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Wednesday, August 26, 2015

हाय री बिजली भौजाई..........अब तो आ जा

हाय री बिजली भौजाई..........अब तो आ जा
क्या कहूं तुझे ओ बिजली भौजाई? तेरे आने से चेहरे खिले और जाते ही उतर जाए। तेरे तो आजकल भाव बढ़ गए हैं तभी तो तुझे हम लोगों की फिकर नहीं। काहे सता रही हो। आती भी देर से हो, चली भी जल्दी जाती हो? क्यों रिसानी हो, हम लोगों से। ऐसा क्या गुनाह हमसे हो गया ओ बिजली देवी, जो तुम इतनी खफा चल रही हो? कुछ तो बताओं.......... मुंह तो खोलो....... कहो तो नींबू, नारियल, हवन, पूजा-पाठ करवाऊ तुझे मनाने के लिए। कहीं तेरे ऊपर किसी ने जादू टोना तो नहीं कर दिया?, जो तू सिर्फ मुंह दिखाकर चली जाती है। क्यों कर रही है ऐसा.... तेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं उनकी तो चिंता कर। हम तो तेरे अपने ही हैं, फिर भी।
स्ही है तू क्यों सुनेगी, तुझे तो बड़े बापों की फिकर है, वहीं रहती है दिन रात। तभी तो तुझे जरा भी डर नहीं है। सह जो मिल रही है अपने दादाओं की। तुझे पता भी है कि यह दादाओं की फौज चंद दिनों की मेहमान होती है। रहना तो तुझे हम लोगों के साथ ही है। फिर इतना क्यों इतरा रही हो। कल जब यह तुझे छोड़कर चले जाएंगे, तब लौटकर तुझे आना तो हम लोगों के पास ही है। तब क्या कहेगी...... मान जा ओ बिजली भौजाई, मान जा..................।
वैसे तेरा बाप भी अब वो ससुर नहीं रहा जो एक बार कहने पर तुझे भेज देता था। वो भी तेरी तरह दादाओं का चमचा बन बैठा है। सुनता ही नहीं किसी की बात को....... तेरे जैसे ही तेरा बाप का दिमाग सातवें आसमान पर चल रहा है। अभी वक्त है खुद को और आपने बाप को समझा ले, नहीं तो जिस दिन हम लोगों की मुंडी खिसकी तो समझ लेना, मार-मार जूतों से ठीक कर दिए जाओंगे............. कोई बचाने भी नहीं आएंगा। जाना फिर किसी दादाओं के पास जाते हो। वैसे तेरा बाप पिटने के ही लायक है, जो तुझे बार बार बुला लेता है।
ऐसा क्या उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है? अन्य राज्यों में तो शादी के बाद भौजाई मायके जाने का नाम ही नहीं लेती और न ही भौजाई का बाप उसे इस तरह से बुलाता है। न ही भौजाई बिना अनुमति के अपने मायके बार-बार भागती है। ऐसा शायद उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुखिया के कारण हुआ है या फिर ऐसा रिवाज पहले से ही चला आ रहा है। जिसका कोई विरोध नहीं कर रहा........ न जाने क्यों?
हालांकि मोदी बाबा जब से आए हैं अच्छे दिन के चक्कर में आटा, दाल और तो और प्याज को मंहगा कर ही दिया है। उनके आते ही प्रदेश के मुखिया हम लोगों से नाराज से दिखाई देने लगे हैं। और इस नाराजगी के चलते वह बिजली भौजाई के बाप को हमेशा आदेश देते रहते हैं कि भौजाई ज्यादा समय तक वहां नहीं टिकनी चाहिए, उन लोगों को भी पता चले हमें नजरअंदाज करने का नतीजा। वैसे दद्दा का हुकम भला भौजाई का बाप कैसे टाल सकता है। इसलिए बुला लेता है।
यह सब अच्छे दिनों के चक्कर में हुआ है। एक छलावा, एक दिखावा, फंस गए गुरू ऐसी शादी करके। इससे अच्छा तो कुंवारे ही अच्छे थे.... राहुल की तरह। तेरे झांसे में आए और हमारी प्यारी भौजाई रूठ कर बार-बार मायके भागने लगी। अब तो राह तकते-तकते आंखें पथरा सी गई हैं कि तु कब आएगी... कब आएंगी?????
इंतहा हो गई इंतजार की
आई न खबर बिजली भौजाई की
हमको है यकीं
तेरा बाप है कमीन
यहीं वजह हुई

तेरे इंतजार की......

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