Friday, June 30, 2017
जरा गौर करें और सोचे.....
जरा गौर करें और सोचे.....
सत्य युग कि बात की जाए तो देखने को मिलता
है कि सत्य युग में चारों तरफ सत्य विराजमान था, कोई किसी के साथ छलावा, चोरी, हत्या आदि नहीं करते थे... ऐसा सिर्फ पढ़ने को मिलता है... यदि इसको
विस्तार से पढ़ा जाए एवं समझा जाए तो ज्ञात होगा कि सत्य युग में भी छलावा, चोरी, हत्या आदि कृत्य हुआ करते थे... हां इनकी अत्याधिकता नहीं थी.... पर छलावा
पूर्णत: विद्धमान था.... क्योंकि भगवान नृसिंह ने उस समय हिरण्यकश्यप जो कि राक्षसों
का राजा हुआ करता था को छल प्रपंच द्वारा अपने भक्त प्रह्लाद की भक्ति के एवज में
उसके पिता को ही मार दिया.... कौन पुत्र चाहेगा कि उसके पिता का वध किया जाए चाहे वो
जैसा भी हो... सत्य युग में तो सत्य की पूजा की जाती थी फिर शंखासुर, हरिण्याक्ष और हिरण्यकश्यप जैसे राक्षसों की उत्पत्ति कैसे हो गई... जबकि
मैंने पढ़ा है कि ब्राह्मा ने इस सृष्टि की उत्पत्ति की है और हर चीज को उन्होंने
स्वयं बनाया है... फिर ऐसी क्या अवश्यकता आन पड़ी जो ब्राह्मा को राक्षस पैदा करने
पड़े.....
इसके साथ ही इस युग में राम का जन्म हुआ....
इस युग को राम युग भी कहा जा सकता है.... परंतु इस युग में भी बहुत सी विसंगतियां देखने
को मिलती हैं...अपराध देखने को मिलते हैं... जैसे लक्ष्मण द्वारा शुपनंखा के अंग विच्छेद
कर देना....जानवरों पर अत्याचार, उनका वध करना, इंद्र द्वारा एक स्त्री के साथ बलात्कार
करना, छल से बालि को मारना……. एक भाई का
गद्दी के लिए अपने ही भाई से धोखा करना....अपनी पत्नी से अग्नि परीक्षा लेना... और
तो और राम राज में भी जाति व्यवस्था विराजमान थी जिसका उद्धरण धोबी जाति के रूप में
मिलता है... जिसके कटाक्ष करने पर राम ने अपनी गर्भवती पत्नी को जंगल में भेज दिया....
क्या यही राम राज्य था.... छल प्रपंच के साथ हत्या, बलात्कार, औरतों के साथ इस तरह के अत्याचार... राक्षसों ने अत्याचार किया उनका तो
समझ आता है कि वो राक्षस है परंतु भगवानों द्वारा इस तरह के कुकृत्य समझ से परे हैं...
अब बात करते हैं द्वापर युग कि...
इस युग में कृष्ण का जन्म होता है... जिसको कहा जाता कि कंस के अत्याचारों से मुक्ति
दिलाने के लिए हुआ था... ठीक है मान लेते हैं परंतु इस युग में भी शिशु हत्या, लड़कियों के साथ छेड़छाड़, चोरी, छल प्रंपच प्रमुखत: के साथ देखने को मिलते हैं.....एक
स्त्री के अवैध संबंध और अवैध संबंधों से उत्पन्न बच्चे त्याग यानि पैदा होने
के बाद उसको फेंक देना.....एक स्त्री को पांच-पांच लोगों में बांट देना..... राजकुमारों
द्वारा जुआ खेलना और जुएं में अपनी पत्नी को दांव पर लगा देना....भरी सभा में एक स्त्री
को र्निलज्य करना..... सत्ता के लालच में अपने भाईयों को वन भेज देना... उनको मारने
के प्रत्यन किए जाना... आदि इस युग में देखे जा सकते हैं.....
यदि तीनों युगों का विश्लेषण
किया जाए तो ऐसा कोई भी युग नहीं रहा है जिसमें औरतों के साथ अत्याचार नहीं हुए हो....
चाहें वो राक्षसों ने किए हो या भगवानों ने... मनुष्य की बात छोड़ देते हैं... तीनों
युगों में छलावा, धोखधड़ी, लूट, मार, पशुओं पर अत्याचार, वध आदि प्रमुखत: के साथ देखे जा सकते हैं... फिर हम कैसे कह सकते हैं कि कलयुग
में ही यह सब हो रहा है... क्योंकि इन सब युग में यह देखने का कहीं नहीं मिला कि फलां-फलां
भगवान द्वारा कुकत्य करने पर उसको किसी विधान ने या सर्वोपरि राजा या उच्चतर भगवान
ने दंड दिया हो.... उसी की प्रवृत्ति कलयुग में देखने को मिलती है....
