्‍च शिक्षित, धनी और प्रतिष्ठित परिवारों में भी होता हैSA महिलाओं के प्रति अपराध कई प्रकार के होते हैं.... वैवाहिक हिंसा, पारिवारिक हिंसा, दहेज उत्‍पीड़न व दहेज हत्‍या, महिला हत्‍या, जबर्दस्‍ती देह व्‍यापार के दलदल में घकेलना,लैंगिक भेदभाव और लैंगिक अत्‍याचार, भ्रूण हत्‍या और लिंग निर्धारण, कार्यस्‍थल पर यौन उत्‍पीड़न, स्‍कूल-कॉलेजों में यौन उत्‍पीड़न व अन्‍य उत्‍पीड़न, सामाजिक रूप से अपमानित करना, आर्थिक बंदिशों रखना, देवदासी, डायन बताकर मार डालना आदि।
महिलाओं के विरूद्ध होनेवाले अपराधों के संबंध में भारत सरकार के राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो द्वारा आंकड़े एकत्रित किए गए जो चौंकाने वाले हैं। आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के उत्‍पीड़न से संबंधित यौन उत्‍पीड़न, छेड़छाड, दहेज प्रताड़ना, वैवाहिक तथा हिंसा आदि मामलों में लगातार तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।
तो अब आप ही बताए कि महिलाओं के लिए बने कानून कितने कारगर साबित हो रहे हैं और तो और महिलाओं के साथ अपराध करने वालों का इन बने हुए कानून का जरा भी भय नहीं दिखाई पड़ता, क्‍योंकि यदि भय होता तो महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में वृद्धि दर्ज न हो रही होती। साथ ही साथ सरकार द्वारा स्‍थापित राष्‍ट्रीय महिला आयोग भी इन महिलाओं को न्‍याय दिला पाने में नाकारी साबित दिखाई पड़ती हैं।
मैं तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से खुश हूं इससे भविष्‍य में मुस्लिम महिलाओं को इसके दंश से मुक्ति मिल जाएगी... परंतु ऐसा भी लगता है कि कहीं यह भी अन्‍य की भांति सिर्फ और सिर्फ कागजी शोभा ना बढ़ाता दिखाई दे... जिसकी पृष्‍ठभूमि बाहर कुछ और, और अंदर कुछ और हो..... 

Friday, August 4, 2017

हिटलर: एक परिचय

हिटलर: एक परिचय
नोट------ ये पोस्‍ट सिर्फ और सिर्फ हिटलर के अलावा इस पोस्‍ट से अगर किसी और की समानता पाई जाती है तो इसे केवल संयोग होगा....
1.हिटलर ने शादी नहीं की थी।
2.हिटलर एक धर्म विशेष के लोगों को देश दुश्‍मन मानता था।
3.हिटलर के समर्थकों को उसकी आलोचना बर्दाशत नहीं होती थी।
4.हिटलर ने बचपन में पेंट करने और रंग बेचने का काम किया था।
5.सारे प्रचार के साधन अखबार, पत्र, पत्रिकाएं हिटलर के प्रचार में लगे थे।
6.हिटलर अपने विरोधियों को देशद्रोही कहता था।
7.हिटलर नाजी पार्टी में साधारण सदस्‍य के तौर पर भर्ती हुआ था और फिर अपने सारे विद्रोहियों को समाप्‍त कर पार्टी का नेता बन गया था।
8.हिटलर ये प्रचार करके सत्‍ता में आया था कि वो देश की सभी समस्‍याओं को चुटकी में खत्‍म कर देगा।
9.हिटलर ने सत्‍ता प्राप्ति के लिए नारा दिया था ‘Good Times Will Come’ मतलब अच्‍छे दिन आएंगे
10.हिटलर की पार्टी जब जीती और वह पहली बार जर्मनी की संसद में गया तब वह खूब रोया।
11.हिटलर ने झूठ बोलकर सत्‍ता हासिल की।
12.हिटलर को सजने संवारने का बहुत शौक था।
13.हिटलर झूठ को सच बताने की कला में माहिर था।
14.हिटलर हमेशा मैं मैं मैं ही किया करता था।
15.हिटलर को रेडियो पर भाषण देने का बड़ा शौक था।
16.हिटलर की एक प्रेमिका थी जिसकी वह जासूसी करवाता था।
17.हिटलर अपने भाषणों में फ्रेंड्स फ्रेंड्स मतलब मित्रों, मित्रों, का उपयोग करता था।
18.हिटलर को फोटो खिंचवाने का बड़ा शौक था।
एक कड़वा सत्‍य
हिटलर जब तक लोकप्रिय रहा, जब तक जर्मनी बर्बाद ना हो गया

जिसको समझ में आए उसे वंदन, न समझ आए उसे अभिनंदन......