Sunday, June 18, 2017
नग्नता के नाम पर हाय तौबा मचाना छोड़ दीजिए.....
नग्नता के नाम पर हाय तौबा मचाना
छोड़ दीजिए.....
इबे द्वारा फेसबुक पर महिला वस्त्रों के विज्ञापन
हेतु इस तरह महिला का इस्तेमाल करना (पारदर्शिए) कितना तर्कसंगत है....अब शायद तथाकथित
महिलावादी महिलाएं इसे अपना अधिकार समझेगी.... फिर वह पुरूष समाज पर इल्जाम लगाएंगी
कि पुरूष की सोच गलत है....देखने का नजरिया गलत है.... अब इस तरह एक महिला अपने शरीर
को सार्वजनिक दिखाएगी तो क्या पुरूष अपनी आंखें बंद कर ले.... फैशन की आड़ में नग्नता
का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा....होगा....जिसमें महिला अपने शरीर का प्रदर्शन कर
रही हो.....वैसे यह कोई पहला विज्ञापन नहीं है इस तरह के सैंकड़ों विज्ञापन भरे पड़े
हैं.... अब महिलावादी इस मुद्दे पर बात करेंगी कि पुरूष समाज द्वारा बनाया गया विज्ञापन
है... ठीक कहा अपने यह किसी न किसी पुरूष द्वारा खींची गई तस्वीर और विज्ञापन ही होगा...
परंतु आप क्यों चंद पैसों के लिए इस तरह की नग्नता का प्रर्दशन करने लगती है... क्या
इसमें आपका स्वार्थ नहीं छिपा होगा.... कि कुछ पैसे मिल जाएंगे और फैशन की आड़ में
आपके शरीर का प्रदर्शन भी हो जाएगा... खैर स्वत्रंत भारत है.... आप कुछ भी कर सकते
हैं.... हां फिर नग्नता के नाम पर हाय तौबा मचाना छोड़ दीजिए......
नोट.... मेरी इस पोस्ट व साझा की जाने वाली तस्वीर
को उद्देश्य किसी भी महिला को नीचा दिखना नहीं है....बस एक तर्क की बात रख रहा हूं...
किसी को इससे कोई आपत्ति हुई हो तो क्षमा प्रार्थी हूं....
Saturday, June 17, 2017
आधार कार्ड को भी लिंक करें शादी के निमंत्रण पत्र से.....
आधार कार्ड को भी लिंक करें शादी के निमंत्रण पत्र
से.....
शायद कुछ दिनों बाद शादी के लिए भी आधार कार्ड
चाहिए होगा... जिसे दोनों वर-वधू के आधार कार्ड को एक दूसरे के शादी के निमंत्रण
पत्र से लिंक किया जाएगा...और यह शादी के निमंत्रण पत्र को ऑन लाइन किया जाएगा....
जिनके पास आधार कार्ड नहीं होगा वो शादी नहीं कर सकेंगे... यदि वो बिना शादी के निमंत्रण
कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करके शादी करते हैं तो उनकी शादी अवैध मानी जाएगी....
इसके लिए दोनों को सजा भी हो सकती है और यह सजा गैरजमानती होगी....सजा के उपरांत
उनको अपना आधार कार्ड पुन: लिंक करवाना पड़ेगा और इसके लिए सरकार को शुल्क देना
होगा तभी शादी वैध मानी जाएगी....
इसके फायदे भी होंगे... एक बार शादी होने के
उपरांत कोई भी किसी को अविवाहित बता कर शादी नहीं कर सकेगा....साथ ही शादी के नाम
पर दिए जाने वाली सारे सामान को (रूपयों को भी ) भी आधार कार्ड से लिंक करवा दिया
जाएगा जिससे यह ज्ञात होगा कि फलां फलां ने इतने रूपए की अपनी बेटी की शादी की है
और फलां फलां को इतनी रकम शादी के नाम पर मिली है... जिस पर सरकार एक सीमा तक छुट प्रदान
कर सकती है और बाकि राशि पर टेक्स ले सकती है. इससे बाद में किसी कारण से यदि
दोनों के बीच तलाक की नौबत आती है तो वधू पक्ष वर पक्ष से आधार कार्ड की लिंक
दिखाकर दिए हुए सामान को वापस ले सकेंगे.....
Friday, June 16, 2017
सभी गड्ढें भरे जा चुके हैं....
सभी गड्ढें भरे जा चुके हैं....
बधाई हो... उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनता से किया
गया वादा पूरा हो गया है जी हां 15 जून निकल चुकी है सरकार द्वारा यह कहा गया था कि
15 जून तक सभी गड्ढों को भर दिया जाएगा.... जी हां उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 जून को
अपने सहयोगी इंद्रदेव को आदेश दिया और इंद्रदेव ने यह आदेश आगे स्थानतंरण करते हुए
अपने अधीन कार्यरत वरूण देव को कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी गड्ढों को तत्काल प्रभाव
से भर दिया जाए... और उन्होंने थोड़ी सी मेहनत करते हुए लगभग सभी गड्ढों को भर दिया....
अब आप लोग यह कहोगे कि गड्ढों तो जैसे के तैसे बने हुए हैं... अरे भाई जरा गौर से देखिए
गड्ढें पानी से भरे जा चुके हैं... उत्तर प्रदेश सरकार ने सिर्फ यह कहा था कि 15 जून
तक सभी गड्ढें भर दिए जाएंगे... यह नहीं कहा था कि सड़कों को मट्टी से या डांबर से
भरा जाएगा... पानी से भर दिया गया यह काफी नहीं है.... अब आप मुस्कुराई क्योंकि आप
उत्तर प्रदेश में हैं... यहां सरकारें वादा करता और वादे अक्सर टूट जाते हैं....
जैसे हमारे मोदी ने कहा था 15 लाख सभी के खाते में आएंगे... जी हां 15 लाख आएंगे….. क्योंकि मेरे करन अर्जुन जब आएंगे तो 15 लाख भी आ जाएंगे....
Tuesday, June 13, 2017
जरा इनके बारे में भी सोचिए मोदी जी....
जरा इनके बारे में भी सोचिए मोदी जी....
जहां एक तरफ तीन तलाक के मुद्दे पर बहस चल रही है
और सभी राजनैतिक पार्टियां अगामी लोकसभा चुनाव के चलते अपने अपनी रोटियां सेंकने
में लगे हैं.... और तो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि तीन तलाक
का मुद्दा मुस्लिम बहू-बेटियों के अहित में है... सही
कहां प्रधानमंत्री जी... पर आपको तीन तलाक का मुद्दा दिखाई दे गया... आप जहां से
जीत कर प्रधानमंत्री बने हैं जरा वहां पर भी गौर फरमाते तो अच्छा होता... जी
हां... मैं बनारस की बात कर रहा हूं और वहां पर रह रही विधवाओं के संदर्भ में बात
करने जा रहा हूं ..... जी.....इस नगर में वधुओं की
भांति रह रहीं सैंकड़ों विधवायें पिछले कई वर्षों से समाज की मुख्यधारा से दूर एक
गुमनाम जिंदगी बिता रही हैं। इनमें अधिकतर विधवाएं पंचिम बंगाल की हैं, जो पति की मौत के बाद परिवार से निकाल दी
गर्इं और देश के कई हिस्सों में भटकने के बाद वृंदावन और बनारस के विभिन्न आश्रमों
में पहुंची या खुद परिवार द्वारा यहां जबरन पहुंचा दी गई। ऐसी महिलाओं की संख्या
एक अनुमान के अनुसार करीब चार करोड़ के आसपास है। क्योंकि पति की मौत के बाद अभिशाप
समझ कर परिवार द्वारा निकाल दी गई हैं... जो बड़ी संख्या में विश्वनाथ मन्दिर के
आसपास और गंगा के घाटों पर अपने जीवन के भीषण क्षण काटती मिल जाएंगी। और यह भीषण
सत्य यह भी है कि समाज से तिरस्कृत यह विधाएं जब आश्रम में पहुंचती है तो आश्रम
के सर्वेसर्वा इन्हें दो वक्त की रोटी के एवज में बड़े-बड़े उद्योगपतियों के यहां, नेताओं के यहां भेज दी जाती है.... मेरे कहने का साफ-साफ मतलब यह है कि
इनसे देह व्यापार भी करवाया जाता है.... तो माननीय मोदी जी जब आपको मुस्लिम
महिलाओं की इतनी चिंता है तो कुछ चिंता इन विधवाओं की भी कर लीजिए....और इन
विधवाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर उनको उनका हक दिलाने की कोशिश करें.....
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